हिजाब हटाने से अगर किया इंकार मतलब परीक्षा में ‘NOT Allowed’

फ़हमीना हुसैन, TwoCircles.net 

यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन के नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट में जामिया मिलिया इस्लामिया की एक मुस्लिम छात्रा को हिजाब पहने होने के कारण प्रवेश एवं टेस्ट देने से रोक दिया. छात्रा ने इसको अपने संवैधानिक अधिकारों का हनन बताया हैं  क्यूंकि हिजाब पहनना उसका धार्मिक मामला हैं.


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नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा किया गया था. पिछले 18 दिसंबर को इसका आयोजन देश भर में कई सेण्टर पर था.

जामिया मिलिया इस्लामिया की उमैयाह खान, 24 वर्ष, मैनेजमेंट की छात्र हैं. उमैयाह नेट की परीक्षा देने रोहिणी के ओजस मैनेजमेंट बिज़नस स्कूल में 20 दिसम्बर को पहुंची थी. उमैयाह हमेशा की तरह हिजाब पहने हुए थी. सारे पहचान पत्र चेक करने के बाद भी इनको परीक्षा केंद्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गयी. इसकी वजह उमैयाह का हिजाब बताया गया. उमैयाह बताती हैं,”पुरुष सुरक्षाकर्मी ने मुझे बताया कि सर पर हिजाब होने की वजह से परीक्षा केंद्र में नहीं जाने दिया जायेगा. मैंने बहुत आग्रह किया लेकिन वो सुनने को तैयार नहीं थे. मुझसे हिजाब को उतार कर पर्स में रखने को कहा गया. हिजाब ना उतारने की दशा में मुझे परीक्षा केंद्र में अन्दर नहीं जाने दिया गया.”

उमैयाह के अनुसार उन्होंने वहां मौजूद  महिला अधिकारीयों से भी कहा कि पूरी तरह चेक करवा करके परीक्षा केंद्र में जाने दें लेकिन उन महिला अधिकारीयों ने साफ़ तौर पर कह दिया कि हिजाब ना उतारने पर परीक्षा केंद्र में नहीं जाने दिया जायेगा.

उमैयाह बताती है,”वहां मौजूद दुसरे लोग मुझे अजीब नज़र से देख रहे थे. जैसे सब ये चाहते हो—हटो जल्दी. कुछ छात्रों ने यहाँ तक कह दिया, कि मेरी वजह से उनका टेस्ट ना ख़राब हो जाये.”

नेट का आयोजन यूजीसी के निर्देशानुसार एनटीए द्वारा करवाया जाता हैं. इसमें जो बच्चे पास होते हैं वहीँ देश भर के विश्वविद्यालय/महाविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर चयन के योग्य माने जाते हैं.

उमैयाह हमेशा से हिजाब पहनती हैं और उनके अनुसार ऐसा भेदभाव उनके साथ पहली बार हुआ हैं. उनका मानना हैं कि ये उनके धार्मिक अधिकारों का हनन हैं. संविधान ने सभी भारतीय नागरिको को धार्मिक स्वतंत्रता दी हैं. ऐसे में उनके साथ भेदभाव करना उनके अधिकारों पर हमला हैं. उमैयाह ने इसके खिलाफ यूंजीसी में शिकायत करने की भी बात कही.

उधर, ये मामला सोशल मीडिया पर फ़ैल गया. जामिया मिलिया इस्लामिया में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई. छात्रो ने इसके खिलाफ सभा करी और उमैयाह के समर्थन में प्लेकार्ड लेकर प्रदर्शन किया.

वैसे ऐसा ही एक मामला उसी दिन गोवा के पणजी में सुनने को आयय जहाँ सफीना खान को भी हिजाब हटाने को कहा और ना हटाने की दशा में सफीना को भी नेट परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया गया. सफीना ने भी हिजाब उतारने से मना कर दिया.

बीते कुछ साल से ऐसे कई मामले प्रकाश में आये हैं जहाँ हिजाब की वजह से मुस्लिम छात्रो को रोका गया. पिछले साल एम्स की प्रवेश परीक्षा में केरल  राज्य में ऐसा हुआ था, तब कुछ संगठनो ने अदालत की शरण ली और केरल हाई कोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनने पर प्रतिबन्ध लगाना असंवैधानिक और अनुच्छेद 25 के अंतर्गत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन हैं.

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