Home Education JNU प्रशासन के खिलाफ आवाज़ उठाई तो मिलेगा ‘Notice’

JNU प्रशासन के खिलाफ आवाज़ उठाई तो मिलेगा ‘Notice’

सेंट्रल लाइब्रेरी के बाहर प्रदर्शन

फ़हमीना हुसैन, TwoCircles.net

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्र संघ के नेतृत्व में १४ दिसम्बर लाइब्रेरी के मुद्दे बड़ी संख्या में छात्रों ने सेंट्रल लाइब्रेरी के बाहर प्रदर्शन किया। छात्र संघ अध्यक्ष एन साई बालाजी का कहना है लाइब्रेरी में बाहरी किताबों को ले जाने से रोकने का विरोध हैं।

JNU प्रशासन ने छोटे रीडिंग रूम को सुरक्षा का हवाला देकर बंद कर दिया है और छात्र मुख्य द्वार से अपनी किताबें लेकर नहीं जा सकते।

छात्र संघ अध्यक्ष का कहना है कि प्रशासन ने लाइब्रेरी के बजट में 80 फीसदी कटौती कर दी है, जिससे नई किताब नहीं आ पा रही हैं। छात्र अपनी किताबें नहीं ले जा सकते। इससे उन्हें परेशानी हो रही है। वहीँ इस प्रदर्शन के बाद जेएनयू प्रशासन की ओर से दो इन्क्वायरी झेल रहे स्टूडेंट्स यूनियन के प्रेजिडेंट एन साई बालाजी की एमफिल के मूल्यांकन पर रोक लगा दी गई है।

जेएनयू लाइब्रेरी

बालाजी ने बताया कि उन्हें शुक्रवार को इसे लेकर जानकारी मिली। उनका कहना है कि यह जानबूझकर परेशान करने और प्रशासन के हमलों के खिलाफ आवाज उठाने की वजह से किया गया है, जो अनैतिक कार्रवाई है।

बालाजी ने बताया कि शुक्रवार दोपहर को उन्हें उनके इवैल्यूशन पर रोक लगाने की खबर मिली। यूनिवर्सिटी के थिसिस इवैल्यूशन सिस्टम की ओर से उन्हें मेल मिली कि आपकी एमफिल फाइल चीफ प्रॉक्टर ऑफिस ने ब्लॉक की है। बालाजी ने बताया कि मेल में मुझे मेरे सेंटर या चीफ प्रॉक्टर ऑफिस में संपर्क करने की सलाह दी गई है।

उन्होंने बताया कि जेएनयूएसयू के प्रेजिडेंट के खिलाफ इन दिनों दो जांच चल रही है। पहली, 5 अक्टूबर को एसी मीटिंग के बहार वीसी के खिलाफ गलत शब्द के इस्तेमाल के लिए, और दूसरा नोटिस 12 अक्टूबर को यूनिवर्सिटी के कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स के मार्च को लीड करने के आरोप पर भेजा गया।

हालांकि, बालाजी का कहना है, मैं प्रशासन के ऑनलाइन एंट्रेंस एग्जाम स्कैम के खिलाफ बोला था इसलिए यह नोटिस दिया गया।

इतना ही नहीं JNU के सोशल साइंस डिपार्मेंट के छात्र निहाल के अनुसार जेएनयू कुलपति जगदेश कुमार जेएनयू को जेल बनाने पर लगे है। पढ़ाई-लिखाई के बजाए सुरक्षा पर खर्चा हो रहा है और किताब की जगह कैमरा खरीदा जा रहा है। पुस्तकालय का बजट काट के विवेकानंद की प्रतिमा बनाया जा रहा है।

वहीँ इतिहास में शोध की छात्र अर्पिता ने बताया कि लेस्टेस्ट जनरलस के बहुत भाग लाइबरेरी में मौजूद नहीं रह रहे। ज्यादा-तर किताबे यूनिवर्सिटी में आना ही बंद हो गई हैं ऐसे में किताबों को लेकर आये दिन परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है।

इतना ही नहीं JNU एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा इस साल सुरक्षा गार्ड, सीसीटीवी कैमरे, विरोध प्रदर्शन की वीडियो रिकॉर्डिंग और इसी तरह के तमाम गतिविधियों पर 2016-17 और 2017-18 में क्रमशः 9.52 करोड़ रुपये और 17.38 करोड़ रुपये खर्च किये।

हालांकि इसके लिए JNU शिक्षकों ने भी प्रशासन के सामने अपना कड़ा विरोध जाहिर कर चुकी है।

बताते चलें कि मांगों को लेकर पहले भी छात्र संघ लाइब्रेरी मामले को लेकर प्रदर्शन कर चुकें हैं। कुछ समय पहले लाइब्रेरी के बजट में कटौती के खिलाफ प्रदर्शन किया गया था।

जेएनयू की केन्द्रीय पुस्तकालय के बजट को 80 % कम किए जाने के विरोध में MHRD दिल्ली के बाहर जेएनयूएसयू का प्रदर्शन भी किया गया था।

बालाजी ने बताया कि यूनियन और टीचर्स असोसिएशन जेएनयू में बिगड़ते माहौल को लेकर लगातार आवाज़ उठा रहें हैं। फिर चाहे ऑनलाइन एंट्रेंस सिस्टम या जरूरी अटेंडेंस या फिर ढाबे वालों या कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स का मसला, हर मामले में यूनियन आवाज उठा रही है, जिसे दबाने के लिए वीसी नोटिस दे रहे हैं और जांच बैठा रहे हैं।

इन्ही मामलों को लेकर शुक्रवार यूनियन और टीचर्स असोसिएशन एमपी मनोज कुमार झा, पीके बिजू, जीतेंद्र चौधरी, कुमार केतकर समेत कुछ सांसद से मिले। सभी मिलकर जनवरी में यह मसला एमएचआरडी के सामने रखेंगे।

उधर, चीफ प्रॉक्टर डॉ. कौशल शर्मा ने इस बारे में बात करने से साफ़ तौर पर मना कर दिया। चीफ प्रॉक्टर डॉ शर्मा का कहना है कि इस पर वो खुद बात नहीं करेंगे।