आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
बरेली : बरेली के डीएम निशाने पर हैं और यूपी सरकार के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने खुले तौर पर उनसे नाराज़गी जताई है. बल्कि कल देर रात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें तलब किया था.
मगर इन सबके बीच राघवेंद्र विक्रम सिंह अपनी बात पर अब भी क़ायम हैं. TwoCircles.net से ख़ास बातचीत में वो कहते हैं, “राष्ट्र सर्वोपरि है. हमें मिल-जुलकर सौहार्द भाव से रहना चाहिए. उसी से देश मज़बूत होगा.”
राघवेंद्र विक्रम सिंह अपनी इसी बेबाकी के कारण बरेली के आम जनता में वो हीरो बन गए हैं.
TwoCircles.net से बातचीत में बरेली के एडवोकेट अंजुम अली बताते हैं, “उन्होंने बेहद शानदार और सच्ची बात कही. वो एक बेहद ज़िम्मेदार अफ़सर हैं. उनकी इस बेबाकी के लिए मैं उनको सलाम करता हूं.”
बरेली के प्रोफ़ेसर राज सिंह वर्मा का कहना है, “बरेली एक संवेदनशील शहर है. यहां लंबे समय तक कर्फ्यू रहता है. धर्मनिरपेक्ष सोच का खुले मिजाज का अफ़सर ही यहां कामयाब होते हैं और डीएम ऐसे ही हैं. उनपर कोई इल्ज़ाम नहीं है. वो पूरी तरह राष्ट्र को समर्पित हैं और सेना में उनका अतीत भी उनके देशप्रेम को सिद्ध करता है. उन्होंने जो लिखा है वो सही बात है.”
वहीं संघ परिवार में भी डीएम राघवेंद्र विक्रम सिंह को लेकर भारी नाराज़गी बताई जा रही है. हालांकि राघवेंद्र योगी आदित्यनाथ के क़रीबी कहे जाते हैं. बावजूद इसके प्रशासनिक सूत्रों की माने तो उन्हें हटाया जा सकता है. क्योंकि सरकार में ठाकुर विरोधी लॉबी इस पर सक्रिय हो गई है.
गौरतलब रहे कि बरेली की जनता में लोकप्रिय सेना के अतीत वाले कैप्टन राघवेंद्र विक्रम सिंह ने कासगंज में हुए बवाल के बाद एक फेसबुक पोस्ट की थी जो बहस की वजह बन गई.
उन्होंने लिखा था कि, “आजकल तिरंगा यात्रा मुस्लिमों के मोहल्लों में ले जाने का रिवाज हो गया है. जैसे वो हमारे ना होकर पाकिस्तानी हो.”
इसके बाद उन्होंने 15 अगस्त पर बरेली के खैलम क़स्बे में इसी प्रकार की तिरंगा यात्रा का ज़िक्र किया और बताया कि वहां भी इन्हीं कारणों से बवाल हुआ था.
उनके इस पोस्ट के बाद अचानक से बुद्धिजीवियों में बहस शुरू हो गई और उनकी बेबाकी के लिए उन्हें सैल्यूट किया जाने लगा, वहीं दूसरे पक्ष ने गाली गलौज के साथ-साथ उन्हें नौकरी करने और राजनीतिक पचड़े में ना पड़ने की सलाह दी. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने तो खुले तौर पर डीएम को मर्यादा में रहने की बात कही दी. उन्होंने कहा अगर उनको राजनीति करने का शौक़ है तो नौकरी छोड़ दें.