Home Lead Story मुज़फ़्फ़रनगर दंगा मुक़दमा वापसी प्रकरण : योगी से गुहार, जाटों के मुक़दमे...

मुज़फ़्फ़रनगर दंगा मुक़दमा वापसी प्रकरण : योगी से गुहार, जाटों के मुक़दमे वापस ले सरकार

आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net

लखनऊ : मंगलवार को भाजपा नेतागणों के एक समूह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात की है और उनसे जाटों पर दर्ज तमाम मुक़दमे वापस लेने का आग्रह किया है.

इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सांसद संजीव बालियान कर रहे थे. बक़ौल संजीव बालियान मुज़फ़्फ़रनगर दंगे में लगभग 402 मुक़दमे फ़र्ज़ी दर्ज किए गए और 1400 के आसपास बेगुनाह लोगों को जेल भेज दिया गया. पहले की सरकार ने ऐसा मुसलमानों को खुश करने के लिए किया था. अब हम चाहते हैं कि नई सरकार इन मुक़दमों को वापस ले.

इससे पहले पिछले माह सरकार ने कुछ भाजपा नेतागणों के मुक़दमे वापस लेने की शुरुआती हलचल की थी. बाद में इसका भारी विरोध हुआ. जाटो ने ही इन मुक़दमे वापसी के विरुद्ध कड़ी प्रतिक्रिया दी.

मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से मिलने वाले इस प्रतिनिधिमण्डल में सांसद संजीव बालियान के साथ बुढ़ाना विधायक उमेश मलिक भी थे. इन दोनों का नाम मुक़दमें वापसी वाली कार्रवाई में शामिल था.

एडवोकेट अब्दुल्लाह आरिफ़ कहते हैं, इसी से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि भाजपा किस स्तर पर जाकर राजनीति करती है. इनकी माने तो दंगा पीड़ितों ने अपने घरों में खुद आग लगा ली और खुद मर गए. बेहतर होता कि ये लोग भाईचारे की बात करते.

वो आगे कहते हैं कि, क़ानून की पेचीदगी के चलते ये मुक़दमे वापस नहीं हो पाएंगे, मगर इससे इनकी नियत का पता चलता है. इन लोगों को लगता है कि 2013 में दंगे के नाम पर काटी गई फ़सल जैसी उपज इस बार भी हो जाएगी, मगर नफ़रत की सियासत की ज़मीन देर तक उपजाऊ नहीं रहती.

पूर्व विधायक पंकज मलिक के मुताबिक़, यह संपूर्ण जाट समुदाय का प्रतिनिधिमंडल नहीं था, बल्कि दंगों में आरोपी बनाए गए या भाजपा से सहमत लोगों का एक समूह था. इस बेहद सवेंदनशील मुद्दे पर  राजनीति नहीं करनी चाहिए.

वो आगे कहते हैं कि, बेहतर होगा कि दोनों समाज के लोगों को आपस में बैठाकर बात की जाए. मुक़दमा वापसी या सज़ा कोई समाधान नहीं है. दिलो में जो मैल आ गया है, वो मैल दूर होना चाहिए. और वो बातचीत से ही हो सकता है.

दरअसल, मुज़फ़्फ़रनगर दंगों का जिन्न एक बार फिर बाहर है. इसकी शुरुआत दो महीने पहले मुलायम सिंह यादव ने अपने आवास पर एक बैठक बुलाकर की. इसमें जाटों और मुसलमानों के कुछ ज़िम्मेदार लोगों के बीच आपसी सुलह समझौते की बात कही गई. यहां एक समिति बनाई गई, जिसको मुज़फ़्फ़रनगर में जाकर दोनों पक्षों से बात कर बीच का रास्ता निकाल कर सुलह-सफ़ाई को कहा गया.