TwoCircles.net News Desk
गया : लोगों के जीवन और आजीविका पर अभूतपूर्व हमला हो रहा है. संसाधनों की लूट से लाखों मज़दूर, किसान, मछुआरे, आदिवासी लोगों की जीविका छीन ली गई है, वह भी सिर्फ़ कारपोरेट को फ़ायदा पहुंचाने के लिए. जन आन्दोलनों के साथी इसके ख़िलाफ़ हर जगह लड़ रहे हैं, उन्हें अपने आपको और मज़बूत करना होगा. साथ ही राजनीतिक बदलाव के लिए पूरी चुनावी प्रक्रिया को बदलना होगा.
ये बातें आज बिहार के गया ज़िले में पिछले दो दिनों से चल रहे ‘जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय’ का तीसरा राज्य सम्मलेन के दौरान मेधा पाटकर ने अपने वक्तव्य में कहा.
उन्होंने कहा कि गया की ऐतिहासिक धरती जहां संघर्ष का एक लंबा इतिहास रहा है, वहां ‘जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय’ का राज्य सम्मेलन जनांदोलनों की राजनीति को दिशा देने का महत्वपूर्ण काम करेगी.
उन्होंने बिहार की राजनीति के बारे में कहा कि, अगर नीतीश सरकार अच्छा काम करेगी तो हम सराहेंगे, लेकिन अगर वह अपने आपको समाजवादी मानते हैं तो वह क्यूं भाजपा के साथ हैं?
मुज़फ़्फ़रपुर के राज्य समन्वय समिति के सदस्य आनंद पटेल ने कहा कि, नीतीश द्वारा जनता के वोट के साथ किए गए धोखे से लोकतंत्र को नुक़सान पहुंचा है.
सभा में बैठे लोगों को उन्होंने ‘जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय’ की तरफ़ से आश्वस्त किया कि वह समाज में साम्प्रदायिकता का ज़हर फैलाने वाले लोगों के ख़िलाफ़ जन मानस को तैयार करेंगे.
इस अवसर पर ‘जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय’ की नई राज्य समन्वय समिति, संगठक और संयोजक मंडल का चुनाव हुआ. राज्य संयोजक मंडल में आनंद पटेल, आशीष रंजन, कामायनी स्वामी, महेंद्र यादव, मणिलाल, शाहीद कमाल, उदय, काशिफ़ यूनुस, उज्जवल कुमार, तन्मय और फुरकान को राज्य संगठक के रूप में मनोनीत किया गया.