TwoCircles.net News Desk
लखनऊ : शाहिद आज़मी की शहादत की 8वीं बरसी पर रिहाई मंच ने सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत प्रदेश भर के नेताओं का सम्मेलन आयोजित किया.
सम्मेलन में योगी राज में दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा और फ़र्ज़ी मुठभेड़ों का मुद्दा छाया रहा है.
कैफ़ी आज़मी एकेडमी में आयोजित दो सत्रीय सम्मेलन के मुख्य वक्ता के बतौर वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़िया ने कहा कि, दलितों और मुसलमानों के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा की वजह इन समुदायों में बढ़ती राजनीतिक जागरूकता है. इस जागरूकता से सरकारें जब डरती हैं तो हिंसा का सहारा लेती हैं. उन तबक़ों के ख़िलाफ़ कभी काले क़ानून बनाए जाते हैं तो कभी उनके छात्रों की स्काॅलरशिप रोकने की रणनीति अपनाई जाती है. भाजपा सरकार यही कर रही है.
अनिल चमड़िया ने कहा कि, सामाजिक न्याय का मतलब सिर्फ़ आरक्षण और सत्ता में भागीदारी नहीं होती. इसका मतलब एक समतामूलक समाज निमार्ण होता है. अब तक कि सामाजिक न्याय की धारा की पार्टियां इसमें विफल रही हैं. इसीलिए इन तबक़ों से नए नेतृत्व का उभार हो रहा है जिससे भाजपा डरी हुई है.
उन्होंने कहा कि जब साम्प्रदायिक हिंसा होगी तब जातीय हिंसा भी होगी. इसलिए जातिवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष को साम्प्रदायिकता के ख़िलाफ़ भी होना ही होगा.
इस अवसर पर भीम आर्मी के नेता महक सिंह ने कहा कि, देश में दलित और मुस्लिम विरोधी वातावरण चल रहा है. भीम आर्मी को सरकार इसलिए पसंद नहीं करती कि हम इस नफ़रत की राजनीति के ख़िलाफ़ हैं. योगी को समझ लेना चाहिए कि हमारे नेता चंद्रशेखर आज़ाद ‘रावण’ को जेल भेजने से हमारा आंदोलन कमज़ोर नहीं पड़ने वाला. आने वाले दिनों में हम रिहाई मंच जैसे संगठनों के साथ एकजुट होकर योगी सरकार को उसकी औक़ात बताएंगे.
देवरिया से आईं अम्बेडकरवादी छात्रसभा की महिला मोर्चा अध्यक्ष अन्नू प्रसाद ने कहा कि दलितों में आई जागरुकता से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इतना डर गए हैं कि उनके गोरखपुर के हर दौरे से 24 घंटे पहले ही संगठन के अध्यक्ष अमर सिंह पासवान को अवैध हिरासत में ले लिया जाता है. उन्होंने कहा कि डरी हुई सरकार लोगों को डरा रही है.
न्यायमंच बिहार के संयोजक प्रशांत निहाल ने कहा कि, योगी सरकार में ब्राम्हणवादी हमले हो रहे हैं और दूसरी तरफ़ साम्प्रदायिक फासीवाद का प्रसार बढ़ा है. पुलिस का रोल वर्तमान समय में राजनैतिक गठजोड़ के तहत काम कर रही है. सपा और बसपा सरकार में भी दलितों और पिछड़ों पर किए गए कारनामों का भी हिसाब मांगा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि रिजर्वेशन के अंदर दलित मुसलमानों और इसाईयों के आरक्षण का सवाल भी उठाना होगा. मंडल में ज़मीन बंटवारे पर भी बात थी लेकिन बात नहीं हुई. मंडल के बाद पिछड़ी प्रतिनिधित्व की सरकारें बनीं, लेकिन इन सरकारों ने पिछड़ों और दलितों में कुछ ख़ास जातियों को फ़ायदा हुआ. मोदी सरकार के आने के पीछे यह भी एक फैक्टर था. बीजेपी ने इस अंतर को उपयोग किया.
पूर्व सांसद इलियास आज़मी ने कहा कि, हर दौर में ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाले पैदा होते हैं और होते रहेंगे और सरकारें भी हमेशा उनके दमन की साज़िशें रचती रही हैं और रचती रहेंगी. लेकिन अंत में जीत हमेशा सच्चाई की होती है. इसी उम्मीद के साथ ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते रहना होगा.
बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच के अध्यक्ष कुलदीप बौध ने कहा कि, योगी जब किसी दलित इलाक़े में जाते हैं तो दलितों के बीच साबुन और शैम्पू बांटा जाता है. दूसरी तरफ़ योगी कहते हैं कि दलितों के बिना हिंदुत्व पूरा नहीं होगा. अब दलितों को खुद समझना चाहिए कि हिंदुत्व में उनकी हैसियत क्या है.
आज़मगढ़ रिहाई मंच नेता मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि, पूरे प्रदेश में जाति और धार्मिक पहचान के नाम पर फ़र्ज़ी मुठभेड़ किए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री खुद फ़र्ज़ी मुठभेड़ों के लिए सार्वजनिक बयान देकर पुलिस का अपराधीकरण कर रहे हैं. यहां तक मानवाधिकार आयोग द्वारा भेजे जा रहे नोटिसों का भी वो जवाब नहीं दे रहे हैं.
बलिया से आए दलित, पिछड़ा, आदिवासी अल्पसंख्यक मंच के राघवेंद्र राम ने कहा कि रसड़ा बलिया में गाय चोरी के नाम पर दलित युवकों का उत्पीड़न किया गया. लेकिन बसपा विधायक उमाशंकर सिंह और बसपा ने कोई सवाल नहीं उठाया. आंदोलन हुआ तब एफ़आईआर दर्ज हो पाया. लेकिन हिन्दू युवा वाहिनी से जुड़े मुख्य आरोपी कौशलेन्द्र गिरी पर कोई कार्यवाही नहीं हुई उल्टे पाड़ितों को ही जेल भेज दिया गया.
ज़ैद फ़ारूक़ी ने कहा कि यूपीकोका पर विपक्ष ने कोई विरोध नहीं किया. इसमें मीडिया पर यह उपबंध है कि बिना एसएसपी के आदेश के यूपीकोका के मामलों की रिपोर्टिंग नहीं होगी. यह क़ानून दलितों अल्पसंख्यकों की आवाज़ दबाने के लिए ही लाया जा रहा है.
मुज़फ़्फ़रनगर से आए उस्मान इंजिनियर ने कहा कि, खतोली में नाबालिग बच्चियों पर 307 का केस लगाकर जेल भेज दिया गया. आज तक उन बच्चियों की ज़मानत नहीं हुई जबकि सरकार बेटी पढ़ाओ-बेटी बढ़ाओ का नारा लगा रही है.
मुज़फ़्फ़रनगर से आए ज़ाकिर अली त्यागी ने कहा कि, योगी सरकार ने उन्हें महीने भर तक सिर्फ़ इस जुर्म में जेल में डाल दिया था कि उन्होंने मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमों की सूची के साथ फेसबुक पर एक पोस्ट लिख दिया था.
प्रतापगढ़ के पट्टी विधानसभा क्षेत्र से आए पीड़ित शैलेन्द्र कुमार यादव ने कहा कि, पिछले कुद दिनों के अंदर सामंती और पुलिस गठजोड़ ने उनके इलाक़े के यादव जाति के 17 लोगों के ख़िलाफ़ फ़र्ज़ी मुक़दमे लाद दिए हैं, जो सरकार के सामंती चरित्र को उजागर करती है.
आज़मगढ़ से आए शाह आलम शेरवानी ने कहा कि, एक बार फिर से सामाजिक न्याय की नई राजनीति खड़ा करने का दौर आ गया है. इसमें दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों को एक नई क़यादत के साथ आना होगा. आज का यह सम्मेलन इस दिशा में ऐतिहासिक होगा.
आज़मगढ़ से आए हीरा लाल यादव ने कहा कि, उनके पांच वर्षीय बेटे कृष्णा की हत्या के बाद उन्होंने मुलायम सिंह से उनके घर पर मिलने की कोशिश की, लेकिन उनको वहां से उनकी अर्ज़ी फाड़ कर भगा दिया गया. जबकि उन्होंने अब तक सपा को ही वोट दिया था. यही कथित सामाजिक न्याय की राजनीति का असली चेहरा है.
तारिक़ शमीम ने कहा कि, इस दौर में अगर फासीवाद से लड़ना है तो दलितों और मुसलमानों को एक दूसरे के साथ किए गए नाइंसाफ़ियों के लिए प्रायश्चित करना होगा. भाजपा सिर्फ़ मुसलमानों के ही ख़िलाफ़ नहीं है वह इस देश के संविधान और संस्कृति के ख़िलाफ़ है. इसलिए भाजपा के ख़िलाफ़ कोई भी आंदोलन संविधान को बचाने का आंदोलन है.
नाहिद अक़ील ने कहा कि, योगी सरकार में महिलाओं पर पिछली सरकारों से भी ज़्यादा हमले हो रहे हैं. सरकार महिला सशक्तिकरण का सिर्फ़ नारा लगा रही है.
अध्यक्षीय भाषण में रिहाई मंच अध्यक्ष एडवोकेट मो. शुऐब ने कहा कि, योगी सरकार के आने के बाद पूरे प्रदेश में दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों पर हमले बढ़े हैं. आज इस सम्मेलन में पूरे प्रदेश भर से युवा नेतृत्व का शामिल होना नई राजनीति की इबारत लिखेगा.
उन्होंने कहा कि विपक्ष जब अपनी भूमिका में न हो तब प्रदेश के नौजवानों को सड़कों पर विपक्ष तैयार करना होगा.
इस सम्मेलन ने 9 सूत्रीय प्रस्ताव पारित करते हुए प्रदेश व्यापी आंदोलन चलाने का ऐलान किया है.