आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
मुज़फ़्फ़रनगर : साल 2013 में दंगे की आग में जल चुके मुज़फ़्फ़रनगर के सबसे सवेंदनशील इलाक़ा बुढ़ाना के थाना प्रभारी प्रभाकर कैंतुरा यहां के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अपने ज़िला पुलिस मुखिया अनन्त देव तिवारी का एक ‘पैग़ाम’ लेकर पहुंचे तो इलाक़े का नज़ारा ही बदल गया. पहले तो नई बस्ती नाम वाली यह आबादी तनाव में आ गई, मगर एक पल में ही हालात बदल गए.
यहां के अय्यूब हमें बताते हैं कि कप्तान साहब की अपील पढ़कर हम पुलिस को एकटक ताड़ते रहे. इस अपील वाले पर्चे में ‘रसूल-ए-खुदा’ के किरदार की अज़्मीयत बयां करता उनका चर्चित अरब की बूढ़ी औरत के साथ उनके बेहतरीन बर्ताव वाला वाक़्या लिखा हुआ था. और मुसलमानों को पैग़म्बर साहब की सुन्नत पर अमल करने की अपील की गई थी. ख़ास बात यह है कि यह अपील ज़िला वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनन्त देव तिवारी के माध्यम से की गई थी.
वो आगे बताते हैं कि, यहां के मुसलमानों ने इसका दिल खोलकर स्वागत किया. यह अपील होली वाले दिन रंग की छींटे आ जाने पर मुस्लिमों से दरगुज़र करने के लिए की गई है. मुसलमानों पर इस अपील का असर हुआ है.
मुज़फ़्फ़रनगर के सामाजिक सरोकारों से जुड़े राशिद अली हमें बताते हैं कि वो एसएसपी महोदय के पास किसी काम से गए थे, तो कुछ ही मिनटों में उन्हें 15 से ज़्यादा फोन कॉल आएं, जो इसी अपील से जुड़ी थी. यह एक अच्छा प्रयास है.
एसएसपी अनन्त देव हमें बताते हैं कि, वो सैकड़ों फोन कॉल रिसीव कर चुके हैं. इनमें दारुल उलूम, नदवा और हैदराबाद से आई हुई कॉल भी शामिल है.
अनन्त देव बताते हैं कि, हमने इससे पहले इस तरह की अपील बुलंदशहर, गोरखपुर और आज़मगढ़ एसएसपी रहते भी जारी किये थे, मगर वहां इतनी अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली.
वो आगे बताते हैं कि दरअसल होली रंगों का त्यौहार है. अक्सर मस्जिद मदरसे और कुछ लोगो पर रंग गिर जाने पर विवाद हो जाता है. इस दिन होली के साथ-साथ जुमे की नमाज़ भी है, इसलिए कोई भी मामूली घटना हल्की सी आंच से बड़ी बन सकती है. इसलिए हमने मुसलमानों से कहा कि वो मस्जिद मदरसे की दीवार से रंग तुरन्त साफ़ कर दे और अगर किसी इंसान पर रंग डाल दिया जाए तो वो उसे अपना दिल बड़ा कर माफ़ कर दें, जैसे रसूल के ऊपर कूड़ा फेंकने वाली बूढ़ी मां को उसके घर जाकर खुद रसूल ने अपना मुरीद बना लिया था.
अनन्त देव ने इस अपील के एक लाख से ज्यादा पर्चे छपवाए हैं और सभी थाना प्रभारियों को मुस्लिमों के बीच जाकर इन्हें बांटने के निर्देश भी दिए हैं.
गौहर सिद्दीक़ी कहते है कि, यह बात अच्छी लगती है कि बड़े-बड़े अफ़सर मोहम्मद साहब की ज़िन्दगी के वाक़्यों को असल ज़िन्दगी में अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं और यह बुरा भी लगता है मुसलमान खुद यह भूल गया है.
सहारनपुर के डीआईजी शरद सचान इस प्रयास की सराहना करते हैं. वो कहते हैं कि, मौजूदा समय में कम्युनिटी पुलिस की सबसे बड़ी ज़रूरत जनता के बीच विश्वास पैदा कर उन्हें अपना बनाने की है ताकि वो पुलिसिंग में मददगार साबित हो सके.
स्थानीय मुस्लिम उलेमाओं ने भी एसएसपी की इस अपील का समर्थन करने का ऐलान किया है. मौलाना अरशद कहते हैं, अमन-चैन क़ायम करने की हर कोशिशें तारीफ़ के क़ाबिल हैं. हम पुलिस कप्तान का समर्थन करते हैं.
बता दें कि एसएसपी अनन्त देव की इस अपील को आज़मगढ़ की उनकी तैनाती के दौरान निज़ामाबाद के विधायक आलम बदी और उनके साथ आए एक मौलाना ने तैयार किया था.
इस बारे में अनन्त देव कहते हैं, मगर ये भावना मेरी है. दुनिया भर को मोहम्मद साहब की ज़िन्दगी से सीख हासिल करनी चाहिए.