अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
शोभापुर/हल्दीपोखर : ‘आज से पहले कभी इस गांव ने इतनी हिंसक भीड़ नहीं देखी थी. पुलिस के सामने ही नईम को पत्थर से मार-मार कर मार डाला गया था. लेकिन इस भीड़ के सामने पुलिस वाले भी बेबस नज़र आए. पूरे देश ने नईम को अपनी आंखों से मरते देखा है, लेकिन आज तक कोई सामने नहीं आया जो इंसानियत के नाते ही इंसाफ़ के लिए खड़ा हो. लगता है कि इस देश में इंसानियत मर चुकी है.’
ये कहानी झारखंड के सरायकेला-ख़रसावां ज़िला में राजनगर प्रखंड व टीटीडीह पंचायत के शोभापुर गांव की है. और बातें 60 साल के उस मुर्तुज़ा अंसारी के हैं, जिनके घर 18 मई को सिर्फ़ मेहमान नहीं आए थे, बल्कि साथ में वो अपनी मौत और इनकी तबाही भी साथ लाए थे.
टूटा घर, घर के क़रीब जली हुई कार और मुख्य सड़क पर पुलिस की जली हुई जीप, 18 मई की ये कड़वी याद इनके ज़ेहन में अभी भी ताज़ा है और दहशत भी कम नहीं हुई है.
इस शोभापुर में क़रीब 150 घर हैं, जिसमें 80 घर मुसलमानों के हैं. गांव वालों की माने तो इस वारदात में ज़्यादातर लोग आस-पास के गांव के ही थे. क़रीब 3-4 हज़ार लोगों की भीड़ थी.
पुलिस भी बेबस नज़र आई
मुर्तुज़ा अंसारी बताते हैं कि, उनके साढ़ू शेख़ हलीम अपने तीन दोस्तों के साथ सुबह के क़रीब 4.30 बजे मेरे घर पहुंचे. उन्होंने बताया कि वो जमशेदपुर जा रहे हैं, लेकिन रास्ते में डांडू गांव में पथराव किया गया है, इसलिए मेरे यहां चले आए हैं. आधे घंटे में 100-150 लोग आएं और उन्हें बच्चा चोर बताया. जब मैंने बताया कि वो मेरे रिश्तेदार हैं. तो उनका कहना था कि ये लोग गो-मांस का धंधा करता है और बच्चा चोरी करते हैं. मेरे समझाने व हाथ जोड़ने पर वो चले गए. लेकिन क़रीब 5.30-6.00 बजे 3-4 हज़ार लोगों की भीड़ आई. मेरे घर पर तोड़-फोड़ शुरू कर दिया. गाड़ी को आग लगा दी. और फिर जो हुआ, वो पूरा झारखंड जानता है.
मुर्तुज़ा के मुताबिक़, इस घटना में पुलिस भी बेबस नज़र आई. उनकी गाड़ी को भी जला दिया गया. इस मामले में 18 लोग गिरफ़्तार हुए हैं.
20 लोग हैं जेल में
लेकिन आरटीआई के ज़रिए सरायकेला-ख़रसावांके पुलिस उपाधीक्षक कार्यालय से हासिल महत्वपूर्ण दस्तावेज़ बताते हैं कि, 18 मई, 2017 को बच्चा चोरी की अफ़वाह में चार लोगों की हत्या हुई. राजनगर थाना में दर्ज विभिन्न कांडों में कुल 21 लोगों को नामज़द एवं 400-500 अज्ञात लोगों को अभियुक्त बनाया गया है.
इन कांडों में कुल 20 लोग जेल में हैं और एक के फ़रार रहने की स्थिति में कुर्की-जप्ती की कार्रवाई की गई है. घटना में शामिल अज्ञात लोगों को चिन्हित कर गिरफ़्तारी का प्रयास किया जा रहा है…
पुलिस की लापरवाही से हुई चारों की मौत
गांव के लोगों का कहना है कि, पुलिस अगर चाहती तो चारों को मरने से बचा सकती थी. लेकिन हद तो यह है कि जहां हज़ारों की भीड़ थी, वहां थाना प्रभारी सिर्फ़ 6 पुलिस वालों के साथ भीड़ से निपटने की कोशिश कर रहे थे. पूरे डेढ़ घंटे बाद अतिरिक्त पुलिस बल के लिए ज़िला मुख्यालय फोन किया गया. लेकिन वहां से भी लापरवाही बरती गई. थाना प्रभारी के फोन के क़रीब दो घंटे बाद डीएसपी और एसडीओ यहां पहुंचे.
बता दें कि इस घटना में चार लोगों में से सबसे पहले मो. नईम को मुर्तुज़ा के घर के सामने ही पीट-पीटकर मार डाला गया. सज्जाद, हलीम और सिराज को शोभापुर से 10 किलोमीटर दूर पदनामसाईं गांव में मारा गया. इस मामले में मुर्तुज़ा की भी पिटाई हुई, लेकिन वो बच गए. नईम पूर्वी सिंघभुम के घाटशिला प्रखंड का रहने वाला था. वहीं सिराज, सज्जाद और हलीम पूर्वी सिंघभुम के पोटका प्रखंड के हल्दीपोखर पंचायत के हैं.
आदिवासियों के लिए बच्चा चोर, तो हिन्दुओं के ख़ातिर गो-मांस तस्कर
अब हम शोभापुर से क़रीब 18 किलोमीटर दूर हल्दीपोखर के आज़ाद बस्ती में थे. यहां सिराज खान का परिवार रहता है.
सिराज की शादी सिर्फ़ डेढ़ साल पहले हुई थी. उनकी 19 साल की पत्नी तारा खातून जल्द ही सिराज के बच्चे को जन्म देने वाली हैं. तारा ख़ातून के मां-बाप और सास-ससुर नहीं हैं. वो अपने खालू के घर पर रहती हैं.
तारा कहती हैं, सरकार से दो लाख रूपये मुवाअज़ा के अलावा कुछ भी नहीं मिला है. नौकरी का वादा किया गया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ. वो सिराज की मौत को याद करके रो पड़ती हैं. और रोते-रोते कहती हैं —‘मेरे पति के हत्यारे को सज़ा ज़रूर मिलनी चाहिए.’ लेकिन वो फिर बताती हैं —अभी तक तो सुनवाई भी नहीं हुई है.
रहमानिया बस्ती में रहने वाले शेख़ हलीम के भाई बताते हैं कि, पहले वाले थाना प्रभारी का ट्रांसफर हो गया. उनकी जगह दूसरे थाना प्रभारी आएं. वो इस कांड में शामिल लोगों को गिरफ़्तार करना चाह रहे थे, लेकिन इनका भी ट्रांसफर कर दिया गया. अब तीसरे थाना प्रभारी आए हैं. देखते हैं कि ये क्या करते हैं. इनके मुताबिक़ इस घटना के दो मुख्य आरोपी छूट चुके हैं.
वो बताते हैं कि हलीम के तीन बच्चे हैं. दो लड़की, एक लड़का. सबसे बड़ी लड़की 11 साल की है. लड़का दो साल का है.
इस बातचीत के दौरान पास में ही हलीम के पिता शेख़ क़ाज़ीमुद्दीन (63) बैठे हैं. हमारी बातें सुनकर रो पड़ते हैं.
इसी बस्ती में आगे मो. सज्जाद का घर है. इनके भाई मो. रहीम (37) का कहना है कि, सज्जाद व हलीम सऊदी अरब में रहते थे. वहां सज्जाद पलम्बर थे, तो हलीम बतौर डीजल मैकेनिक काम करते थे. दोनों वहां 12 साल रहकर आए थे. घर में हाथ लगाया था, ताकि उसे रहने लायक़ बनाया जा सके. लेकिन सबकुछ ख़त्म हो गया. हम लोगों ने ऐसा सोचा भी नहीं था. सज्जाद की दो बेटी हैं. एक सिर्फ़ तीन महीने की तो दूसरी की उम्र तीन साल है.
यहां के लोगों का भी कहना है कि बच्चा चोरी के अफ़वाह की आड़ में साज़िश के तहत इन्हें मारा गया है, क्योंकि ये मुसलमान थे. इन्होंने पहले आदिवासियों में इनको बच्चा चोर बताकर इकट्ठा किया, तो वहीं हिन्दुओं में इन्हें गो-मांस का तस्कर बताया गया.
इस घटना को बीते 6 महीने से अधिक हो चुका है. लेकिन अब तक इस मामले में अदालत में कोई सुनवाई नहीं हुई है.
सराकारी जांच दल भी इन्हें मानती है गो-मांस तस्कर
बताते चलें कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के निर्देश पर बच्चा चोरी की अफ़वाह में हुए हत्याओं की जांच के लिए एक जांच समिति बनाई गई. जांच समिति में इस मामले की भी जांच की. लेकिन इसे बच्चा चोरी की जगह बैल के व्यापार से जोड़कर देखा गया. ये अलग बात है कि पुलिस अपने एफ़आईआर में बच्चा चोरी के अफ़वाह की ही बात मान रही हैं.
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि, हल्दीपोखर में 45 बैल के बड़े व्यापारी हैं. जिसमें 27 हिन्दू समुदाय के हैं एवं 18 मुस्लिम समुदाय के हैं. लेकिन इस बात की जानकारी यहां के अंचल अधिकारी, प्रखंड विकास अधिकारी एवं थाना प्रभारी को नहीं है. इस रिपोर्ट की माने तो हल्दीपोखर में गाय की मांस भी बन रही है.
इस रिपोर्ट इस बात की भी चर्चा है कि, यहां के गांवों में एक मुस्लिम संगठन तैयार किया गया है. इस संगठन का संबंध मुस्लिम एकता मंच से भी है. मुस्लिम एकता मंच के सभी सदस्य पर ज़मीन हड़पने का आरोप है.
ये रिपोर्ट अपने निष्कर्ष में यह बताती है कि, हल्दीपोखर में गाय का मांस कटता है, जिसको जमशेदपुर में बेचा जाता था. लेकिन थाना प्रभारी, अंचल अधिकारी व प्रखंड विकास अधिकारी को इसकी जानकारी थी, लेकिन इनके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई, जो लापरवाही का घोतक है.
ये रिपोर्ट यह बताता है कि मो. सज्जाद, शेख़ हलीम, सिराज व नईम गाय, बैल का व्यापार करते थे, साथ ही मवेशी चोरी करने में भी संलिप्त थे. इसके अतिरिक्त हल्दीपोखर में जो अवैध बुचड़खाना है, वहां से गाय-बैल का मांस जमशेदपुर बेचवाने का काम करते थे.