TwoCircles.net News Desk
कासगंज/लखनऊ: कासगंज का दौरा करते हुए उत्तर प्रदेश की सामाजिक व राजनीतिक संगठन रिहाई मंच ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि घटना पूर्व नियोजित थी. तिरंगा यात्रा के नाम पर साम्प्रदायिक तत्वों के ‘वंदे मातरम कहना है तो हिंदुस्तान में रहना है’ जैसे भड़काऊ नारों से शुरु तनाव में चंदन की मौत हुई तो नौशाद घायल हुआ और साम्प्रदायिक तत्वों के हमले में अकरम सिद्दीक़ी की एक आंख की रोशनी चली गई.
रिहाई मंच नेता राजीव यादव और मोहम्मद आरिफ़ ने कहा कि, घटना एक दिन में नहीं भड़की. पिछले 15 अगस्त को भी जुलूस निकालकर तनाव पैदा करने की कोशिश की गई थी. जबकि बडडू नगर के जिस इलाक़े में इस तनाव को पैदा किया गया, वो शहर की कोई मेन रोड नहीं बल्कि एक सकरी गली है. ऐसे में तिरंगा यात्रा सिर्फ़ बहाना है.
प्रथम दृष्टया ये घटना बडडू नगर में तिरंगा फहरा रहे मुस्लिम समुदाय के लोगों के कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ नारे और भगवा झंडे को लेकर शुरू हुई. जहां दोनों के भिड़ंत के बाद अफ़रा-तफ़री का माहौल बन गया. बडडू नगर के इलाक़े में अपनी बाइकों को छोड़कर भागे लोगों ने जब शहर के अन्य हिस्सों में तांडव करने लगे, तब जाकर पुलिस सक्रिय हुई. पुलिस ने स्थिति पर क़ाबू पाने के लिए गोलियां भी चलाई. इसी दौरान चंदन की मौत हुई. वहीं नौशाद भी पुलिस की गोली लगने से घायल हुआ.
इस घटना पर उस दिन नियन्त्रण हो गया पर चंदन की मौत के बाद स्थानीय सांसद व भाजपा नेताओं के दबाव में प्रशासन ने प्रतिशोध के नाम पर साम्प्रदायिक तत्वों को लूट-पाट, आगजनी करने की खुली छूट दी. जहां मुस्लिम समुदाय के लोग एक-दुक्का रिहाइस या दुकानें थी वो इसकी चपेट में आई. वहीं बडडू नगर जहां से तनाव शुरू हुआ वहां हिन्दू समुदाय के लोगों की रिहाइस, व्यवसायिक प्रतिष्ठान या धार्मिक स्थल सुरक्षित हैं. लेकिन मुस्लिम समुदाय के धार्मिक स्थलों को सांप्रदायिक तत्वों ने निशाने पर लिया.
बिलराम गेट, नदरई गेट और सोरों गेट, तहसील रोड के आसपास के इलाक़ों में सांप्रदायिक तत्वों ने आगजनी और तोड़फोड़ की घटना को अंजाम दिया. गुलाबी नगर के बस स्टैंड के पीछे मुस्लिम मकानों में भी आगजनी की गयी. अमांपुर अड्डे और गंगेश्वर कॉलोनी में भी इसी तरह की घटनाएं हुई हैं.