महात्मा गांधी का ख़्वाब था, बेख़ौफ़ आज़ादी

TwoCircles.net News Desk


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पटना : ठीक 11 बजे सायरन की आवाज़ गूंजी और पटना के अलग-अलग हिस्सों में आम नागरिक मौन खड़े हो गए. सायरन की आवाज़ दो मिनट तक गूंजती रही. यह पटना के आम नागरिकों का मौन सत्याग्रह था. मौन सत्याग्रह टूटा तो बापू का प्रिय भजन हवा में तैरने लगा… ‘वैष्ण्व जन तो तेने कहिए जी, जो पीड़ पराई जाणे रे. पर दु:खे उपकार करे तोये, मन अभि‍मान न आणे रे…’

सत्याग्रह महात्मा गांधी की शहादत दिवस के मौक़े पर था. यह कार्यक्रम पटना के सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों की ओर से दो दिवसीय आयोजन ‘हे राम… बापू को बिहारी जन का सलाम’ के तहत किया गया.

मुख्य कार्यक्रम पटना के गांधी मैदान में भि‍खारी ठाकुर रंगभूमि पर दिन भर चला. यहां पर नाटकों, गीतों, कविता पाठ और जन-संवाद के ज़रिए देश में फैलती झूठ, नफ़रत और हिंसा के माहौल के ख़िलाफ़ पुरज़ोर तरीक़े से आवाज़ बुलंद की गई. इस पर ख़ास चिंता ज़ाहिर की गई कि जिस नफ़रत के माहौल में गांधी जी की हत्या हुई थी, वैसा ही माहौल देश में फिर बनाया जा रहा है. बापू तो बेख़ौफ़ आज़ादी का ख़्वाब देखते थे. आज आज़ादी पर ख़ौफ़ का साया है. इसी पृष्ठभूमि में यह आयोजन त्याग, प्रेम, असहिष्णुता, भाईचारा, बंधुत्व की पैरोकारी के लिए था.

यह जानकारी बिहार इप्टा के महासचिव तनवीर अख्तर ने मंगलवार को यहां दी. उन्होंने बताया कि ‘हे राम… और मौन सत्याग्रह’ के तहत पटना में 21 जगहों पर बापू को श्रद्धांजलि दी गई. दो मिनट का यह मौन सत्याग्रह आम लोगों ने अपने मोहल्लों, नुक्कड़ों, चौराहों पर आयोजित किया था. ऐसा ही आयोजन बिहार के अन्य ज़िलों में भी किया गया है.

नाटकों का मंचन

इस मौक़े पर नाट्य संस्था एचएमटी द्वारा बापू के जीवन प्रसंगों पर आधारित  नाटक ‘बापू’ का मंचन किया गया. इसके लेखक, निर्देशक व गांधी की भूमिका में सुरेश कुमार हज्जू थे. इसमें मुख्य रूप से अनामिका, सोनाली, रोशनी, प्रिंस राहुल आदि ने भूमिका निभाई.

पटना इप्टा ने इस मौक़े पर दो नाटक पेश किए. पहला नाटक हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचना पर आधारित ‘महात्मा गांधी को चिट्ठी पहुंचे’ था. इसे पूरी टीम ने मिलकर तैयार किया है. इसमें मुख्य तौर पर समता कुमार, संजय कुमार, विकास श्रीवास्तव ने भूमिका निभाई. दूसरा नाटक प्रेमचंद की कहानी पर आधारित ‘सवा सेर गेहूं’ था. इसका रूपांतरण अवधेश और निर्देशन परवेज़ अख्तर ने किया है. मुख्य भूमिका में दीपक कुमार, सूरज पाण्डेय, रोशन कुमार प्रभात कुमार थे.

बापू को समर्पित संगीत प्रस्तुति

इस मौक़े पर बापू के विचारों को पुख्ता करने वाले गीतों की दिन भर प्रस्तुति हुई. इसमें बापू के प्रिय भजन, मौजूदा हालात को दिखाने वाले जन गीत, मशहूर रचनाकारों की रचनाएं शामिल थीं. यह प्रस्तुतियां मशहूर संगीतकार सीताराम सिंह के नेतृत्व में हुई. पटना इप्टा के कलाकारों ने मख्दूम मोहिउद्दीन की रचना ‘जाने वाले सिपाही से पूछो’, सलील चौधरी की ‘ओ मेरे देशवासी’, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की ‘बोल के लब आज़ाद हैं तेरे…’, शंकर शैलेन्द्र की ‘तू ज़िन्दा है तो ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर…’, रामाज्ञा प्रसाद शशिधर की ‘वह सारे हमारी क़तारों में शामिल…’ पेश किया. इन गीतों को श्वेत प्रीति, रश्मि, रितु, जया, आर्या, गुंजन ने पेश किया. इनके अलावा हीरावल के राजन कुमार ने गोरख पाण्डेय और लोक गायिका नीतू नवगीत ने दो गीत पेश किए.   

इस मौक़े पर नासिरूद्दीन ने नफ़रत और हिंसा के माहौल पर पर्चे का पाठ‍ किया. इस पाठ में अंत में जनता से सवाल किया गया कि क्या हम ये खुलकर बोलने को तैयार हैं कि मैं देश में धर्म, जाति, लिंग के नाम पर हो रहे ख़ून-ख़राबे के ख़िला़फ हूं? मैं इसमें शामिल नहीं हूं? मैं नफ़रत, अफ़वाह, झूठ फैलाने वाली सियासत के ख़िलाफ़ हूं? मेरे लिए हर इंसान की जान उतनी ही क़ीमती है, जितनी मेरी जान है? अगर हमारा जवाब हां है तो आइए, नफ़रत के ख़िलाफ़, मोहब्बत के लिए हम सब मिल के चलें. यही वक़्त की आवाज़ है.

इस पर्चे की भावना को इप्टा के कलाकारों ने प्रेम धवन के गीत ‘यह वक़्त की आवाज़ है, मिल के चलो…’ के ज़रिए पेश किया. कार्यक्रम का समापन नफ़रत, झूठ, हिंसा के ख़िलाफ़ ‘हम होंगे कामयाब’ गीत से हुआ.

गांधी के विचारों की प्रदर्शनी

भि‍खारी ठाकुर रंगभूमि, गांधी मैदान में ही गांधी के विचारों की एक प्रदर्शनी ‘बापू’ लगाई गई थी. नटमंडप के सौजन्य से लगाई गई यह प्रदर्शनी वरिष्ठ पत्रकार नासिरूद्दीन ने तैयार की है. इस प्रदर्शनी में ख़ासतौर पर अलग-अलग धर्मों के बीच आपसी सम्बंध, साम्प्रदायिक हिंसा, साम्प्रदायिक सद्भाव, बंटवारा, आज़ाद भारत कैसा बनेगा – आदि मुद्दों पर गांधी के विचारों को पेश किया गया था. प्रदर्शनी आम लोगों के बीच ख़ास आकर्षण का केन्द्र रही.

जन संवाद : किसने क्या कहा

बिहार इप्टा के महासचिव तनवीर अख्तर ने कहा कि हमें आज के माहौल में गांधी के मूल्यों को फिर से ज़िन्दा करने की ज़रूरत है. हमें गांधी के मूल्यों को अपने घर-परिवार-मोहल्ले में ले जाने की ज़रूरत है. तभी हम एक मानवीय समाज बना पाएंगे. 

पटना विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर डॉक्टर डेजी नारायण ने कहा कि गांधी को मारने से उनके विचार मर नहीं सकते हैं. उनके विचार हमारे आपके बीच ज़िन्दा हैं.

पटना इप्टा के अध्यक्ष डॉक्टर सत्यजीत ने कहा कि गांधी की हत्या, वैचारिक हत्या है. हत्या का वह विचार आज भी हमारे समाज में मौजूद है. हमें सोचना है‍ कि हम उस विचार के साथ जाएंगे या गांधी के मूल्यों के साथ जिएंगे.

सामाजिक संगठन कोशि‍श के रूपेश ने कहा कि आज हमें गांधी के विचारों पर फिर से गौर करने की ज़रूरत है. उन्होंने गरीबों और मज़दूरों की बदतर हालत का ज़िक्र करते हुए कहा कि लोग रोज़ी-रोटी की तलाश में घर से बाहर जाते हैं. वहां उन्हें नफ़रत का सामना करना पड़ रहा है. हिंसा से रूबरू होना पड़ रहा है.

वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मदन ने गांधी के विकास की परिकल्पना पर बात की. उन्होंने कहा कि आज जो विकास हो रहा है, वह गांधी के विचारों से अलग है. यह विकास भाईचारा विरोधी है और बेरोज़गारी पैदा करने वाला है. स्वेदशी आज गायब हो चुकी है.

उन्होंने गांधी के हवाले से कहा कि विकास का पैमाना यह होना चाहिए कि उससे समाज के निचले तबक़े का विकास हो रहा है या नहीं. 

वामपंथी नेता रामलल्ला सिंह ने कहा कि गांधी केवल राजनीतिक आज़ादी की बात नहीं करते थे, बल्कि आर्थिक स्वतंत्रता की भी बात करते थे. कई लोगों को इसकी वजह से परेशानी होने लगी. इसी कारण उन्हें एक साज़िश के तहत मार दिया गया.

वरिष्ठ पत्रकार और नारीवादी कार्यकर्ता निवेदिता ने कहा कि अभी जो माहौल बनाया जा रहा है, उससे ऐसा लगने लगा है कि कहीं ऐसा न हो कि हमें खुलकर बात करने में डर लगने लगे.

उन्होंने कहा कि इस लिहाज़ से ख़ौफ़ से लड़ने के लिए गांधी के विचारों को याद करने की सख़्त ज़रूरत है.

बिहार इप्टा के कार्यकारी सचिव सीताराम सिंह ने कहा कि आज डर पैदा किया जा रहा है. हम ऐसे माहौल में जी रहे हैं, जहां अब भी बोलने में डर लगने लगा है. हमें कुछ भी बोलने से पहले कई बार सोचना पड़ता है. बोलने और सोचने की वजह से ही कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. यह बापू का भारत नहीं है.

दो मिनट का मौन सत्याग्रह कहां-कहां हुआ

गांधी मैदान, डाकबंगला चौराहा, भगत सिंह चौक -पटना सिटी, फुलवारी शरीफ़, मंसाराम का अखाड़ा, गोलघर, कांग्रेस मैदान, वीर चंद पटेल पथ, लोहानीपुर, नेहरूनगर, चितकोहरा गोलम्बर, दानापुर टेम्पो स्टैंड, खगौल, कंकड़बाग, मसौढ़ी, जहानाबाद, हिलसा, बिहटा, सलेमपुर, खुसरूपुर आदि जगहों पर बड़ी तादाद में लोगों ने गांधी जी को श्रद्धांजलि देते हुए मौन सत्याग्रह में भाग लिया.   

कार्यक्रम के आयोजक

इप्टा की पहल पर कोशिश, अल-ख़ैर चैरिटेबुल ट्रस्ट, बिहार साम्प्रदायिकता विरोधी कमिटी, ईस्ट एण्ड वेस्ट एजुकेशनल सोसायटी, प्रेरणा, ऑक्सीजन, समर, आदर्श दिव्य विकास, पटना सिटी इप्टा, सूत्रधार, सदा, मंथन कला परिषद, अनुपम समाज सेवा संस्थान, महिला जागरण केन्द्र, अभियान: जहानाबाद, रंगसृष्टि, हिरावल, एचएमटी, आशा, दि स्ट्रगल, कोरस, पुनश्च, लोक समिति, सर्वोदय मंडल, राजेन्द्र मेमोरियल ट्रस्ट फॉर रूरल डेवलपमेंट, जन, नटमंडप, कैम्पेन अगेंस्ट चाइल्ड लेबर, शहरी ग़रीब विकास संगठन, बिहार राज्य गांधी स्मारक निधि, निर्माण, असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन, कहानी घर ने इस दो दिनी कार्यक्रम का आयोजन किया.

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