आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net
रामनगर : मुरादाबाद से नैनीताल मार्ग पर 65 किमी चलने पर रामनगर नाम वाला एक कस्बा है. उत्तराखंड के सौंदर्य की छटा यहीं से बिखरनी शुरू हो जाती है. इसी रामनगर में अनीस अहमद अंसारी वन विभाग में बतौर डीएलम तैनात है इनकी सबसे छोटी बेटी बुशरा अंसारी यूपीएससी में चयनित हो गई. जिसके बाद यहां जश्न का माहौल है.
देश की इस सबसे बड़ी परीक्षा में इस बार साढ़े पांच लाख क़ाबिल युवाओ ने ताल ठोंकी थी इनमे 990 कामयाब हुए. खास बात यह है कि विभिन्न सख्त अनुभवों से दोचार होते हुए भी इस संख्या में 54 मुस्लिम ने यूपीएससी के इतिहास की सबसे बड़ी संख्या को रची. बुशरा अंसारी भी इनमे से एक है यह एक बड़ी कामयाबी है.
26 साल की जमिया इस्लामिया दिल्ली से तैयारी करने वाली बुशरा अंसारी को मगर इससे भी संतुष्टि नही है और वो थोड़ा ज्यादा की ख्वाहिश रखती है.
बुशरा कहती है, “अल्लाह का शुक्र है कि यूपीएससी में चुनी गई मगर इस रेंक के साथ शायद आईएएस होना मुश्किल है, यह मेरी माँ की दुआ और अब्बू की मेहनत से हुआ है मगर अभी ख्वाब पूरा नही हुआ अभी इंशाअल्लाह और कोशिश करती हूँ अब्बू के घर मुरादाबाद का डीएम बनना है.”
बुशरा के इस बात को मजबूत करने के अपने तर्क है जैसे यूपीएससी के टॉपर अनुदीप 2016 में कम रेंक पाकर आईएएस नही बन पाए थे मगर उन्होंने आईआरएस जॉइन कर लिया था. अब 2017 की इस परिणाम में अनुदीप ने टॉप किया है, एक दर्जन से ज्यादा सिर्फ मुस्लिम प्रतिभागियों ने फिर से चयनित होने के बाद एग्जाम दिया फिलहाल मेरा लक्ष्य कलक्टर बनना है और इंशाल्लाह मैं यह कर दूंगी. इससे कम पर मेरी बात नहीं बन रही .
इस प्रबल आत्मविश्वास पर बुशरा की अम्मी नसीम अख्तर कहती है, “यह बहुत जिद्दी बच्ची है यह नही मानेगी इसे टॉप 10 में आने की जिद है क्लास वन अफसर हो गई है मगर इसका विजन बड़ा है.
बुशरा की अम्मी नसीम अख्तर एक स्थानीय स्कूल में पढ़ाती है. वो हमें बताती है “बचपन से बुशरा बेहद सीरियस नेचर की है बेहद प्रभावशाली ढंग से बात करती है घर में सबसे छोटी है मगर बातें बड़ी -बडी करती है.
इस समय बतौर प्रशिक्षु एसडीएम टिहरी गढ़वाल में तैनात है. वो हमे बताती है कि उनकी बहन सहला अंसारी उनकी सबसे बड़ी प्रशसंक है और उसी ने उसे सिखाया है ‘छोटा लक्ष्य अपराध है’. बुशरा अंसारी इससे पहले एक बड़ा काम कर चुकी है वो पिछले साल उत्तराखंड पीसीएस में 11 रेंक पाकर एसडीएम बन चुकी है इस सूची में वो अकेली मुस्लिम लड़की थी फिलहाल वो टिहरी गढ़वाल में ट्रेनिग कर रही है.
बुशरा का भाई मोहम्मद फैज़ एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर है.
बुशरा के पिता अनीस अंसारी अपने बच्चों पर नाज करते हैं वो कहते है “अल्लाह का शुक्र है हमारे घर मे बहुत मजहबी माहौल है बच्चों में सादगी है और वो अपनी जिम्मेदारी समझते है. 2015 में बीटेक करने के बाद घर की जरूरत को समझते हुए बुशरा एक निजी कम्पनी में नौकरी करने लगी तो मेरे दिल को तकलीफ हुई उसे लगता था कि अब्बू पर बोझ बढ़ गया है और आगे की पढ़ाई महंगी है फिर मैंने उसे बुला लिया.”
इसके बाद वो उत्तराखंड पीसीएस में एसडीएम चुन ली गई इस बात ने भी हमारे घर मे माहौल खुशनुमा बना दिया. रिश्तेदारों में हमारी इज्जत बढ़ गई नये नये लोग मिलने लगे. एक बार मैं बुशरा को कहकशां अंसारी के पास लेकर गया था वो भारत की पहली मुस्लिम महिला आईएफएस है उनकी काबिलयत का डंका बजता है मैं भी उन्ही के विभाग में हूँ , वो यहां डीएफओ थी. बुशरा को वहां से भी सीख मिली. उसे टॉप पर रहना पसंद है स्कूल के दिनों से वो ऐसा करती रही है इसलिए शायद रेंक से संतुष्ट नही है मगर हमें बहुत खुशी है हमे उसपर गर्व है.