आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net
कैराना : उत्तर प्रदेश में कैराना लोकसभा उपचुनाव महागठबंधन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. इसमें हार-जीत भविष्य की राजनीती तय करेगी. लेकिन यहाँ महागठबंधन का भविष्य ‘देवर-भाभी’ के रिश्ते और उसके नेताओ के ‘राजमहल’ में आराम फरमाने में सिमट गया है.
रालोद प्रत्याशी तबस्सुम हसन जो महागठबंधन के समर्थन से चुनाव लड़ रही हैं, उनके घर की गली के बाहर सड़क के ऊपर एक बैनर लगा है. इसमें उनके दिवंगत पति पूर्व सांसद चौधरी मुनव्वर हसन की बराबर में कैराना चेयरमैन अनवर हसन की तस्वीर है और उनके भाई कंवर हसन को लोकसभा में बतौर लोकसभा प्रत्याशी जिताने की अपील है. यह वही कंवर हसन है जो तबस्सुम के देवर हैं और पिछले चुनाव में बसपा के टिकट पर लड़े थे. एक लाख 60 हजार वोट पा गये थे.कंवर हसन इस बार लोकदल प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं वो नाहिद हसन (तबस्सुम के बेटे और वर्तमान सपा विधायक कैराना) के चाचा है. पड़ोस के शफी आलम बताते हैं कि अभी तीन दिन पहले नाहिद हसन अपने चाचा को मनाने गए थे. वहां गुर्जर बिरादरी के चौधरी भी बैठे थे. नाहिद ने कहा चाचा आप हमारे साथ आ जाओ मैं जीत के अगले दिन ही विधायकी छोड़ दूंगा आप चुनाव लड़ लेना. कंवर हसन का कहना है कि भाई (स्व० मुनव्वर हसन) की सियासी जमीन को सींचने का काम उन्होंने भी किया जबकि लाभ अकेले भाभी ले रही है. उनको भी उनका हक मिलना चाहिए सब चुनाव वो ही लड़ रही है.बहुत कोशिशें हुई मगर बात बनी नही अब कंवर हसन इतनी वोट तो प्रभावित कर ही देंगे की तब्बसुम हसन हार जाए .इस पंचायत में शामिल रहे यामीन( 65)कहते है कि बातचीत में कुछ यह समझ मे आया की नाहिद तो अपने चाचा की बात समझ सकता है मगर ‘देवर भाभी ‘ के रिश्ते में कड़वाहट बहुत है।
यही एक वजह है कैराना के लोग अभी यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि इस चुनाव में उन्हें क्या करना है ज़ाहिद अहमद (45) कहते है अब अनवर हसन (कँवर हसन के भाई ) चेयरमैन है और नाहिद हसन विधायक है कंवर हसन और अनवर की एक बात है बड़े लोगो का मामला है खुले तौर पर एक के समर्थन का मतलब है दूसरे की आंख में खटकना अब अगर गर्मी ज्यादा न हुई तो वोट डाल आएंगे.यहां कोई सियासी हलचल नही है.
बाकी तबस्सुम हसन के घर पर शांति हैं. दोपहर बाद चार बजे उनके घर पहुंचने पर 12 साल का एक लड़का नदीम हमे बताता है “नाहिद तो है नही तब्बुसम है !”. फिर वो थोड़ी देर बाद आकर बताता है कि तब्बुसम भी अब नही है कहीं चली गई है.बाहर पूर्व सांसद तब्बसुम हसन की फॉर्च्यूनर कार खड़ी है .मुनव्वर हसन के घर मे इस समय चार पांच लोग बैठे है. इनमे से एक कहता है “भाईजी बुरा मत मानना गर्मी बहुत है और तब्बुसम का रोजा भी है थक कर सो गई होगी .”
तभी घर के बाहर एक ई रिक्शा आकर रुकता है जिसमे रिकॉर्ड किया गया प्रचार सन्देश तेज आवाज़ में बज रहा है इसमें कहा जा रहा है “यह चुनाव कोई मामूली चुनाव नही है पूरे देश की इसपर नजर है आप 28 मई को गठबंधन की प्रत्याशी तब्बुसम को वोट देकर भारी मतों से विजय बनाए यह आपकीं कामयाबी होगी .दूसरी मंजिल पर अपने समस्त सुविधा सम्पन्न कमरे में आराम कर रही तब्बुसम हसन तक शायद ही यह आवाज़ पहुंच रही है.
तब्बसुम हसन 2009 में अपने पति सांसद मुनव्वर हसन की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ी और लोकसभा की सदस्य बन गई .सहानभूति लहर ने उन्हें 7 बार के विधायक हुकुम सिंह पर बड़ी जीत दिलवा दी .उसके बाद 2013 में उनके पुत्र नाहिद हसन ने लोकसभा चुनाव लड़ा जिसमे हुकुम सिंह ने नाहिद को हरा दिया.अब तब्बसुम हसन जिला पंचायत सदस्य है और नाहिद विधायक .
नाहिद हसन ने विधानसभा में जीत मृगांका सिंह को हराकर हासिल की थी अब यही मृगांका भाजपा की प्रत्याशी है पिछले 30 साल कैराना से हार और जीत इसी एक परिवार में उलझी है .
दिवंगत सांसद मन्नवर हसन चारो सदनो के सदस्य रहे देश के एकमात्र नेता है और गिनीज बुक में उनका नाम दर्ज है उनकी मौत पर इसी घर पर हुकुम सिंह को लोगो ने रोते हुए देखा था.
दूसरी ओर सुबह कैराना जाते समय शामली के एक होटल ‘राजमहल’ के बाहर दर्जनो बड़ी कारे दिखाई दी थी जो शाम 6 बजे भी वैसे ही खड़ी है ज्यादातर पर सपा का झंडा लगा है. इन महंगे वाहन से वो युवा नेता आये हैं जो हर बात पर अपनी जवानी सपा मुखिया अखिलेश यादव के नाम कुर्बान कर देते हैं. लेकिन गरमी ज्यादा हैं फिलहाल होटल ‘राजमहल’ में आराम कर रहे हैं. वहां खड़ा एक सपा समर्थक बताता हैं कि सम्मान से जुड़े इस चुनाव में जिम्मेदारी दिन भर एसी कमरों में आराम कर निभाई जा रही है.
ये अलग बात हैं कि ज़्यादातर सपा के नेता सोशल मीडिया पर दावा कर रहे हैं और कैराना में अपनी अथक मेहनत का बखान कर रहे हैं. बागपत से पहुचे एक सपा नेता ने बताया कि ये एक कटु सत्य है, मेहनत सिर्फ रालोद नेता जयंत चौधरी कर रहे हैं बाकी सपा का हाल आप खुद देख लीजिये.
दूसरी तरफ भाजपा बेहद गम्भीरता से चुनाव लड़ रही है भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह सुबह 6 बजे घर से निकल जाती है और देर रात तक वापस आ रही है .भाजपा ने हर बूथ पर दस युवाओं की एक कमेटी बनाई है जो मतदाताओं को बूथ तक लेकर आएगी .
800 किमी दूर इलाहाबाद तक के भाजपा कार्यकर्ता यहां बीजीपी के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं. मंगलवार को एक ही दिन में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने यहां सभा की.केशव चौसाना में और योगी आदित्यनाथ अंबेहटा में मृगांका सिंह को जिताने की अपील कर रहे थे .
उधर राजनीतिक गहमागहमी के बीच शामली बस अड्डे के आसपास मेरठ करनाल रोड पर कैराना लोकसभा चुनाव के बहिष्कार के दर्जनो पोस्टर लगे है तमाम व्यापारिक प्रतिस्थानो शामली बाईपास की मांग को चुनाव के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है बैटरी व्यापारी चंचल गोयल कहते हैं “शामली में जाम की बहुत बड़ी समस्या है घण्टो जाम लगा रहता है सालो से इसका कोई समाधान नही है शहर के अंदर ही शुगर मिल है तमाम नेताओं के सामने दुःखडा रो चुके है मगर कोई लाभ नही बैटरी पर 28 फीसद जीएसटी लगी है कारोबार वैसे ही ठप है हम वोट नही करेंगे .
शामली के कालजयी समस्या बने जाम से निजात के लिए यहां ट्रेफिक डाइवर्ट किया गया है एक और व्यापारी नीरज अग्रवाल कहते है यह हमारी परवाह के लिए नही है वरना ऐसा पहले करते यह तो मंत्रियों की फौज जो यहाँ काम कर रही है उनके लिए है . कैराना लोकसभा का हिस्सा बनत कुल दस नगर नगर पंचायतो में से एकमात्र ऐसी नगर पंचायत है जहां बीजेपी का चेयरमैन है यहां के रिजवान अंसारी (28) कहते है “यहाँ भी जबरदस्ती बीजेपी का चेयरमैन बनाया गे. पूरे देश ने देखा कैसे वजाहत भाई के साथ ज्यादती हुई बीजेपी की नीतियां बहुत खराब है देश मे नफरत फैलाने वाली है अब प्रत्याशी कोई भी हो वोट बीजीपी को हराने के लिए की जाएगी .
किसानो हितों के जानकर जितेंद्र हुड्डा स्थानीय जाट समाज में काफी लोकप्रिय है वो कहते हैं ” पता नहीं कैसे देश के उच्च पदों पर आसीन लोग झुठ बोल रहे है सिर्फ कैराना लोकसभा में किसानों के गन्ने का 890 करोड़ रुपए बकाया है और यह हालत तब है जब गन्ना मंत्री भी यहीं के रहने वाले हैं और यही कारण है कि हम यहां जिन्ना पर नही गन्ना पर बात कर रहे हैं.
जितेंद्र कहते है कि पलायन जैसे आधारहीन और झूठे मुद्दों पर भाजपा जबर्दस्ती लोगो का ध्यान खींचती है अब जब किसान को पैसा नही मिलेगा तो वो बाजार में क्या खरीदगा और इससे कारोबार ठप हो जायेगा तो लोग कैराना क्या शामली से भी पलायन कर जायँगे.अब सरकार रोजगार दे समाज में एक समुदाय का डर पैदा न करें ,पलायन यहाँ कोई मुद्दा नही है कोई अगर यहाँ से गया भी है तो वो रोजगार की परेशानी पैदा होने पर गया . शामली से हजारों लोग दिल्ली ,सहारनपुर और देहरादून चले गए इसपर तो हुकुम सिंह नही बोले थे अब अगर किसानों को उनका पैसा नही मिला तो वो भी अपने बच्चो को पालने के लिए घर छोड़ देंगे .पलायन एक झूठी गढ़ी हुई कहानी है.
मुद्दे बहुत हैं लेकिन धीरे धीरे सब ध्रुवीकरण की तरफ बढ़ सकते हैं. ऐसे में महागठबंधन की आरामतलबी कहीं उसके लिए हार का सबब न बन जाये.