मुद्दों की लड़ाई में नहीं लगेगा जातिवाद-धर्मवाद का तड़का

फ़हमीना हुसैन, TwoCircles.net

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में बिहार के चार सीटों पर मतदान हो चुका, वही दूसरे चरण में पांच सीटों पर मतदान होना है. जिसमें पूर्वी बिहार के पांच लोकसभा क्षेत्र किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, बांका और भागलपुर जहाँ 18 अप्रैल को मतदान होगा। दरअसल पहले चरण के मतदान के बाद बिहार में सबसे बड़ी चिंता कई जगह उम्मीद से कम प्रतिशत मतदान को लेकर भी है.


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इन सभी सीटों में किशनगंज की सीट पर सभी की निगाह टिकी है, दरअसल पश्चिम बंगाल से सटे किशनगंज में लगभग 69 प्रतिशत मुस्लिमों की संख्या है जिसमें 31 प्रतिशत हिन्दू वोटर हैं. अल्पसंख्यक बहुल किशनगंज में कांग्रेस की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है. इस बार का चुनाव कांग्रेस के लिए आसान नहीं लग रहा है.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कासमी पहली बार 2009 में मुस्लिम बहुल किशनगंज सीट से लोकसभा चुनाव जीते थे. 2014 के चुनावों में भाजपा की लहर के बीच भी मौलाना असरारुल हक़ ने किशनगंज लोकसभा सीट को रिकॉर्ड मतों से जीता था. किशनगंज से कांग्रेस सांसद मौलाना असरार-उल-हक़ क़ासमी के 7 दिसंबर 2018 को निधन के बाद राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गया.

लोकसभा चुनाव 2019 के जदयू से सैयद महमूद अशरफ, कांग्रेस प्रत्याशी डा. मो. जावेद व AIMIM प्रत्याशी अख्तरुल ईमान  के बीच त्रिकोणीय मुकाबला रहेगा. कांग्रेस प्रत्याशी डा. मो. जावेद पहली बार लोकसभा चुनाव में उतरे हैं हालांकि इससे पूर्व वे चार बार विधायक रह चुके हैं. जबकि एआईएम्आईएम प्रत्याशी अख्तरुल ईमान दूसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

70 वर्षीय अली इमाम का कहना है कि उन्होंने कुछ सालों में देश के बदलते हालत और कड़वाहट हो तेज़ी से देखा है. उनका मानना है कि मुसलमानों के साथ देश की राजनीति ने हमेशा ही छल किया है, किशनगंज, सीमांचल के मुसलमान जहाँ पहले थें वहीँ आज भी हैं. इसलिए जाति-धर्म और पार्टी से ऊपर उठ कर समाज के लिए सोचने वाले व्यक्ति को ही प्रत्यासी चुनना पसंद करेंगे.

24 वर्षीय मुख़्तार आलम के मुताबिक पिछली सभी पार्टियों ने सिर्फ मुसलमान युवाओं को ठगने का काम किया है, उनके मुताबिक मुस्लिम युवाओं के पास ना पर्याप्त शिक्षा है और ना नौकरी ऐसे में उन्होंने नए विकल्प के साथ जाना ही बेहतर बताया.

वही किशनगंज के मोजम्मिल ने बताया कि जिस तर्ज़ पर पहले चुनाव होते आये हैं वैसा इस बार का माहौल बिलकुल नहीं है, इस बार सही मुद्दे और सही प्रत्याशी को ही चुना जायगा, शिक्षा और स्वास्थ्य, रोज़गार ये बहुत ज़रूरी मुद्दे हैं. बिहार में पहले जाति की राजनीति माने रखती थी लेकिन अभी सही प्रत्यासी चुना हमारी ज़िम्मेदारी और अधिकार है.

हालांकि स्थानीय लोगों की माने तो इस बार किशनगंज सीट से AIMIM प्रत्याशी अख्तरुल ईमान का पलड़ा भारी माना जा रहा है.

बिहार के इस चरण में पांच सीटों पर 68 उम्मीदवार मैदान में हैं वही 85 लाख 52 हज़ार मतदाता हैं. किशनगंज में कुल मतदाता की बात करें तो 16,52,940,  कटिहार में 16,45,713, पूर्णिया में 17,53,704, भागलपुर में 18,11,980, बांका में, 16,87, 940, हैं. इनमें बांका से गिरिधारी यादव, पुतुल सिंह, जयप्रकाश नारायण यादव, भागलपुर में बुलो मंडल, अजय मंडल और दुलालचंद गोस्वामी, पूर्णिया में उदय सिंह, और संतोष कुशवाहा, कटिहार में कांग्रेस से तारिक अनवर, किशनगंज में मोहमद जावेद और AIMIM के अख्तरुल ईमान और अन्य लोग उम्मीदवार है.

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