फ़हमीना हुसैन, TwoCircles.net
लोकसभा चुनाव में जहां समाज की महिलाएं, पुरुष बराबर की भूमिका निभा रही हैं वहीँ समाज की मुख्यधारा में शामिल होने को लेकर थर्ड जेंडर भी बराबर की भूमिका निभा रही हैं.
वर्षों से मशक़्क़त के बाद इन्हे थर्ड जेंडर के रूप में वोट देने का अधिकार तो मिला लेकिन आज भी इन्हें सरकारी सुविधाओं, राजनितिक पार्टियों द्वारा पेश किया गया एजेंडे से दरकिनार किया गया है. यहाँ तक की प्रधानमंत्री आवास, राशन, स्वास्थ्य सुविघाएं, बैंक लोन जैसे सुविधाएँ तक नहीं मिल पाती जिससे इन्हे लाचार होकर अपने अस्तित्व के लिए ज़द्दोज़हद करनी पड़ती है.
लोकसभा सीटों पर 11 अप्रैल को हुए मतदान में किन्नर मतदाताओं की जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में भागीदारी नगण्य रही. आयोग के आंकड़ों के अनुसार इस मामले में अव्वल रहे बिहार के 70 फीसदी किन्नर मतदाताओं ने मतदान में हिस्सा लिया.
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2014 में लिंक के तीसरे वर्ग के रूप में ट्रांसजेंडर को मान्यता दी. साथ ही केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश देते हुए सामाजिक रूप से पिछड़े इस समुदाय को विशेष दर्ज़ा दिए जाने को कहा.
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