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अवमेला अध्यक्ष और रिहाई मंच महासचिव द्वारा जयपुर ब्लास्ट के आरोप में जयपुर सेंट्रल जेल में कैद आज़मगढ़ सहित आतंकवाद क नाम पर कैद और बंदियों की निर्मम पिटाई पर एक संयुक्त रिपोर्ट जारी की गई है।
इस रिपोर्ट में बुरी तरह घायल बंदियों का समुचित इलाज का आभाव, जेल प्रशासन की यह उदासीनता क्रूरता की पराकाष्ठा के मुद्दों का उल्लेख किया है।
रिपोर्ट जारी करते हुए अवमेला अध्यक्ष डा0 जावेद अख्तर ने कहा जेल में कैद बंदियों के रखरखाव के लिए जेल मैनुअल का प्रावधान है और कैदियों के अधिकारों के जेनेवा कंवेन्शन पर भारत हस्ताक्षरकर्ता भी है उसके बावजूद जयपुर सेंट्रल जेल में जिस तरह से जेल प्रशासन ने हिंसक हमला किया उससे प्रतीत होता है कि जेल प्रशासन अपने को किसी कानून का पाबंद नहीं समझता।
उन्होंने कहा कि मार पिटाई की घटना के बाद बुरी तरह घायल बंदियों का समुचित इलाज नहीं करवाया गया जो बंदियों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता था।
वही शादाब अहमद ने कहा कि जेल की घटना विचलित कर देने वाली है। राजस्थान सरकार से मांग करते हैं कि मामले की समुचित जांच करे।
रिहाई मंच के राजीव यादव ने कहा कि जेल प्रशासन का व्यवहार साम्प्रदायिक मानसिकता से संचालित है। एक ही तरह के आरोप वाले कैदियों के दो समूहों के प्रति जेल प्रशासन का रवैया बिल्कुल अलग है। इस घटना केे दो सप्ताह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी राजस्थान की कांग्रेस सरकार की तरफ से कोई अधिकारिक बयान जारी न होना घटना में शामिल जेल कर्मियों का उत्साह बढ़ाने जैसा है।
उन्होंने कहा कि यह राजस्थान सराकर की ज़िम्मेदारी बनती है कि वह जेल में कैद विचाराधीन कैदियों की सुरक्षा और उनके साथ कानून के अनुरूप व्यवहार को सुनिष्चित करे।
मुहम्मद शुऐब ने कहा कि जयपुर सेंट्रल जेल में जयपुर धमाकों के आरोप में कैद विचाराधीन कैदियों ने हाई सेक्युरिटी कक्ष में शिकायत पेटिका लगाए जाने और जेल मैनुअल में दर्ज विज़िटर्स कमेटी और एक जज को भेजने की मांग करते हुए 28-29 मार्च को भूख हड़ताल की। 29 मार्च को विचाराधीन कैदियों ने इन्हीं मांगों और जेल कर्मचारियों द्वारा मारपीट की धमकी देने को लेकर विशेष अदालत में आवेदन भी किया जिसको संज्ञान में लेते हुए ज़िला जज ने जेल प्रशासन को नोटिस भेजा।
उन्होंने कहा कि जब विचाराधीन कैदी शहबाज़, सैफुर्रहमान, मो० सैफ, सलमान और सरवर जेल पहुंचे तो उक्त मांग करने वाले अन्य कैदियों के साथ इन लोगों की बर्बर तरीके से पिटाई की गई और प्राप्त जानकारी के अनुसार भदोही निवासी शहबाज़ के सिर में गंभीर चोट आई है जबकि आज़मगढ़ निवासी सलमान के हाथ में फ्रैक्चर है।
दरअसल जयपुर सेन्ट्रल जेल में इससे पहले भी सितम्बर 2009 में मोहम्मद सरवर और अन्य को जेल प्रशासन द्वारा लाठियों से पीटा गया जब वे ईद की नमाज अदा करना चाहते थे। जयपुर ही नहीं यरवदा जेल में क़तील सिद्दीकी की अंडा सेल में जून 2012 में हत्या, तिहाड़ जेल में 2010 में सलमान पर धारदार हथियार से कातिलाना हमला, पेशी से लखनऊ जेल लाते वक़्त खालिद मुजाहिद की हत्या, अहमदाबाद जेल में अक्टूबर 2014 में कैदियों को बुरी तरह से मारापीटा जैसे कई घटनाएं रही हैं।
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