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उत्तर प्रदेश में इनकाउंटर के नाम पर राह चलते नवजवानों को उठाकर उन्हें मुठभेड़ में मार गिराने या घायल कर देने के सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं. प्रदेश में अपराध का ग्राफ इतना बढ़ चूका है जिससे आमजनों में भय का माहौल बना है.
दरअसल उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ सरायमीर थाने ने 16 मार्च को गैर कानूनी हिरासत में अभिषेक यादव को उठाया था. जब इसकी खबर अभिषेक के परिवार वालों को मिली तो फर्जी मुकदमें में पुलिस उसको न फसा दे इसको लेकर उनके परिजन भयभीत हो चुके थे.
इस खबर के बाद उत्तर प्रदेश में मानवधिकार मुद्दों पर काम करने वाली रिहाई मंच को परिजनों द्वारा सूचना दिए जाने और किसी अनहोनी की आशंका जताए जाने को लेकर रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने डीजीपी उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न अधिकारियों और मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर हस्तक्षेप का अनुरोध किया था। पुलिस की पिटाई से घायल अभिषेक यादव को सरायमीर पुलिस ने अंत में धारा 151 में चालान कर दिया जिनका ज़िला अस्पताल में उपचार चल रहा है।
अभिषेक यादव ने बताया कि मादक पदार्थों के अवैध कारोबार को लेकर उसने कई बार आपत्ति की थी जिसके चलते पुलिस वालों से मिलकर उसे फंसाने और उसकी आवाज़ बंद करने का प्रयास किया गया।
वही अभिषेक के पिता लोरिक यादव ने भी कहा कि इससे पहले भी थाने की मिलीभगत से इस तरह की साजिश की जा चुकी है, जिससे उच्च अधिकारियों को अवगत भी कराया गया था।
इस मामले में रिहाई मंच के प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि गोतस्करी के नाम पर मेरठ में एनकाउंटर, आज़मगढ़ की सरायमीर पुलिस द्वारा अभिषेक यादव को उठाए जाने पर सवाल उठने के बाद, वहीं आज़मगढ़ जिला जेल में मारपीट के नाम पर समुदाय और जाति विशेष के लोगों पर मुकदमें उत्तर प्रदेश में बढ़े पुलिस अपराधों का ग्राफ बढ़ा है।