Home India News सहारनपुर में रहती है गुरुनानक देव की 19 वी पीढ़ी

सहारनपुर में रहती है गुरुनानक देव की 19 वी पीढ़ी

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By आस मोहम्मद कैफ़, TwoCircles.net

सहारनपुर- सरदार हरचरण सिंह बेदी शहर के दिल कहे जाने वाले घंटाघर के करीब वाली ‘बेदी गली’ में बाइक हेलमेट वाली अपनी दुकान पर घण्टों से ग्राहक का इंतेजार कर रहे हैं। बाज़ार में मंदी है मगर हमारे लिए अच्छा है क्योंकि हम बिना किसी व्यवध्यान बात कर सकते हैं।इसी दुकान के ऊपर उनका परिवार रहता है। जब हम उनसे यह पूछते हैं कि क्या आप गुरुनानक जी के 17 वे वंश हैं तो वो कहते है “नहीं 18वे वंश हैं मगर यह आपको कैसे पता चला हम तो यह किसी को बताते नही है”!

 

हरचरण बेदी अपने भाई चरनजीत सिंह को भी वहीं बुला लेते हैं। हरचरण सिंह बेदी की माँ अमरजीत कौर हमें बताती है कि “सिखों के दसवें गुरु के बाद गुरु ग्रंथ साहिब ही गुरु है उसके बताए हुए मार्ग पर चलना ही धर्म है, हम लोग देहधारी को नहीं मानते हैं। यह सही है मेरे पति कंवर जगजीत सिंह बेदी नानक साहब के 17 वे वंश हैं, हमारे पास इसकी पूरी वंशावली है मगर हमने इसका कभी प्रचार नही किया। यह अलग बात है लोग इस बात को जानते हैं,जब मेरी शादी हुई थी तो मेरे ससुराल वालों को खासी इज्जत मिलती थी। आज भी बहुत से लोग अपने छोटे बच्चों को हमारे पास प्रार्थना के लिए लेकर आते हैं। मेरे पति बाहर जाते थे तो महीनों में वापस आते थे। चरणजीत बेदी बताते हैं कि अब परिवार से कोई उदासियाँ(धार्मिक यात्रा) नही करता। जबकि बड़े बुजुर्ग करते रहते थे।

हरचरण सिंह के बड़े भाई सरदार चरणजीत सिंह की पास में ही कूलर की दुकान है। दोनों के परिवार इन्ही दुकानें के ऊपर की मंजिल पर रहते हैं। वो बताते हैं हम लोग 1947 के बंटवारे में यहां आ गए थे ,नूर मियानी गांव था हमारा,40-50 कमरे थे,हमारे परदादा बाबा विक्रम सिंह जी गुरु जी के 14 वे वंश थे जब हम यहाँ आएँ। हमारे ही परिवार के कुछ लोग पटियाला में रह गए और कुछ ऊना और हिमाचल प्रदेश में चले गए। बहुत तक़लीददेह था बंटवारा। हरचरण बेदी के मुताबिक कि दादा हमें बचपन मे गुरुनानक जी के किस्से सुनाते थे कि कैसे चक्की चलती ही रही और नवाब ने उनसे जेल में जाकर माफी मांगी और उनकी मौत के बाद हिन्दू मुस्लिम सब उन्हें अपना बताकर लड़ने लगे।

अपने बारे में बताते हुए वो कहते हैं, “हमारे दादा नरेन्द्र सिंह बेदी चार भाई थे जिनमें से एक अभी पटियाला रहते हैं और दूसरे अमेरिका चले गए।हमारे बच्चें कॉन्वेंट में पढ़े लिखे हैं। उनकी उदासियों में रुचि नहीं है।

हरचरण कहते हैं कि जब हम यहाँ आए थे तो परदादा की साथ उनके एक मुँह बोले भाई सन्त भागमल भी आए थे उन्होंने यहाँ बहुत साधना की,फिर हमने यहाँ आकर गुरुद्वारे की स्थापना की, संत भागमल की धार्मिक गतिविधियों में रुचि रही मगर धीरे धीरे हमारे बच्चें इससे दूर हो गए। वो अब उतने धार्मिक नही है। हरचरण सिंह के बेटा कँवरदीप सिंह दिल्ली में जॉब करता है और बेटी मगनदीप कौर चेन्नई में नौकरी कर रही है। चरणजीत सिंह का बेटा गुनीत सिंह कनाडा में पढ़ाई कर रहा है।हरचरण बताते हैं कि हमारे परदादा धर्म के लिए बाहर जाते थे और गुरद्वारे-गुरुद्वारे घूमते रहते थे तो महीनों में वापस आते थे। पूरा हिंदुस्तान घूमने में तीन साल लगते थे।

हरचरण बताते हैं कि इस बात का उन्हें बहुत नाज है कि वे गुरुनानक जी वंश है जिन्होने सिख धर्म की स्थापना की और जो सिखों के पहले गुरु थे मगर सिख धर्म मे एक व्यवस्था है जिसके अनुसार अब गुरु ग्रंथ साहिब का अनुसरण करना है उसके बाद और किसी भी देहधारी का कोई अस्तित्व नही है, सभी आम बंदे है।

यह परिवार करतारपुर कॉरिडोर खोले जाने से बेहद खुश है। चरनजीत कहते है हम तो जब पाकिस्तान गए तो सब जगह होकर आएं है इस बार भी जा रहे हैं। कॉरिडोर दोनों मुल्कों में बेहतर रिश्ते बनायेगा। यह बहुत अच्छा हो रहा है।

चरणजीत सिंह बताते हैं कि बंटवारे के समय नूर मियानी से हम सहारनपुर में आकर मोहल्ला तकिया में रहने लगे वहाँ आकर गुरुद्वारा बनाया उसके बाद अब घण्टाघर के पास बेदी गली में आ गए।

नई पीढ़ी को जानकारी कम है। उन्हें अपनी जड़ों को जानना चाहिए। गुरबाणी जब होती है तो उसमें कहा जाता है “इन बेदीयो की कुल विखे प्रगटे नानक राय” यानी गुरू नानक ने बेदी कुल में जन्म लिया।

चरणजीत सिंह बताते हैं कि उनके चाचा रघुवीर सिंह कुछ समय पहले पाकिस्तान गए थे जब वो वहां पहुंचे तो उन्हें बहुत इज्जत मिली। हमारे घर का दरवाजा इतना बड़ा है कि वो आज भी लाहौर के किले में लगा हुआ है।वहाँ से चाचा अपनी यादों को समेट कर लाए हैं जिस पर एक किताब लिख रहे हैं। अब जब गुरुनानक देव जी का 550 वा परगट दिवस मनाया जा रहा है तो हमारा पूरा परिवार करतारपुर जाएगा और इस खुशी में शामिल होगा।

वैसे सहारनपुर जिले में गुरुनानक देव एक बार आ चुके है थे वो हरिद्वार में हर की पेड़ी पर रुके थे।  उन्होंने अपने जीवन मे चार उदासियाँ की जिनमे सबसे पहली यही थी। हरिद्वार तब सहारनपुर जिले का ही हिस्सा था बताते हैं कि यहाँ उन्होंने हर की पेड़ी पर पहुंचकर पंडो को सूर्य की और मुख करके जल अर्पित करते हुए देखा और उनसे पूछ लिया वो ऐसा क्यों कर रहे हैं।पंडो ने बताया कि वो अपने पुरखों को जल अर्पित कर रहे है तो गुरुनानक देव ने दिशा बदलकर पश्चिम को रुख कर जल अर्पित करना शुरू कर दिया, इस पर पंडो ने सवाल किया यह आप क्या कर रहे हैं,तब गुरुनानक ने कहा कि वो अपने खेतों में पानी दे रहे हैं। आश्चर्यचकित पंडो ने पूछा इससे तुम्हारे खेत मे पानी कैसे जा सकता है? इस पर नानक बोले कि जब 400 मील दूर मेरे खेतो तक पानी नही जा रहा तो हजारों मील दूर तुम्हारे पुरखों तक पानी कैसे जाएगा? तब यहाँ उन्होंने अपने बुजुर्गों की जीते जी सेवा करने का ज्ञान दिया। बाद में यहाँ ज्ञान गोदड़ी नाम वाले गुरुद्वारे की स्थापना हुई, हालांकि अब यहाँ से यह हट चुका है और सरकारी कागजों में उलझ गया है। चुनाव से पहले इसकी सियासी मुहिम शुरू हुई थी जो अब शांत है।

हरचरण बताते हैं कि “वो हरिद्वार में हर की पेड़ी पर जाते रहते हैं वहाँ हमारा इतिहास है। गुरुनानक भी जाहिर है हरिद्वार सहारनपुर से ही होकर गए होंगे। हमारा सहारनपुर से रिश्ता काफी गहरा है यहाँ भी हम नानक जी की मर्जी से आए होंगे”।

वंशावली-

गुरुनानक देव

बाबा श्रीशचंद ,बाबा लखमीदास

बाबा मेहरचंद 

बाबा रूपचंद 

बाबा करम चंद

बाबा महासिंह 

बाबा लखपत सिंह 

बाबा राघपत सिंह 

बाबा गण्डा सिंह 

बाबा मूल सिंह 

बाबा करतार सिंह

बाबा प्रताप सिंह

बाबा विक्रम सिंह 

बाबा नरेंद्र सिंह 

कंवर जगजीत सिंह 

सरदार चरनजीत सिंह बेदी -सरदार हरचरण बेदी