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राजस्थान में भी पांच मुस्लिम लड़कियां बनी जज,यूपी की जज बनी लड़कियों को मिल गई है पोस्टिंग

राजस्थान में जज बनी हुमा खोखरी

By आस मोहम्मद कैफ़, TwoCircles.net

जयपुर- देश भर की मुस्लिम बेटियों में न्यायिक सेवा के प्रति रुझान लगातार बढ़ रहा है।3 महीने पहले उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा में 18 मुस्लिम बेटियों के बाद अब राजस्थान न्यायिक सेवा में 5 मुस्लिम बेटियों का चयन हुआ है।यह संख्या कम दिखती है मगर सिर्फ उत्तर प्रदेश में 610 सीट की तुलना में राजस्थान में सिर्फ 197 सीट थी। खास बात यह है कि इन 197 मे से सिर्फ एक मुस्लिम युवक मोहम्मद फैसल का चयन हुआ है।

राजस्थान में हाल ही में न्यायिक सेवा के लिए न्यूनतम आयु 23 साल से घटाकर 21 साल की गई थी। यही कारण है कि यहां के टॉपर मयंक प्रताप देश के सबसे कम आयु के जज बन गए हैं।

राजस्थान न्यायिक सेवा के गुरुवार को आएं परिणाम में सानिया मनिहार, साजिदा,सना, हुमा खोहरी,शहनाज़ खान ने इस बार ‘योर ऑनर’कहलाना का हक़ हासिल किया है।खास बात यह भी है कि इनमें से चार लड़कियां बेहद पिछड़ी पृष्ठभूमि से आती है।राजस्थान में महिलाओं शिक्षा की दर काफी कम है और मुस्लिम लड़कियां तो बेहद ही पिछड़ी हुई है।

2017 में यहां की दो महिलाओं जहांआरा और अफरोज बेग़म के ‘क़ाज़ी’ बन जाने पर काफी हो हल्ला हुआ था।दोनों महिलाओं ने महाराष्ट्र से इस्लामिक शरिया कानून में अध्ययन के बाद काज़ी की डिग्री हासिल की थी।

राजस्थान की इन लड़कियों को सफलता राजस्थान न्यायिक सेवा में मिली है।इस परिणाम में एक और हैरत में डालती है और वो यह है कि पहले टॉपर दस चयनित प्रतिभागियों में से 8 लड़कियां है।एक और बात है इस परिणाम में मनिहार बिरादरी की दो लड़कियां का चयन हुआ है इत्तिफाक यह है मनिहार बिरादरी की कोई लड़की पहली बार जज बनी है।इसी तरह राजस्थान की सबसे पिछड़ी खोरी बिरादरी की हुमा भी जज बन गई है।जोधपुर की साजिदा और जयपुर की शहनाज़ खान ने भी काफी सँघर्ष किया है।

शहनाज़ लोहार घर मे राहक़र पढ़ी और जज बन गई

जयपुर की अर्शी नूर के मुताबिक लड़कियों में एक जबरदस्त बदलाव आया है वो मुस्लिम लड़कियों का न्यायिक सेवा में जाने का रुझान लगातार बढ़ गया है और बेहद खास बात यह है कि इसमें सँघर्षशील और पिछड़े हुए परिवारों की लड़कियां अच्छा कर रही है।

राजस्थान में 9 फीसद मुस्लिम आबादी है जो उत्तर प्रदेश की 22 फीसद आबादी की तुलना में काफी कम है।यहां महिला साक्षरता दर मात्र 52 फीसद है जबकि मुसलमानों में यह मात्र 44 फीसद है।

हालांकि 2001 की तुलना में इस प्रदर्शन को अच्छा नहीं कहा जा सकता है मगर इस बार लड़कियों के लिए इसमे काफी कुछ है।30 वी रेंक वाली सानिया मनिहार मूलतः झुंझुन की रहने वाली वाली जबकि जोधपुर की साजिदा को 37 वी रेंक मिली है।सना हकीम को 130 रेंक और हुमा खोहरी 136 वी और शहनाज़ लोहार को 143 वी रेंक मिली है।

उदयपुर के खांजीपीर इलाके के गौसिया कॉलोनी में रहने वाली शहनाज लोहार उदयपुर से जज बनने वाली एकमात्र मुस्लिम लडक़ी है शहनाज़ ने पढ़ाई अपने अधिवक्ता पिता सलीम खान की देखरेख में की और यह उनका पहला प्रयास था।शहनाज कहती है कि उनकी सफलता का कोई खास फार्मूला नही है जब भी घर के काम से फुर्सत मिल जाती थी वो पढ़ लेती थी।

विशेष बात यह है कि यह पांचो लड़कियां पूरी तरह से सोशल मीडिया से दूर रही है और पूरी तरह से घरेलू है।एकमात्र मुस्लिम युवा मोहम्मद फैसल भी कम पढ़े लिखे परिवार से आते हैं।

मोहम्मद फैसल राजस्थान में जज बनने वाले इकलौते मुस्लिम युवक है।

 

दूसरी तरफ जून में आएं उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा के परिणाम में 38 मुस्लिम बच्चे चुने गए थे जिनमें से 18 लड़कियां थी अब इन्हें तैनाती मिल गई।सहारनपुर की फरहा को मुजफ्फरनगर और मुजफ्फरनगर की हुमा को सहारनपुर भेजा गया है जबकि खतौली को जीनत को भी सहारनपुर भेज दिया गया है।जसीम खान को बंदायू में जूनियर जज बनाया गया है।मेहर जहां को औरैया ,उमेम शाहनवाज़ को बाराबंकी,बुशरा नूर को कानपुर, बुशरा खुर्शीद को मथुरा,मीना अख्तर कोएटा  भेजा गया।अब तक 318 प्रतिभागियों को सूची आई है।हुमा के मुताबिक उनका सपना सच हो गया है।

राजस्थान में विद्यायक वाजिब अली के मुताबिक राजस्थान के मुस्लिमों के लिए यह निहायत ही अच्छी खबर हैं ,खासकर लड़कियों में यहां शिक्षा का स्तर काफी कम है।लड़कियां बहुत जल्दी स्कूल से रोक ली जाती है।आगे पढ़ाई के लिए उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।राजस्थान न्यायिक सेवा का यह रिजल्ट निश्चित तौर पर दूसरी बेटियों को हौंसला देगा।