By आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net

मुजफ्फरनगर- इरम फ़ातिमा मुजफ्फरनगर शहर के मौहल्ले लद्दावाला में रहती है। बेहद ऊर्जा वान है, मासूम बच्ची की तरह चहकती है, आत्मविश्वास से लबरेज़ है, हर एक सवाल का जिंदादिली से जवाब देती है। आज ही इरम को स्मार्टफोन गिफ्ट मिला है जिसे उसके भाई अनस ने लाकर दिया है। इरम के घर मेहमानों का आना जाना लगा है। इरम की अम्मी बेइंतहा खुश हैं। वो मेहमानों से बता रही हैं कि इरम उनपर गई है।

 


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इरम के अब्बा दखल देते हैं कि नहीं नहीं बेटी तो उन ही पर गई है। 18 साल की इरम मुजफ्फरनगर के एसडी कॉलेज की छात्रा है। उसने हाल ही में घोषित हुए परिणाम में मेरठ यूनिवर्सिटी टॉप की है। इसका महत्व इस बात से समझिये कि यूनिवर्सिटी में सैकड़ो कॉलेज है और लाखों विधार्थी हैं। बीए में टॉप करने वाली इरम फ़ातिमा मुस्लिम समुदाय से हैं। यह बात और भी अधिक प्रेरणा देती है।

 

इरम के कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ एस सी वार्ष्णाय कहते हैं कि “यह सब उनके कॉलेज की अच्छी पढ़ाई का नतीजा है उनके यहाँ बहुत अच्छे से पढ़ाई हुई है।”

इरम इन सब पर मुस्कुराहट ले आती है, इरम की अम्मी उसकी अलमारी की तरफ इशारा करती हैं। इरम की अलमारी इनामों से भरी पड़ी है। अब्बू अशरफ अंसारी चरथावल में ग्राम विकास अधिकारी है। वो कहते हैं “मेरी बच्ची पहली क्लास से अब तक हमेशा टॉपर ही रही है। हाईस्कूल में वो जनपद की टॉप फाइव में शामिल थी।”

 

इरम की बड़ी बहन उज़्मा भी मेधावी छात्रा रही है मगर उनके भाई अनस से उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नही मिली है। वो पॉलिटेक्निक की पढ़ाई कर रहे हैं। अनस कहते हैं “हम तो क्लास टॉप कर दे तो ही बहुत खुश होते हैं इसने तो पूरी यूनिवर्सिटी ही टॉप कर दी”।

इरम फ़ातिमा

 

इरम फ़ातिमा को बीए में 79% मार्क्स मिले है। उसने स्नातक में हिंदी,भूगोल और कला विषय चयन किए थे। इरम बेहद प्रतिभावान चित्रकारी भी करती है। उसकी खूबसूरत पेंटिंग दिल को भाती है। आश्चर्यजनक यह है कि इरम को बारहवीं में अंग्रेजी विषय मे 94% फीसद मार्क्स आएं थे मगर बीए में उसने एक नए विषय भूगोल को लिया और उसमें में भी टॉप आयी।

 

इरम कहती है “इंग्लिश मुझे बोलने में अच्छी लगती है, हिंदी पढ़ने में और भूगोल इसलिए पढ़ा क्योंकि यह अत्यंत रोचक है”।

 

इरम अपने तीन भाई बहनों में सबसे छोटी है। उसकी इस कामयाबी को खासकर मुस्लिम समुदाय में बेहद सकारात्मक तरीके से लिया गया है। स्थानीय युवा फरमान अब्बासी कहते हैं कि “यूनिवर्सिटी टॉप करना एक मामूली बात तो हो ही नहीं सकता है खासकर मेरठ यूनिवर्सिटी में तो मुस्लिम बच्चों का प्रतिनिधित्व ही पांच फीसद है तो ऐसे में यह कमाल तो है ही,निश्चित तौर पर इससे लड़कियों में बेहतर पढ़ाई की ओर रुझान बढ़ेगा”।

 

इरम फ़ातिमा जिस लद्दावाला मौहल्ले में रहती है वहां लड़कियाँ स्कूल कम ही जाती है। कॉलेज तक यह तादाद और भी घट जाती है। लद्दावाला की निवासी शहनाज कहती है कि “अखबार में यह खबर आने के बाद मैंने अपने शौहर को दिखाई वो मेरी बेटी को कॉलेज पढ़ाने के पक्ष में नही थे, मुसलमानों में अब तालीम की तरफ रुझान है। इरम की कामयाबी कई रास्ते खोलती हैं”।

 

इरम मुखर स्वभाव की है,उसकी शुरुवाती पढ़ाई अज़मत खान गर्ल्स कॉलेज में हुई है। यहाँ उसने हमेशा टॉप किया। यह मशहूर शायर नवाज़ देवबंद का स्कूल है। इरम की लिखावट बेहद अच्छी है, उसने तमाम सुलेख प्रतियोगिता जीती है। आश्चर्यजनक यह है कि इरम सिविल सेवा में नही जाना चाहती। वो कहती है आजकल अफसर नेताओं के इशारों पर चलते हैं, जिससे बहुत नकारात्मक असर गया है। वो प्रोफेसर बनना चाहती है।

 

इरम को लगता है कि उसकी कामयाबी की वजह अल्लाह है। जैसे वो कहती है अल्लाह में यकीन और नमाज़ ने मेरा ध्यान इधर उधर भटकने से रोका और इबादत से मेरी एकाग्रता बढ़ी।

 

मुजफ्फरनगर के समाजसेवी असद पाशा के मुताबिक इरम की कामयाबी से समाज को बहुत अधिक खुशी हुई। निश्चित तौर पर इससे मुस्लिम लड़कियाँ प्रेरणा लेंगी।

 

30 सितंबर को चौधरी चरण सिंह विश्वविधालय में दीक्षांत समारोह में इरम को कुलपति ने स्वर्ण पदक और विशिष्ट योग्यता प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। वहाँ से लौट कर उनके कॉलेज सनातन धर्म महाविधालय में उन्हें 5100 ₹ का पुरस्कार भी मिला।

इरम के अब्बू अशरफ बड़े फ़क़्र से कहते हैं की बेटी ने उनका नाम रोशन कर दिया है।

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