स्कूल की हालत खस्ताहाल, लेकिन बहस का मुद्दा स्कूल में प्रार्थना उर्दू में क्यों?

By मीना कोटवाल, TwoCircles.net

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक को इसलिए निलंबित कर दिया गया क्योंकि उन्होंने सुबह की होने वाली प्रार्थना को उर्दू में करवा दिया था.


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पीलीभीत के बिसलपुर में 19 सरकारी स्कूल हैं. इनमें से किसी भी स्कूल में आठवीं से ज्यादा पढ़ाई नहीं होती. फुरक़ान अली भी इन्हीं में से एक प्राइमरी स्कूल में पढ़ाते हैं. वे लगभग 45 साल के हैं, जो एक पैर से दिव्यांग हैं. वे डंडे के सहारे चलते हैं. जिस स्कूल में वे पढ़ाने जाते हैं वहां उनके अलावा कोई और दूसरा अध्यापक भी नहीं है. यहां तक कोई और स्कूल का स्टाफ भी नहीं हैं. 

वे बताते हैं कि जो हम प्रार्थना करवाते हैं वो हमारे सिलेबस में हैं. यानि बेसिक शिक्षा परिषद ने उर्दू की जो किताबें उपलब्ध करवाई हैं उनके पहले पेज़ पर ही वो प्रार्थना मौजूद है.

मुरारीलाल शर्मा ‘बालबंधु’ की कविता ‘वह शक्ति हमें दो दयानिधे, कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें!’ को भी इस स्कूल में प्रार्थना के रूप में सुबह गाया जाता है. इसके अलावा कई बार अल्लामा इक़बाल की ‘लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी’ भी प्रार्थना स्कूल में की जाती है. लेकिन पूरा विवाद अल्लामा इक़बाल की कविता पर हुआ है.

फुरक़ान अली टूसर्कल.नेट को बताते हैं कि उर्दू प्रार्थना की शिकायत विश्व हिंदू परिषद के रवि सक्सेना ने की थी. उन्हें उर्दू प्रार्थना से आपत्ति है. उन्होंने एसडीएम से इस बात की शिकायत की और मुझे निलम्बित कर दिया गया.

फुरक़ान अली के मुताबिक स्कूल में कुल 267 बच्चे हैं लेकिन रोज़ाना लगभग 150 से 180 बच्चे स्कूल आते हैं. इनमें अधिकतर बच्चे मुस्लिम ही है. एक ही प्रांगण में दो स्कूल मौजूद हैं, एक प्राइमरी और दूसरा छठी से आठवीं तक का जुनियर स्कूल.

वे कहते हैं, “इस स्कूल में मैं अकेला टीचर हूं. मैं ही अध्यापक हूं और मैं ही प्राधानाध्यापक हूं और मैं ही स्कूल का स्टाफ हूं. मैं प्राइमरी स्कूल को चलाता हूं. पहली से पांचवी तक के सभी बच्चों को मैं अकेला ही पढ़ाता हूं.”

वे अपना समय किस क्लास को कितना और कैसे देते हैं, इस पर वे कहते हैं, “स्कूल में सिर्फ तीन ही क्लास हैं. पहली और दूसरी को एक साथ बिठाते हैं और पढ़ाते भी एक साथ हैं. इसी तरह तीसरी-चौथी क्लास एक साथ बैठती हैं और पांचवी अलग क्लास में बैठती है.”

वे इसी में जोड़ते हुए बताते हैं कि मैं एक समय एक क्लास को लगभग 30 से 45 मिनट ही दे पाता हूं और दिन में एक बार ही क्लास में जा पाता हूं दोबारा समय नहीं मिल पाता क्योंकि सभी बच्चों को देखने के साथ स्कूल के बाकि काम भी करता हूं. इनमें से कुछ कामों जैसे छोटे बच्चों को संभालने के लिए हमें बड़ी क्लास के बच्चों की मदद भी लेनी पड़ती हैं. यानि ये स्कूल हमारे साथ-साथ बच्चों के सहयोग से भी चल रहा है. लेकिन जब से मैं स्कूल नहीं जा रहा हूं तब से स्कूल में बच्चे भी नहीं जा रहे और ना उनके माता-पिता भेज रहे हैं, जिनका कहना है कि जब पढ़ाने वाला हीं नहीं जा रहा तो बच्चे क्या करेंगे स्कूल जाकर.

14 अक्टूबर के दिन फुरक़ान अली को कार्यालय जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, पीलीभीत से एक नोटिस मिलता है, जिसमें उन्हें स्कूल में दूसरी प्रार्थना करवाने के कारण निलम्बित किया जाता है.

पीलीभीत के जिला अधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने टूसर्कल.नेट को बताया कि प्रधानाध्यापक स्कूल में राष्ट्रगान को रोक लिया था और महीने में कुछ ही दिन करवा रहे थे. उन्होंने अपने मन से ही प्रार्थना बदल दी.

वैभव कहते हैं, “फुरक़ान अली ने अपने बयान में ये कहा कि स्कूल में 90 प्रतिशत बच्चे मुस्लिम है इसके आधार पर अल्लामा इक़बाद की कविता प्रार्थना के रूप में करवाई गई.’’

साथ ही वैभव ये भी कहते हैं कि हालाकिं अल्लामा इक़बाद की कविता बहुत अच्छी है और वो सिलेबस में भी मौजूद है लेकिन 90 प्रतिशत बच्चे मुस्लिम हैं और जन गण मन नहीं कराएंगे उनके इस बयान के आधार पर उन्हें निलम्बित किया गया है.”

स्कूल में अध्यापकों की कमी के जवाब में वैभव बताते हैं कि जब से फुरक़ान अली को निलम्बित किया गया है तब से दो अध्यपक वहां पढ़ाने के लिए भेज दिए गए हैं. वे ये बात भी स्वीकारते हैं कि यहां मानव संसाधन की काफ़ी कमी है. 

फिलहाल स्कूल में शौचालय भी मौजूद नहीं. अगर किसी को जाना हो तो वो सामने वाले जुनियर स्कूल में जाना पड़ता. स्कूल की साफ़-सफ़ाई के लिए बाहर से पैसे देकर करवानी होती है.

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