संजीव ख़ुदशाह
कोरोना लॉक डाउन के दौरान डॉक्टर अंबेडकर की जयंती (14 अप्रैल) पड़ने वाली है। ऐसी स्थिति में स्वाभाविक है कि बहुजन समाज या अंबेडकरवादी लोग चाहे वह किसी भी जाति से ताल्लुक़ रखते हो भावनावश अंबेडकर की जयंती को हर्षोल्लास के साथ मनाएंगे।
इस बीच सोशल मीडिया में भी कई मैसेज वायरल हो रहे हैं। एक ऐसा ही मैसेज वायरल हो रहा है। जिसमें लिखा हुआ है, ’14 अप्रैल के दिन रात को 20-20 दिए जलाए जाएं। पटाखे फोड़े जाएं। आस पड़ोस में मिठाइयां बांटी जाए। भावनाओं से भरा हुआ या मैसेज कई बार शेयर किया जा रहा है।’ मुझे लगता है कि यह एक मुश्किल की घड़ी है। इस समय अंबेडकर वादियों का भावनाओं में बहकर किसी उत्सव को इस तरह मनाना ग़लत होगा।
जैसा कि आपको जानकारी है तबलीग़ी जमात के बारे में किस प्रकार से अफ़वाह उड़ाई गई। जिसमें मुसलमानों को कोरोना फैलाने वाला देशद्रोही तक साबित कर दिया गया। इस काम में तमाम मेनस्ट्रीम की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया समेत प्रिंट मीडिया भी लगी रही। जबकि सच्चाई यह थी कि वे लोग निजामुद्दीन में फंस गए थे। अचानक लॉक डाउन होने के कारण सारी गाड़ियां बंद हो गई और वे कहीं जा नहीं पाए। बावजूद इसके एकतरफ़ा प्रचार हुआ। आईटी सेल से लेकर कट्टरपंथियों, आम लोगोंं ने भी इस मैसेज को ख़ूब फैलाया।
अंबेडकर वादियों (एससी एसटी ओबीसी ) के साथ भी यही होने वाला है।
डॉक्टर अंबेडकर की जयंती अंबेडकर वादियों के लिए साल भर में सबसे बड़ा उत्सव होता है। बहुत बड़ी मात्रा में लोग जुटते हैं।क्षऔर हर्षोल्लास से सांस्कृतिक कार्यक्रम आदी आयोजित किया जाता है। लोग साल-साल भर इस त्यौहार का इंतजार करते है। इस दफा जो तैयारियां सोशल मीडिया में चलती हुई दिख रही है। उससे यह लगता है कि कट्टर वादी बहुजनों के ऊपर वैसे ही हमला कर सकते हैं। जैसे विगत दिनों मुसलमानों के साथ किया गया है।
यदि अंबेडकरवादी लोग 14 अप्रैल के दिन अपने-अपने घरों में दिए जलते हैं। नारे लगाते हैं। पटाखे फोड़ते हैं। तो इसका संदेश क्या जाएगा? आइए, मैं आपको बताता हूं।,
(1) 5 अप्रैल को कोरोना भगाओ अभियान के तहत लाइट ऑफ करने के बाद दिए जलाने का जो खेल खेला गया था। वह एक प्रकार से स्थापित हो जाएगा। कहा जाएगा कि देखो ये लोग 5 अप्रैल को तो दिए नहीं जलाए अभी जला रहे हैं। तो 5 अप्रैल को दिये जलाने में क्या बुराई है।
(2) कट्टरपंथी के आई टी सेल द्वारा यह मैसेज फॉरवर्ड किया जाएगा कि एक तरफ़ देश कोरोना की मार से मर रहा है। तो दूसरी ओर दलित दीए जलाकर उत्सव मना रहे हैं। अंबेडकरवादी ऐसे ही देशद्रोही होते वह इसकी पुष्टि करेंगे।
(3) बहुत सारे पुराने वीडियो को खोज-खोज कर बीजेपी का आईटी सेल झूठे मैसेज तैयार करके सोशल मीडिया में प्रसारित करेगा। हो सकता है कि मेनस्ट्रीम मीडिया भी दलितों के ख़िलाफ़ सक्रियता दिखाएं। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार मुसलमानों के मुआमले में दिखाई गई।
(4) इस कारण समाज में कटुता बढ़ेगी और देश में दलितों के साथ दंगे भड़कने की संभावना हो सकती हैं।
प्रश्न यह उठा है कि ऐसे स्थिति में डॉ आंबेडकर की जयंती किस प्रकार मनाएं?
(1) अपने अपने घरों में डॉक्टर अंबेडकर की जयन्ती आप मना सकते हैं। संविधान पढ़े उसे सोशल मीडिया में साझा करिए। डॉक्टर अंबेडकर की किताबें पढ़े। उनके जीवन के प्रेरक पहलू को याद करेंं और प्रसारित करेंं।
(2.) इस देश में बहुत सारे लोग भूखे प्यासे और तकलीफ में है उन्हें खाने का पैकेट दिया जाए। उनको हर संभव मदद किया जाए।
(3) डॉ अंबेडकर के समतावादी संदेशों को सोशल मीडिया में प्रसारित क्या जाए, ताकि लोगों में शिक्षा का प्रसार हो और बाबा साहब के प्रति आत्मीयता को बढ़ाए जा सके।
(4) इस देश में डॉं अंबेडकर का बहुत सारा काम है उस काम को याद किया जाय। जैसे हिन्दू कोड बिल, रिज़र्व बैक की स्थापना, बांध परियोजना आदि-आदि।
(5) बाबा साहेब डा. अंबेडेडकर की 22 प्रतिज्ञाओं को फिर से पढ़ा जाएं, समझा जाएं और समझकर अपने जीवन को बेहतर बनाने इसका मन, वचन और कर्म से पालन किया जाएं।
(6) इस बात कि कोशिश की जाए कि किसी भी परिस्थिति में लाक डॉऊन का उल्लंघन न हों। क्योकि कोरोना महामारी देश के लिए एक बडी विपत्ती है। ताकि किसी को भी उंगली उठाने का मौका न मिले। यदि आप एसा करते हैं तो बाबा साहब के उद्देश्य की पूर्ति में अपना सहयोग दे पाएंगे। जो मौक़ा कट्टरवादी लोग ढूंढ रहे हैं। उनको इससे निराशा भी होगी।