TCN Staff Reporter
पटना। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस ने आतंक मचाया हुआ है। इसके चलते देशभर में पूरे 21 दिन का लॉकडाउन करना पड़ा। अब इसे 15 दिन और आगे बढ़ाया जा रहा है। ऐसे में देश के कई हिस्सों में भुखमरी का संकट ही पैदा होने लगा है। बिहार की गिनती ऐसे ही राज्यों में होती है। आने वाले दिनों मैं बिहार में बड़े पैमाने पर भुखमरी का संकट पैदा होने के आसार हैं। ऐसे में राज्य में खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं और अर्थशास्त्रियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को समय रहते केंद्र सरकार से 20 लाख टन अनाज लेने की सलाह दी है।
अर्थशास्त्रियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चिट्ठी लिखकर कहा है कि पहली फुरसत में केंद्र के पास पड़ा अपना 10 लाख टन अनाज उठाए। इसके अलावा इतना ही अनाज और लेलें। क्योंकि कोरोना काल में राज्य में बड़े पैमाने पर भुखमरी फैल सकती है। इन हालात में राज्य में बड़े पैमाने पर अनाज की ज़रुरत पड़ेगा। चिट्ठी में राज्य में ग़रीबों की आबादी के आंकड़े और उनकी ख़स्ता हालत का हवाला देते हुए नीतीश कुमार से हालात क़ाबू से बाहर होने से पहले ही एहतियाती क़दम उठाने की सलाह दी गई है।
नीतीश कुमार को लिखी इस चिट्ठी में कहा गया है कि देश में अनाज भण्डार भरा हुआ है। 1 मार्च, 2020 तक केंद्र सरकार के भण्डार में 800 लाख टन अनाज रखा हुआ था। यह भण्डार गेहूं की खरीद के बाद और बढ़ जाएगा। कोरोना के असर के दौरान बिहार सरकार को बड़े स्तर पर आपातकालीन खाद्य सहायता देनी चाहिए ताकि लोग भूख की चपेट में ना आये। अगले एक वर्ष में बिहार के सभी ग्रामीण परिवारों और शहर में रहने वाले गरीब परिवारों को राशन देने के लिए बिहार सरकार को सिर्फ 20 लाख टन अनाज की आवश्यकता है। इस 20 लाख टन अनाज में से 10 लाख टन अनाज केंद्र सरकार पर बकाया है क्यूंकि वर्तमान का आवंटन 2011 की जनसंख्याँ के आधार पर किया गया है जबकि 2019 तक बिहार की जनसंख्याँ करीब 2.16 करोड़ बढ़ गयी है। इसलिए दरअसल सिर्फ 10 लाख टन के अतिरिक्त आवंटन से बिहार के सभी ग्रामीण परिवार और शहरी गरीब परिवार को राशन मिल जाएगा।
ग़ौरतलब है कि खाद्य सुरक्षा कानून, 2013 के अंतर्गत बिहार के करीब 84 % लोगों को राशन मिलना है। लेकिन यह 2011 की जनगणना के अनुसार मिलता है। आज की तारीख में केंद्र सरकार बिहार करीब 8.6 करोड़ लोगों को अनाज देती है। जनघणना के अनुसार 2019 में बिहार की जनसंख्याँ 12.57 करोड़ है। इसलिए बिहार में अभी सिर्फ 70 % लोगों को ही अनाज की पात्रता है। अगर यह मान लिया जाए कि छूटे हुए लोगों में से सिर्फ एक तिहाई लोग गरीब हैं और भूख के चपेट में आ सकते हैं तो करीब 130 लाख लोग यानी बिहार की जनसंख्याँ का कुल 10% कोरोना के समय भूख की चपेट में आ सकता है।
मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ और जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एन.ए.पी.एम) से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता आशीष रंजन, कामयानी स्वामी और महेंद्र यादव ने नितीश कुमार को एक पत्र लिख कर यह बाते कहीं है। उन्होंने मुख्मंत्री से आग्रह किया है कि वह केंद्र सरकार से 20 लाख टन की मांग करें ताकि अगले एक साल तक बिहार में सभी ग्रामीण और शहरी गरीब परिवारों को अनाज मिल सके I साथ ही अनाज वितरण प्रणाली को मजबूत करने, भष्टाचार रोकने, एवं निगरानी पर विशेष ध्यान देने के लिए आग्रह किया गया है। जन वितरण प्रणाली के साथ सामुदायिक रसोई एवं भोजन उपलब्ध कराने के अन्य उपाय पर जोर डालने की सिफारिश की गयी है। चिट्ठी में बिहार सरकार द्वारा पलायन किये हुए मजदूरों को कैश उपलब्ध कराने की प्रसंशा भी की गई है I