दिल्ली हिंसा में शिवविहार में इन महिलाओं के घर जला गया था, अब दंगे के एक महीना बाद वो अपने घर लौट आई है, यहाँ आधा दर्जन महिलाएं देश के लिए रोजाना 1000 मास्क और 300 पीपीई किट बना रही है, शिवविहार की मुस्लिम ख़्वातीनोंं पर नाज़ होता है। पढ़िए ये ख़ास रिपोर्टं
संजीदा (41) सिर्फ अपने नाम से ही संजीदा (गंभीर) नहींं है। बल्कि अपने काम, समझबूझ और नज़रिए से भी संजीदा हैंं। वो उत्तर पूर्वी दिल्ली के शिवविहार इलाके के फेस 5 में वापिस लौट आई हैंं। 25, 26 और 27 फरवरी को शिवविहार में हुई हिंसा में उसका घर भी जला दिया गया था। संजीदा उन सैकड़ों औरतों में से एक थी जिन्हें अपनी जान बचाकर भागना पड़ा और उन्हें मुस्तफ़ाबाद के चमन पार्क में शरण लेनी पड़ी।
शिवविहार में अपने घर लौटींं संजीदा अपने काम पर जुटी हुई है। एक बार फिर से वो मशीन (घुग्गी) पर है। 18 घण्टे आए ज्यादा वो मेहनत से सिलाई कर रही है। दिल्ली के बारे मे जानकारी रखने वाले लोग यह बात अच्छी तरह जानते हैं। ज़ाफराबाद, मुस्तफ़ाबाद और शिवविहार जैसे ये इलाक़े बेल्ट, पर्स, लेडीज़ पर्स, ड्रेसेस और खिलौने बनाए जाने के हब हैंं। यहां घर-घर महिलाएं इस काम से जुड़ी हुई है। संजीदा भी यही करती रही है। सिलाई वो अब भी कर रही है। मगर इस बार वो मास्क और पीपीई किट बना रही है। फ़रवरी के उन दिनों ज़ब दुनिया के सबसे ताक़तवर आदमी दिल्ली में ही थे शिवविहार की रहनी वाले संजीदा को रातों-रात नंगे पैर अपने बच्चों को लेकर भागना पड़ा था।
कोरोना महामारी के बीच एक माह पूर्व वो अपने घर लौट आई है। यहां उसकी जल गई मशीनों के स्थान पर एक सामाजिक संस्था के लोगोंं ने उसे दूसरी मशीन दे दी है। संजीदा अब इस मशीन पर मास्क और पीपीई किट बना रही है। कोरोना संकट के समय जब देश में सभी नागरिकों को मास्क पहनने की हिदायत दी दे गई हो और देश पीपीई किट की कमी से जूझ रहा हो तो संजीदा के काम की संजीदगी (गंभीरता) समझ मेंं आती है।
अकेली संजीदा नहींं बल्कि इस इलाक़े की दर्जन भर महिलाएं अब इस काम मे जुटी है। शायना(33), रजिया (27), शाहजहां(23), गुलसितां(25), रुखसाना(19), नर्गिस (29) और रिहाना(40) भी यही काम कर रही हैंं। हालांकि यहां मशीनों की कमी है। मगर महिलाएं अक्लमंदी से शिफ़्ट बनाकर काम कर रही है। अब तक येे महिलांए हजारों किट और मास्क तैयार कर चुकी है। सबसे ख़ास बात यह है कि सबसे पहले शिवविहार में ही तैनाती पर मौजूद पुलिसकर्मियों को उनके प्रोडक्शन की पीपीई किट भेंट की गयी हैंं।
महिलाओं को पीपीई किट और मास्क बनाने के लिए प्रेरित करने में सामाजिक कार्यकर्ता माइल्स टू स्माइल के संस्थापक आसिफ़ मुज्तबा की खास भूमिका है। आईआईटियन आसिफ़ दिल्ली दंगो के बाद से ही इन प्रभावित इलाकों में रिलीफ़ वर्क से जुड़े हैं। आसिफ़ बताते हैं, ‘2 मार्च के आसपास की बात है मुझे कुछ महिलाओं ने बताया कि वो दंगो की वज़ह से उनका घर और सिलाई मशीनें जल गई है वो ही उनकी आजीविका का ज़रिया था। दिल्ली में खर्च चलाने के लिए औरत मर्द दोनों का कमाना ज़रूरी होता है। अब वो जल्द से जल्द अपना काम शुरू करना चाहती है। तब हमने उन्हें 2 ऑटोमेटिक मशीनें और कुछ कच्चा माल खरीदने के लिए पैसे दे दिए। उसके बाद हम भूल गए।’
आसिफ़ अगली बात बताते हुए जज्बाती हो जाते हैं वो कहते हैं, ‘8 अप्रैल को वो मेरे पास फिर से आई। उनके पास 2000 मास्क थे और 100 पीपीआई किट। मुझे अच्छा लगा। मगर इसके बाद जो उन्होंने कहा उससे मेरी आँखों मे पानी आ गया। इनमेंं से एक औरत कहा कि आप यह सब गरीबों में बांट दीजिये।उनके पास मास्क खरीदने के पैसे नही होंगे और यह पीपीआई किट पुलिसकर्मियों को दे दीजिए।’
आसिफ़ कहते हैं, ‘इन लोगोंं का घर हिंसा में ज़रूर जल गया था। मगर इस आला स्तर की इंसानियत देखकर मैं इमोशनल हो गया। हम 45 दिन से शिवविहार में रिलीफ़ से जुड़े काम कर रहे थे मगर इतनी ऊंचे ख्यालात वाली बात अब तक मेरे सामने नही आई थी।’
बता दें कि दिल्ली हिंसा के दौरान यूपी के लोनी बॉर्डर से सटा शिवविहार इलाका सबसे अधिक प्रभावित हुआ था। यहां तीन मस्जिदों में आग लगा दी गई। एक मस्जिद में गैस सिलेंडर डालकर उसे उड़ाने की भी कोशिश की गई थी। 50 हजार से ज़्यादा आबादी वाले शिवविहार में लगभग 6 हजार मुसलमान रहते थे। ये सभी यहां से पलायन कर गए थे। जिनमें से अधिकतर अब लौट आये हैं। मस्जिदों को उनके पूर्व स्वरूप में। लाने का काम जमीयत उलेमा ए हिन्द कर रही है। शिवविहार के स्थानीय लोगों का कहना था कि हिंसा करने के लिए बड़ी संख्या में लोनी की तरफ़ से लोग आए थे। शिवविहार में अभी भी पुलिस तैनात है।
जमीयत उलेमा हिन्द के सचिव मौलाना मूसा क़ासमी कहते हैं, ‘एक ऐसे इलाक़े से इस तरह की ख़बर बेहद ही सुखद है। आजकल टीवी मीडिया मुसलमानों को ख़लनायक की तरह पेश कर रहा है। इस तरह अच्छी बातों से उसे परहेज़ है। जबकि देशहित इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है!’
बता दें कि भारत भी दुनियाभर की तरह कोरोना वायरस की चपेट में है। पूरे देश में 21 दिनों से लाकडाउन है। यहां बड़ी संख्या में मास्क और पीपीई किट की आवश्यकता है। पहले दिन से ही कमी की चर्चा होंने लगी थी। शिवविहार इलाके से आई यह ख़बर बेहद सुकून देती है। आसिफ़ बताते हैं, ‘अभी यहाँ हर दिन 1000 मास्क और 250 पीपीई किट बन रही है। सिर्फ 2 आधुनिक मशीनों से अब तक 11 हजार मास्क तैयार हो चुके हैं। जो स्टॉक में है।मशीनों की संख्या बढ़ाए जाने पर यह तस्वीर और बड़ी हों जायेगी। इसके लिए हम लोगो से अपील कर रहे हैं।’
बहुत सारी महिलाएं भी इसमेंं रुचि ले रही है।कोरोना बहुत बड़ी समस्या है यही कारण है एक महीना पहले हुए यहां के भीषण हिंसा पर अब कोई बात भी नही करता।’