लॉकडाऊन के ‘रुझान’: डग्गामारी में अंधाधुंध लूट, एम्बुलेंस ढो रही हैं सवारी, 40 रुपये का मिल रहा गुटखा, 250 रुपये में सिगरेट का पैकेट: #ग्राऊंडरिपोर्ट

कुछ विपत्तियां कुछ लोगों के लिए मौका लेकर आती है। ये वो लोग है जिन्हें आप समाज का वायरस कह सकते हैं। कोरोनाकाल मे नई तरह की समस्याओं का पूर्वानुमान लगाया गया था। अब इसके भी रुझान आ गये है! पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आस मोहम्मद कैफ़ की यह ग्राऊंड रिपोर्ट पढिये

खतौली के शकील 49 साल के हो चुके हैं।16 साल की उम्र से उन्होंने गुटखा खाना शुरू किया था।आदतन वो एक दिन में 20 गुटखा भी खा जाते थे। 33 साल के अपने गुटखे  खाने के ‘कैरियर’ में वो पहली बार इतनी तंगी से जूझ रहे हैं। उत्तर प्रदेश में गुटखे पर रोक है। 5 रुपये वाला दिलबाग गुटखा अब 40 रुपये का मिल रहा है। शकील कहते हैं, ‘यह आपको मैं नही बता सकता कि ये मैं कैसे और किससे लेता हूँ। मगर मिल जाता है। हालांकि इसके 35 रुपये अतिरिक्त देने पड़ रहे हैं।अब आदत पड़ी हुई है क्या कर सकते है!इसके बिना रहा नही जाता।’


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एक और गुटखा जिसे ‘सफल’ ब्लेक मार्किट में टॉप पर है। वो भी 5 रुपये का मिलता रहा है। मगर इस समय 50 रुपये का मिल रहा है। दस गुना बढ़ोतरी इसकी महत्ता बताने के लिए काफ़ी है। ‘सफल’ के दीवानों की तादाद ज्यादा है। जानसठ के विवेक वर्मा के सफल सबसे महत्वपूर्ण खाने की वस्तु है। विवेक बताते हैं, ‘इस समय सरकार ने गुटखे बेचे जाने पर पूरी तरह रोक लगाई हुई है। कुछ दुकानदारों के पास वो पहले से बचे हुए हैं। कुछ बडे दुकानदारों के पास भी स्टॉक था। वो अब क़ीमत बढ़ा कर परचून के सामान के साथ भेज रहे हैं।’

बिजनोर मार्ग पर पान का खोखा चलाने वाले मोनू कहते हैं, ‘मैं नही बेच रहा हूँ, मगर दूसरे लोग बेच रहे हैं। पहले तो ऊपर से ही तीन गुना(15 रुपये) का मिल रहा है। फिर ग्राहक 40 रुपये सुनकर बहस करता है। अब सबके पास अधिकारियों के नंबर है। मैं ऐसी कमाई के चक्कर मे नही पड़ना चाहता जिसमें भारी नुकसान हो जाए।’

कुतुबपुर गांव के दिनेश (36) मजदूरी करते हैं। आजकल गेंहू काट रहे हैं। वो बीड़ी पीते है। यही उनका शौक, आदत या नशा है। दिन में 5-6 बंडल पी जाते हैं। एक बंडल में सामान्य तौर पर 12 बीड़ी होती है।

इसकी कीमत 8 रुपये होती है। दिनेश कहते हैं, ‘अब 25 रुपये से कम कोई नही दे रहा। इसकी ‘हड़क'(तलब) उठती है।अब पूरे दिन में एक बंडल ही पी पा रहा हूँ। कुछ जगह पुलिस दुकानें सीज भी है। गुटखा बरामद कर कार्रवाई भी की है।’

सवाल शराब पर भी है। हमें रसूलपुर गांव के ब्रजपाल बताते हैं सब मिल रहा है। शराब तीन गुना रेट पर मिल रही है। मेरठ में कुछ ऐसे लड़के जानकारी में आएं जो फर्जी प्रेस कार्ड से शराब बांट रहे थे। मुजफ्फरनगर के खालापार में 180 किलो मिलने वाला कटरे का गोश्त 300 रुपये किलो मिल रहा है। लखनऊ के राशिद खान बताते हैं 85 रुपये किलो का मंडी रेट वाला चिकन लखनऊ में 200 रुपये प्रति किलो मिल रहा है।यह सब चोरी छिपे हो रहा है।

मेरठ पुलिस ने सो ऐसे युवकों को पकड़ा है फर्जी प्रेस कार्ड के जरिए ऐसी ही कुछ सेवाएं दे रहे थे। इनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है। ऐसे समय पर कागज़ की तैयारी में जुटी महिलाओं को फ़ोटोस्टेट के 5 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। इसका सामान्य रेट 1 रुपया है।

सबसे तक़लीफ़देह स्थिति बीमार लोगो की है। जिनका विभिन्न जगहों से इलाज़ चल रहा है। इनमे दिल, पेट और दर्द के मरीज़ है। इन्हें निश्चित तारीख़ पर डॉक्टर के पास जाना पड़ता है। ऐसे समय पर कस्बों और गांवों के डग्गामारी करने वाले करने वालों ने लूट मचा रखी है। वो जरूरतमंदों से तीन गुना किराया वसूल रहे हैं।

मीरापुर के अफ़जाल अहमद के मुताबिक उनकी पिता के दिल में वाल्व डाली गई थी। जिसके लिए उन्हें जीबी पन्त दिल्ली जाना था। प्रशासन ने कागज़ देखकर इसकी अनुमति दे दी। वो कहते हैं, ‘हमारे केथोड़ा गांव का एक युवक किराये पर टेक्सी चलाता है। उसने दिल्ली के 6 हजार रुपये मांगे। आम दिनों में 2500₹ लगते है। मेरे पास परमिशन भी थी। मजबूरी में 5500₹ में जाना पड़ा। यह मजबूरी का फायदा उठाना जैसा था।’

मेरठ के शंशाक शर्मा बताते हैं कि उनका एक पड़ोसी दुकानदार बिस्कुट का पैकेट दो रुपये महंगा बेच रहा है। मैंने इसकी शिकायत कर दी। पुलिस आई तो क़सम खा गया। मैं नही बेच रहा हूँ और न बेचूंगा। अब पुलिस भी क्या कर सकती है। वो अब भी बेच रहा है।

गाजियाबाद के जुल्फिकार सिगरेट को लेकर परेशान है वो कहते हैं 95 ₹ का मिलना वाला पैकेट आज 250₹ का मिला है। लखनऊ में सिगरेट का पैकेट 300₹ का बिक रहा है। लखनऊ में सबसे ज्यादा डिमांड रजनीगंधा पान मसाला की है। यह पांच गुना ज्यादा रेट पर बिक रहा है।

उत्तर प्रदेश प्रमुख सचिव गृह इस तरह की कालाबजारी को लेकर कई बार चेता चुका है और कुछ जगहों पर कार्रवाई भी की है मगर चोरी छिपे यह सब चल रहा है।कई राज्यों में गुटखा बेचने पर प्रतिबंध है। आश्चर्यजनक यह है कि कुछ जगह एम्बुलेंस भी डग्गामारी करती हुई पकड़ी गई है। राहुल बताते हैं कि एम्बुलेंस इस समय ऐसा वाहन है जिसे लॉकडाऊन में कहीं आने जाने पर कोई रोक नही है। पहली नजर में लगता है कि इसमें मरीज़ होगा मगर मेरठ और बिजनोर में एम्बुलेंस का दुरुपयोग सामने आया है। इनके माध्यम से लॉकडाऊन के नियम का उल्लंघन हुआ है और प्रतिबन्धित सामान भी इधर-उधर हुआ है।

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