यूसुफ़ अंसारी, Twocircles.net
दिल्ली में शाहीन बाग़ के इर्द-गिर्द हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराने की कोशिशें उसी पर उल्टी पड़ गई। आप और कांग्रेस बीच मुस्लिम वोटों के बंटवारे से कुछ सीटों पर जीत की उम्मीद लागए बैठी को मुंह की खानी पड़ी है। आम आदमी पार्टी अपने पांचों मुस्लिम उम्मीदवारों को भारी अंतर से जिताने में कामयाब रही। इन सीटों पर कांग्रेस के सभी उम्मीदवारों का ज़मानत ज़ब्त हो गई। इसी के साथ पिछली दो विधनसभाओं में मुस्लिम विधायकों का संख्या चार से बढ़कर पांच हो गई।
ओखला
सबसे पहले बात करते हैं ओखल विधानसभा सीट की। जिस शाहीन के खिलाफ़ बीजेपी पूरे चुनाव में दुष्प्रचार करती रही वो इसी विधानसभा में आता है। यहां बीजेपी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस सीट पर आम आदम पार्टी के उम्मीदवार अमानतुल्लाह ख़ान को सबसे ज्यादा एक लाख तीस हज़ार वोट मिले। बीजेपी उम्मीदवार ब्रह्मसिंह तंवर यहां 71827 वोटों से हारे। पिछले चुनाव में वो 64532 वोटों से हारे थे। इस सीट से लगातार तीन बार विधायक रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता परवेज़ हाशमी महज़ पांच हज़ार वोटों पर ही सिमट गए। उनकी ज़मानत भी नहीं बची।
हालांकि इस इस सीट पर पहले के मुक़ाबले क़रीब 10 फ़ीसदी कम मतदान हुआ था। इसके बावजूद हार-जीत का अंतर पिछली बार के मुक़ाबले काफ़ी ज़्यादा रहा। यहां कुल 197167 वोट ईवीएम मशीन में पड़े और 264 पोस्टल बैलट आए। इस तरह कुल 197431 वोटों में 66.03 फ़ीसदी वोट आप को और 29.65 वोट बीजेपी को मिले।
क्रम सं. | उम्मीदवार का नाम | पार्टी | कुल वोट | वोट प्रतिशत | हार-जीत का अंतर |
1. | अमानतुल्लाह ख़ान | आप | 130367 | 66.03 | 71827 |
2. | ब्रह्म सिंह तंवर | बीजेपी | 58540 | 29.65 | |
3. | परवेज़ हाशमी | कांग्रेस | 5132 | 2.59 |
बल्लीमारान
इस सीट पर केजरीवाल सरकार के मंत्री इमरान हुसैन का साख़ दांव पर थी। कांग्रेस के दिग्गज नेता हारून यूसुफ़ को यहां इस बार जीत की पूरी उम्मीद थी। लेकिन वो पांच हज़ार का आंकड़ा भी नहीं छू सके। पिछली बार इमरान यहां 33877 वोटों से जीते थे। इस बार उनकी जीत का आंकड़ा 36172 रहा। इस सीट पर ईवीएम से 101456 वोट पड़े और 76 पोस्टल बैलेट आए। कुल 101532 वोटों में से 64.65 फ़ीसदी आप को और 29.03 फ़ीसदी बीजेपो को मिले कांग्रेस को 4.73 फ़ीसदी वोटों पर ही संतोष करना पड़ा।
क्रम सं. | उम्मीदवार का नाम | पार्टी | कुल वोट | वोट प्रतिशत | हार-जीत का अंतर |
1. | इमरान हुसैन | आप | 65644 | 64.65 | 36172 |
2. | लता | बीजेपी | 29472 | 29.03 | |
3 | हारून यूसुफ़ | कांग्रेस | 4802 | 4.73 |
मटिया महल
इस पर अरविंद केजरावाल को काफ़ी आलोचन का शिकार होना पड़ा। इसकी वजह थी चुनाव से ठीक पहले शुएब इक़बाल का आम आदमी पार्टी का दामन थामना। पिछले चुनाव में आप के मोहमम्द आसिम ने शुएब को यहां 26096 वोटों से हराया था। आसिम करेजरीवाल सरकार मे मंत्री भी रहे। एक बिल्डर से रिश्वत लेने के आरोप में उन्हें पहृल मंत्री पद से हटाया गया और बाद मे उनका पार्टी से भी उनका पत्ता साफ़ हो गया। आप ने शुएब को पार्टी मे शामिल कर उन्हीं पर दांव खेला। शुएब ने बीजेपी को 50241 वोटों से हराकर साबित किया कि यहां उनका जलवा बरक़रार है। शुएब इक़बाल पहले यहां से यहां से 1993 और 1998 में जनता दल, 2003 में जनता दल सेकुलर, 2008 में एलजेपी, 2013 में कांगेस और इस बार आप के टिकट पर जीते हैं।
यहां ईवीएम में 88514 पड़े और पोस्टल बैलेट से 56 वोट आए। कुल 88507 में से 67282 वोट शुएब इक़बाल को और 17041 वोट बीजेपी को मिले। कांग्रेस के मिर्ज़डा जावेद 3409 वोटों पर सिमट गए।
क्रम सं. | उम्मीदवार का नाम | पार्टी | कुल वोट | वोट प्रतिशत | हार-जीत का अंतर |
1. | शुएब इक़बाल | आप | 67282 | 75.96 | 50241 |
2. | रवींद्र गुप्ता | बीजेपी | 17041 | 19.4 | 26096 |
3. | मिर्ज़ा जावेद | कांग्रेस | 3409 | 3.85 |
सीलमपुर
यहां आम आदमी पार्टी ने अपरन उम्मीदवार बदला था। पिछली बार जीते अपने विधायक मोहम्मद इशराक़ उर्फ़ भूरे का टिकट काट कर अब्दुल रहमान को मैदान में उतारा था। इशराक़ ने बग़ावत भी की थी। निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भा दाख़िल किया था। लेकिन केजरीवाल और गोपलराय ने मिलकर उन्हें मना लिया था। अब्दुल रहमान केजरीवाल की उम्मीदों पर खरे उतरे। उन्होंने 56 फ़ीसदा वोट हासिल करके बीजेपी को धूल चटा दी। अकेली सीट है जहां कांग्रेस के किसी मुस्लिम उमीदवार को 20 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले हैं।
यहां ईवीएम से 129422 वोट पड़े और 282 पोस्टल बैलट आए। कुल 129704 वोटं में से आप को 72694 और बीजेपी को 35774 वोट मिले। कांग्रेस के चौधरी मतीन अहमद ने 15.61 प्रतिशत यानि 20247 वोट पाकर अपनी और अपनी पार्टी की थोड़ी बहुत इज़्ज़त बचाई।
क्रम सं. | उम्मीदवार का नाम | पार्टी | कुल वोट | वोट प्रतिशत | हार-जीत का अंतर |
1. | अब्दुल रहमान | आप | 72694 | 56.05 | 36920 |
2. | कौशल कुमार मिश्रा | बीजेपी | 35774 | 27.58 | 27887 |
3. | चौधरी मतीन अहमद | कांग्रेस | 20247 | 15.61 |
मुस्तफ़ाबाद
यह सीट हारना बीजेपी के लिए बड़ा झटका है। पिछली बार बीजेपी के जगदीश प्रधान यहां से जीते थे। तब मुस्लिम वोट आप के हाजी यूनुस और कांग्रेस के हसन अहमद के बीच बंच गया था। इस सबार हसन के पुत्र अली मेहदी यहां से कांग्रेस के उम्नीदवार थे। उन्हें महज़ 5363 वोट मिले। हादी यूनुस ने 98850 वोट हासिल करके बीजेपी के जगदीश प्रदन को 20 हज़ार वोटो के भारी अंतर से हरा दिया। पिछले चुनाव में हाजी यूनुस 6631 वोटों से जगदीश प्रधान से हारे थे। इस बार हाजी यूनुस ने अपनी हार का बदला चुका लिया।
इस सीट पर ईवीएम में 185290 वोट पड़े थे और 502 पोस्टल बैलट से आए थे। कुल 185792 के 53.2 फ़ीसदी हाज़ी यूनुस को मिले और कांग्रेस के हिस्से मे सिर्फ 2.89 फ़ीसदी वोट ही आए।
क्रम सं. | उम्मीदवार का नाम | पार्टी | कुल वोट | वोट प्रतिशत | हार-जीत का अंतर |
1. | हाजी यूनुस | आप | 98850 | 53.2 | 20704 |
2. | जगदीश प्रधान | बीजेपी | 78146 | 42.06 | 6631 |
3. | अली मेहदी | कांग्रेस | 5363 | 2.89 |
इन पांचो सीटों के नतीजों के विश्लेण से साफ़ ज़ाहिर है कि दिल्ली के मुसलमानों ने आप को कांग्रेस ते विकल्प के रूप में अपना लिया है। नागरिकता संशोधन क़ानून, एनपीआर और एनआरसी के ख़िलाफ़ स्टैंड लेने से कांग्रेस को उम्मीद थी कि दिल्ली के मुसलमानों का वोट उसे मिलेगा लेकिन मुसलमानों ने आप का दामन थामकर कांग्रेस की उम्मीदों पर झाड़ू फेर दी। कांग्रेस जब पंद्रह साल सत्ता में रही तब विधानसभा में पांच मुस्लिम विधायक हुआ करते थे। आप ने इस, चुनाव में इस आंकड़े को छू लिया है। पिछली बार उसके चार मुस्लिम विधायक थे। ऐसा लगता है कि दिल्ली के 13 फ़ीसदी मुस्लिम आप के मज़बूत वोटर बन गए हैं।