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भीम आर्मी चीफ का 23 फरवरी को भारत बंद का ऐलान, तेज़ हुई हलचल

आस मोहम्मद कैफ।Twocircles.net

सहारनपुर।

प्रोन्नति में आरक्षण को मौलिक अधिकार मानने से सुप्रीम कोर्ट के इंकार के बाद दलितों में आया उबाल अब आंदोलन की तरफ रुख़ कर रहा है। दलितों के युवा तुर्क ‘भीम आर्मी’ के चीफ़ चंदशेखर आज़ाद ने

23 फरवरी को भारत बंद का ऐलान किया है। इससे पहले वो 16 फरवरी को दिल्ली में एक पैदल मार्च करने जा रहे हैं। चंद्रशेखर आज़ाद ने इस भारत बंद में सीएए, एनपीआर और एनआरसी के विरोध को भी शामिल किया है।

चंद्रशेखर ने दलित आदिवासी और अल्पसंख्यक समाज के समस्त नेताओं से पार्टी स्तर से ऊपर उठकर समर्थन मांगा है। ‘भीम आर्मी’ के वर्चस्व वाले चन्द्रशेखर के गृह जनपद सहारनपुर में इस ऐलान के बाद कार्यकर्ताओ में हलचल देखने को मिल रही है। स्थानीय प्रशासन में भी इसे लेकर हड़कंप है। ख़ुफिया विभाग दलित बहुल गांवों से जानकारियांं जुटाने में लगा है। दलितों युवाओं में उत्तेजना को पढ़ा जा सकता है।

ग़ौरतलब है कि दलित आंदोलन की यह क़वायद 7 फरवरी को सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद शुरू हुई है। इसमें कहा गया है कि प्रोन्नति में आरक्षण दलितों का मौलिक अधिकार नहींं हैंं। इस फैसले के बाद एससी/एसटी को नौकरी में प्रमोशन के दौरान आरक्षण का लाभ नही मिल पायेगा। अब केंद्र सरकार अगर चाहे तो वो सदन में प्रस्ताव पास कर इस फैसले को पलट सकती है। दलित इसके लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं।

हालांकि चंद्रशेखर का कहना है, ‘हर बार सरकार की दया पर क्यों निर्भर रहेंं! सरकार ही तो इस फ़ैसले के लिए अदालत के पास गई थी! यह एक मौलिक अधिकार है। सेक्शन 16(4)ए में इसका प्रावधान है। हम सड़कों पर उतरकर अदालत को यह बताना चाहते हैं कि यह फ़ैसला दलितों की जनभावना कज ख़िलाफ़ है। दलित समाज इस फैसले से खुश नहींं है। दलित हितों के ख़िलाफ़ लगातार फैसले आ रहे हैं। अब हम चाहते हैं इस पर ऑर्डिनेस लाया जाएं। इसे संविधान की 9वींं सूची में डाला जाए। ताकि इसमें फिर बदलाव की गुंजाइश हघ ख़त्म हो जाए। इसके लिए 16 फ़रवरी को हम मंडी हॉउस से संसद तक मार्च निकालने जा रहे हैं और 23 फरवरी को भारत बंद करेंगे। इसके लिए हमने तमाम दलित सांसदों से भी समर्थन मांगा है।’

भीम आर्मी राष्ट्रीय कोर कमेटी के सदस्य कुँवर देवेंद्र सिंह के अनुसार भीम आर्मी शांतिपूर्ण तरीक़े से पूरे देश में 23 फरवरी को विरोध दर्ज कराने के लिए भारत बंद का आह्वान कर रही है। यह 2 अप्रैल 12018 से अधिक प्रभावशाली भारतबंद होगा। हम किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहींं करते। 2 अप्रैल को भी एक षड्यंत्र के तहत हिंसा की गई थी। हमने अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है। हिंसा फैलाने वाले तत्वों से सावधान रहें।यह हमारे लोग नही है। यह आंदोलन को नाकाम करने वाले षड्यंत्रकारी होते हैं।

चंद्ररशेखर आज़ाद कहते हैं, ‘दलित समाज अदालत के इस फ़ैसले पर अध्यादेश लाने की मांग कर रहा है। हम जानते हैं कि प्रशासन हमें कुचलने की पूरी कोशिश करेगा मगर हम इससे न डरेंगे।’

दलित युवाओं में भीम आर्मी के भारतबंद के इस ऐलान को लेकर हलचल है। सहारनपुर के प्रवीण जाटव के मुताबिक, ‘चंद्रशेखर भाई उनके नेता है जो भी कह रहे हैं वो एक आदेश है। हम उसे ज़रूर मानने जा रहे हैं। सहारनपुर पुलिस भीम आर्मी कार्यकर्ताओ के ख़िलाफ़ लगातार सख़्त कार्रवाई कर रही है। हमारे साथियों को फ़र्जी मुकदमों में जेल भेजा जा रहा है। हमारे राष्ट्रीय महासचिव कमल वालिया 8 महीने बाद जेल से बाहर आये है मगर हम झुकेंगे नहीं।’

भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने इसके लिए तमाम दलित नेताओं और जनप्रतिनिधियों से समर्थन मांगा है। चंद्रशेखर ने कहा कि दलितों को आरक्षण बाबा साहेब के संघर्षों से मिला है। अगर आरक्षण ही नही रहेगा तो सभी के अस्तित्व को ही ख़तरा पैदा हो जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘हमने हमेशा लड़कर अपने अधिकारों की रक्षा की है और लड़कर एससीएसटी हितों को बचाया है। अब हमनें तय किया है कि हम इसके लिए भी लड़ेंगे। हमने भीम आर्मी को इसके लिए तैयारी करने के लिए कह दिया है। यह दलितों के आत्मसम्मान का प्रश्न है। हम किसी प्रकार का मनुवादी एजेंडा लागू नही होने देंगे।’

चंद्रशेखर के मुताबिक वो संविधान बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैंं। संविधान इस देश की आत्मा है। मौजूदा सरकार विभिन्न अलग-अलग तरह के हथकंडे अपनाकर उससे छेड़छाड़ कर रही है। दलित समुदाय की बड़े पैमाने पर अनदेखी की जा रही है।23 फरवरी के भारत बंद में हम सीएए, नपीआर और एनआरसी का भी विरोध करने जा रहे हैं।