आस मुहम्मद कैफ, TwoCircles.net
उत्तराखंड के रुद्रपुर के एक शख्स अपने साहसी क़दम के लिए देश भर में चर्चा है।40 साल की हिम्मत का यह धनी ईवीएम को बैन कराने की मांग के साथ देशभर में पैदल यात्रा कर रहा हैं।उनकी इस पदयात्रा को 119(शनिवार तक) दिन हो चुके है और 6500 किमी तय कर चुके हैं।ओंकार सिंह इस समय आंध्रप्रदेश में है और अब उन्हें हर तरफ शानदार स्वागत मिल रहा है।
रुद्रपुर के इस शख्स का नाम ओंकार सिंह ढिल्लों है।रुद्रपुर में उनकी लॉन्ड्री की दुकान में पिछले सौ दिनों से ताला लगा है।18 अगस्त को उन्होंने एक 75 किलो वजन वाली ट्रॉली ली उसमे अपने जरूरी कपड़े रखें और घर से देशभर में पैदलयात्रा पर ईवीएम बैन कराने निकल गए। उन्होंने डॉक्टर पत्नी को कुछ नही बताया,जबकि अपने माता पिता से आर्शीवाद लिया और बहन को बताया कि वो उनकी पत्नी और उनके दो बच्चों का ख्याल रखें।
ओंकार देश में ‘बेक टू बैलेट’ और ‘ईवीएम हटाओ देश बचाओ’नारे के साथ रुद्रपुर से निकले उन्होंने अपनी ट्रॉली के ऊपर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लगाया।जब जो बिलासपुर पहुंचे तो उन्हें उनकी पत्नी सुमन सिंह का फ़ोन आया उनसे बिना बताएं चले आने की वजह पूछी ओंकार कहते हैं “मैं अपने देश से अत्यधिक प्यार करता हूँ और ज़ाहिर है मुझे अपने बीवी बच्चों से भी प्रेम है मेरे दो बच्चें हैं एक बेटा और एक बेटी,मैं समझता हूं कि दोनों के प्रति ही मेरे गहरे दायित्व है अगर उस समय अगर मैं अपनी पत्नी से बात कर लेता तो शायद मेरा पूरे देश में ईवीएम के विरोध में पैदलयात्रा का इरादा कमज़ोर पड़ जाता मैं हर हाल में जाना चाहता था क्योंकि मैं जानता हूँ कि पारदर्शी और स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ईवीएम बैन होना बहुत जरूरी है।”
गौरतलब है मई में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की पूर्ण बहुमत वाली सरकार आने के बाद से देश भर ईवीएम बैन करने को लेकर बहुत सारी आवाजें उठी है।कई राजनीतिक दलों ने भी अप्रत्याशित नतीजों को लेकर सवाल खड़े किए थे मगर ईवीएम की गड़बड़ी को साबित नही कर पाएं।
ओंकार सिंह बताते हैं कि “लोकसभा चुनाव के नतीज़े आने के बाद खुद भाजपा समर्थकों के चेहरों पर खुशी नही थी, जीत अप्रत्याशित थी।हर कोई हैरत में था उनके विरोधी और समर्थक सब।हमने अपने आस पड़ोस में महसूस किया कि जिन इलाकों में भाजपा का विरोध किया जा रहा था वहीं भाजपा को भरपूर मत निकले थे।लोगो ने वोट ईवीएम को दी और ईवीएम का जिसको दिल किया उसने उसे दे दी”।
ओंकार सौ दिन की अपनी यात्रा में कर्नाटक पहुंच गए हैं और बंगलुरू से 95 किमी की दूरी पर है।उनकी यात्रा उत्तराखंड से शुरू हुई और वो उत्तर प्रदेश,हरियाणा, राजस्थान,मध्यप्रदेश गुजरात,महाराष्ट्र के बाद अब कर्नाटक पहुंचे है।
ओंकार सिंह बताते हैं कि इस दौरान वो सड़क के किनारे अथवा पेट्रोल पंप पर सोते रहे हैं क्योंकि वो अपने खाने खर्च के पैसे तो लेकर चले थे मगर ठहरने का पैसा लेकर नही आएं।पहले उन्होंने इसकी जरूरत नहीं महसूस की थी मगर जब अजमेर में उनपर हमला हुआ तो उन्हें रात में सुरक्षित जगह की जरूरत महसूस हुई।
ओंकार सिंह कहते हैं कि “अजमेर में उन पर तीन बार हमला हुआ,उनको मेरे तिरंगा साथ लेकर चलने पर आपत्ति थी,वो कह रहे थे मैं राष्ट्रविरोधी काम कर रहा हूँ मुझे ईवीएम के ख़िलाफ़ आवाज़ नही उठानी चाहिए, उन्होंने मेरी जान लेने की कोशिश की।”
ओंकार बताते हैं कि “अज़मेर में मुझपर हमला होने के बाद पुलिस ने मुझे कोई सुरक्षा तो मुहैया नही कराई मगर मेरा प्रयास थोड़ा चर्चित हो गया और बहुत सारे लोगो को यह पता चल गया कि कोई व्यक्ति ईवीएम के विरोध में देशभर में यात्रा निकाल रहा है।इससे मेरा जन समर्थन बढ़ गया और मैं जहां भी जाता था वहाँ लोग मेरे समर्थन में आने लगे,यहां तक की जब मैं गुजरात पहुंचा तो वहां तमाम बड़े नेता यह खबर जान गए थे।
इसके बाद ओंकार सिंह गुजरात पहुंच गए और वहां वो जिग्नेश मेवानी,हार्दिक पटेल और शंकर सिंह वाघेला जैसे नेताओं से भी मिले।ओंकार कहते हैं यह सभी नेता उनकी बात से सहमत थे और मानते थे कि ईवीएम में कुछ न कुछ है मगर सबूत न होने की वजह से यह लड़ाई आगे नही बढ़ पाई।
ओंकार सिंह बताते हैं जिस गुजरात मॉडल को वो देशभर में लागू करने की बात करते हैं सबसे ज्यादा व्यापारी और किसान वहीं परेशान है,वो अहमदाबाद, भरूच,बड़ोदरा और वापी गए और उन्हें सब जगह ईवीएम से संतुष्ट लोग मिले।ओंकार कहते हैं कि लोग दावा करते हैं कि वापस बैलेट पर आना ही लोकतंत्र के लिए अच्छा है।
ओंकार सिंह मीडिया के रवैये से भी नाराज़ है वो बताते हैं कि मीडिया के लोग उनके पास आते हैं बात करते हैं मगर ख़बर नही दिखाते अब यह बताइएं की ईवीएम में कोई गड़बड़ नही थी तो वोटों की गिनती में अंतर क्यों आया!
ओंकार सिंह के मुताबिक वो गांधी जी की समाधि राजघाट पर अपनी पैदल यात्रा का समापन करेंगे।ऐसा वो संर्पूण भारत के पैदल यात्रा के बाद ही करेंगे।
ओंकार के अनुसार कर्नाटक में भी उन्हें अच्छा समर्थन मिला है यहां के बाद वो तमिलनाडु जाएंगे।