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“अब्बू रात को सो नही रहे है, चोट सिर्फ जिस्म पर ही नहीं रूह पर लगी है,” मौलाना असद रज़ा हुसैनी के घर से ज़मीनी रिपोर्ट

नाहिद।Twocircles.net

मुजफ्फरनगर-

“उनका चेहरा ज़र्द पड़ चुका है।पैर से अब भी वो चल नही पा रहे।बातचीत कम से कम करते हैं उनके हाथ मे प्लास्टर अभी कुछ महीनों तक और रहने वाला है।मीडिया से बिल्कुल बातचीत नही कर रहे।कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और मुजफ्फरनगर के प्रभावशाली नेता पंकज मलिक उनके पास बैठे हैं वो पंकज से कहते हैं”बस मेरे बच्चों को जेल से बाहर निकलवा दीजिये मैं और कुछ और नही चाहता”।

मौलाना असद रज़ा हुसैनी पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय -अंतरराष्ट्रीय खबरों में बने हुए हैं।70 साल के मौलाना आज खुद को बेहद मज़लूम महसूस कर रहे हैं।तक़लीफ़ इस हद तक है कि वो अपने क़रीब बैठे एक शख्स से कहते हैं”मैं यतीम बच्चों की हिफाज़त करने में नाकाम हुआ हूँ।मौलाना असद रज़ा सादात ए बारह की एक बेहद इज़्ज़तदार शख्सियत है।सादात ए बाराह मुजफ्फरनगर जानसठ के आसपास के सय्यदों के बारह गांवों का एक समूह है।भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी समेत तमाम बड़ी हस्तियां यहाँ पैदा हुई है।यहीं के सैयद ब्रदर्स को इतिहास में ‘किंग मेकर’पढ़ाया जाता है।”

मौलाना असद रज़ा हुसैनी इसी सादात ए बाराह के मुजफ्फरनगर स्थित एक ऐतिहासिक इदारे(स्कूल)के प्रिंसिपल है।इसी स्कूल से लगी हुई एक दूसरी इमारत सादात हॉस्टल है।20 दिसंबर को सीएए के प्रदर्शन के दौरान महावीर चौक और मीनाक्षी चौक के ठीक बीचोबीच स्थित उनके स्कूल में पुलिस के लाठीचार्ज से बचने के लिए प्रदर्शन कर रही भीड़ उनके इदारे में घुस आई थी।भीड़ के पीछे यहां पहुंची पुलिस ने स्कूल के बच्चों को भी बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया,बच्चों को बुरी तरह पीटे जाते देख मौलाना असद रज़ा उन्हें बचाने लगे तो उन्हें बुरी तरह मारा गया उनके हाथ पैर तोड़ दिए गए।उनके दफ़्तर को तहस नहस कर दिया गया और दर्जनों बच्चों के साथ उन्हें हिरासत में ले लिया गया।24 घण्टे हिरासत में रखने के बाद मौलाना को तो छोड़ दिया गया मगर 17 स्टूडेंट्स को जेल भेज दिया गया।

15 दिन बाद भी मौलाना असद रज़ा आज भी उस दिन के जैसा ही दर्द महसूस कर रहे हैं।उतनी ही तक़लीफ़ में है।उनके बेटे मोहम्मद हुसैनी बताते हैं कि”अब्बू रात को सो नही रहे हैं!चोट सिर्फ जिस्म पर नही लगी है,रूह पर भी लगी है,घर मे कोई खाना नही खा रहा हैं!हमारे घर मे मातम है,सभी तक़लीफ़ में है,जब पुलिस मेरे अब्बू को पीट रही थी तो मेरा छोटा भाई अहमद उनके ऊपर लेट गया उसने बचाने की पूरी कोशिश की,हम अपना दर्द आपको नही बता सकते अब हम बस यह चाहते हैं बच्चें छोड़ दिए जाएं।”

मौलाना असद रज़ा हुसैनी किदवईनगर में हुसैनी मंजिल में रहते हैं उनके ड्राइंग रूम में लगातार उनकी अयादत(मिज़ाज़ पुरसी)करने वालों की आवाजाही लगी है।शिया समाज के बड़े मौलाना यासूब अब्बास और मौलाना कल्बे जव्वाद भी उनसे मिलकर तक़लीफ़ साझा कर चुके हैं।पुलिस ने उनसे बच्चों को छोड़ने का वादा किया था मगर अब तक ऐसा हुआ नही है।यहां मौजूद जुनैद रउफ बताते हैं कि जो बच्चें जेल भेजे गए है इनमे ज्यादातर नाबालिग़ और यतीम है।

मौलाना के करीब ही बैठे पड़ोस में ही रहने वाले कांग्रेस के पूर्व विद्यायक पंकज मलिक कहते हैं कि”पुलिस ने अत्याचार की सभी हद पार दी है।

लोग पूरी तरह डर गए हैं,सरकार लोगो के मौलिक अधिकारों पर प्रहार कर रही है, आवाज़ों को कुचला जा रहा है।मौलाना असद एक सम्मानित नागरिक हैं।वो 70 साल के है।बच्चों के साथ ज्यादती की गई है।पुलिस ने स्कूल के इनके दफ्तर में जाकर तोड़फोड़ की और निर्दयता से पिटाई की यह निश्चित रूप से अत्याचार है।

पूर्व गृह राज्यमंत्री सईदजुमा के पुत्र सलमान सईद कहते हैं “पुलिस के अत्याचार और भेदभाव की ऐसी मिसाल आपको भारत में कहीं नही मिलेगी, सभी हदे पार कर दी गई है।पुलिस के साथ हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भी पथराव किया,आगजनी की,मेरे प्रतिस्ठान में आग लगी दी गई, कार जला दी गई।मैं हॉर्स राइडिंग का राष्ट्रीय खिलाड़ी रहा हूँ अब मेरा बेटा नेशनल प्लेयर है।हमारे घोड़े को पीटा गया उसकी टांग जला दी गई।यह सब तिलक धारी थे।सबकी वीडियो है,फ़ोटो है।मैं राजनीतिक परिवार से हूँ।दादा एमपी रहे हैं,पिता गृह मंत्री रहे हैं मगर पुलिस ने मेरा मुक़दमा 12 दिन बाद दर्ज किया है।नाइंसाफी और पक्षपात की ऐसी मिसाल कहीं नही मिलेगी।”

सलमान बताते हैं “लोग बुरी तरह डरे हुए है वो बोलते हुए डर रहे हैं,हर तरफ ख़ौफ़ का माहौल है,पुलिस अपनी गलती मानने को तैयार नही है।एक पक्ष के प्रदर्शनकारियो को उपद्रवी और बवाली बताकर कुचला जा रहा और दूसरे पक्ष के लोगो को पुलिस का सहयोगी बताया जा रहा है।समान कार्रवाई का सवाल ही नहीं है!वो आगजनी कर रहे हैं, तोड़फोड़ कर रहे हैं।पथराव कर रहे हैं।उनकी गुंडई को सरकारी संरक्षण है।”

सलमान सईद बच्चों के साथ हुई ज्यादती पर काफ़ी नाराज़ है और कहते हैं”प्रशासन डराने धमकाने की कोशिश कर रहा है उन्हें डर है ये बच्चें बाहर आएंगे तो हम इन्हें लेकर शिकायत करेंगे इसलिए उन्होंने “डैमेज कंट्रोल टीम” को काम पर लगाया है।यह लोग पीड़ितों के बीच जाकर उन्हें कह रहे हैं कि पुलिस के ख़िलाफ़ वो कोई कार्रवाई न करे हम बच्चों के बाहर आने का इंतेजार कर रहे हैं हम अपनी लड़ाई वैधानिक तरीके से लडेंगे।”

मुजफ्फरनगर के मीनाक्षी चौक पर आरएएफ का दंगा नियंत्रण वाहन अब भी खड़ा है।सादात हॉस्टल में अब ताला लगा दिया गया है।

सहारनपुर के डीआईजी और मुजफ्फरनगर के नोडल अफसर उपेंद्र अग्रवाल इन सभी आरोपों का खंडन करते हैं।वो कहते हैं बच्चों के उत्पीड़न के आरोप बिल्कुल निराधार है।देखा गया है कि कुछ नाबालिग लड़के भी आगजनी कर रहे थे।हम वैधानिक कार्रवाई कर रहे हैं मगर किसी निर्दोष के विरुद्ध कोई कार्रवाई नही की गई है।जिन लोगो के लोगो विरुद्ध साक्ष्य नही मिले  है।उनके लिए अग्रिम कार्रवाई की जा रही है।

पुलिस के प्रति भेदभाव के आरोप भी एकदम ग़लत है।वीडियो फुटेज के आधार पर कार्रवाई की जा रही है उसमें दोषी कोई भी हो किसी को भी नही छोड़ने जा रहे हैं।अगर किसी को कोई शिकायत है उसके अनुरोध पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस की बर्बरता के किसी भी आरोप को मानने से  वो एकदम इंकार करते हैं वो कहते हैं कि पुलिस ने किसी तरह की कोई बर्बरता नही की है।किसी बेगुनाह को बिल्कुल परेशान नही किया गया है।वो आरोपों को निराधार बताते हैं।