‘चंपक’ की मां और ‘सग़ीर’ की दादी से मिलकर रो पड़ी प्रियंका गांधी

सांकेतिक तस्वीर (PC- Facebook Priyanka Gandhi Vadra)

आसमोहम्मद कैफ़, Twocircles.net

वाराणसी। नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान जेल भेजी गई एकता शेखर का दर्द  सुनकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गया गांधी भावुक हों गईं। वो रो पड़ी और उनकी आंखों से आंसू छलक आए। एकता ने प्रियंका को उन पर हुए पुलिसिया ज़ुल्म की दास्तान सुनाई तो प्रियंका अपने आंसू नहीं रोक सकीं।


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एकता ने बताया कि अपनी गिरफ्तारी के बाद उन्होंने पुलिस से ‘चंपक’ की देखरेख का हवाला देकर उनके पति या उनमें से किसी एक को ज़मानत देने की अपील की थी। मगर पुलिस ने उनकी अपील ठुकरा दी। एकता शेखर के मुताबिक़ पुलिस ने कहा था, ‘तब तो तुम्हें जेल ज़रूर ही जाना चाहिए। ताकि तुम्हें आंदोलन करने की सख़्त सज़ा मिल सके।’

एकता सो मिलने के बाद प्रियंका गांधी प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर पुलिस की गोली से मारे गए 9 साल के बच्चें सग़ीर के परिजनों से भी मिलने गईं। प्रदर्शन वाले दिन 9 साल के सग़ीर की गोली लगने से मौत हो गई। सग़ीर के परिजनों का दावा है उसकी मौत पुलिस की गोली लगने से ही हुई है। हालांकि अभी तक पुलिस ने यह क़ुबूल नहीं किया है।

वाराणसी पहुंचने के बाद सबसे पहले प्रियंका गांधी राजघाट स्थित संत शिरोमणि संत रविदास मंदिर पहुंची थी। उन्होंने यहीं 20 दिसंबर को प्रदर्शन के दौरान जेल भेज दिए लोगों से मुलाक़ात की। प्रियंका गांधी ने पंचगंगा घाट स्थिति प्रसिद्ध श्री मठ में नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) का शांतिपूर्ण तरीक़े से विरोध प्रदर्शन करने के बाद जेल में डाले गए आंदोलनकारी छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात की।

प्रियंका गांधी से बातचीत के दौरान छात्र आंदोलनकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि वाराणसी में पूरा CAA-NRC के खिलाफ प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीक़े किया जा रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन का गवाह रहे एतिहासिक बेनियाबाग में प्रशासन ने शांतिपूर्ण तरीक़े से बात रखने से रोका। आंदोलकारियों ने प्रियंका गांधी को बताया कि वो संविधान बचाने का नारा लगा रहे थे लेकिन  पुलिस ने उन सबको गिरफ्तार कर लिया। ग़ौरतलब है कि बेनियाबाग में ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अस्थिकलश अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। तभी से उसे शातिपूर्ण प्रदर्शन स्थल माना जाता है।

जेल से रिहा हुए आंदोलनकारियों ने प्रियंका को बताया कि जेल में उन्हें हर तरह से प्रताड़ित किया गया। उनको परिजनों से मिलने नहीं दिया गया। एक तो उनकी गिरफ्तारी ग़ैरकानूनी तरीक़े से हुई ऊपर से उन्हें खाना तक नहीं दिया गया। आंदोलनकारियों ने कहा कि जो लोग बाहर आंदोलनकारियों के ज़मानत और समर्थन में खड़े थे उनको पुलिस लगातार धमका रही थी। पुलिस लगातार उनके घरों पर दबिश देकर प्रताड़ित कर रही थी।

आंदोलनकारियों ने बेनियाबाग में पुलिस के बर्बर लाठीचार्ज और तोड़फोड़ की जानकारी देते हुए प्रियंका गांधी को बताया कि पुलिस अधिकारी जान से मारने और काटने की धमकी दे रहे थे। उन्होंने प्रियंका से कहा कि उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है क्योंकि हिंसा में शामिल एक पुलिसकर्मी को ही इस मामले में जांच अधिकारी बना दिया गया है।

कांग्रेस महासचिव से बातचीत के दौरान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों ने कहा कि बनारस में पूरे साल धारा 144 लागू रहती है। हमारे विश्वविद्यालय को प्रधानमंत्री ने विदेशी शरणार्थी कैम्प बना दिया है। इसके गेट पर हमेशा पुलिस की गाड़ियां खड़ी रहती हैं, वज्र वाहन खड़े रहते हैं। कैम्पस में भाजपा के गुंडे आये दिन मारपीट करते हैं। बाहर पुलिस परेशान करती। संघ परिवार से जुड़े शिक्षक धमकी देते हैं। यह सिर्फ इसलिए हो रहा है कि हम सत्य के लिए लड़ रहे हैं। संविधान के लिए लड़ रहे हैं।

आंदोलन में जेल गए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बातचीत के दौरान कहा कि बनारस गंगा-जमुना तहज़ीब की धरती है, यह बात संघ परिवार की आंखों में चुभती है। भाजपा सरकार लगातार CAA-NRC के मामले को हिन्दू-मुसलमान करना चाहती है। लेकिन संघ परिवार को बनारस की ज़मीन ने कड़ा संदेश दिया है कि संविधान विरोधी इस क़ानून को जनता स्वीकार नहीं करेगी। आंदोलनकारियों ने कहा कि सरकार जेल और लाठी के दम पर इस संविधान बचाने के मुहिम को रोकना चाहती है लेकिन जेल और लाठी से देश की जनता नहीं डरती है।

आंदोलनकारियों ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से बताया कि पुलिस और प्रशासन ने अमानवीयता की तमाम हदों को पार करते हुए और तमाम क़ायदे क़ानूनो को ताक़ पर रखकर आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया। 15 माह की चंपक के मां-बाप को पकड़ा गया। एक आंदोलनकारी के पिता कैंसर से पीड़ित हैं। उसको ग़ैरकानूनी तरीक़े से गिरफ्तार किया गया। सिर्फ इतना ही नहीं एक आंदोलनकारी के गिरफ्तारी के सदमे से उनके पिता की मौत हो गयी। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि इतने दमन और उत्पीड़न के बावजूद उनके हौसले बुलंद हैं। संविधान बचाने की यह लड़ाई जारी रहेगी।

प्रियंका गांधी ने पुलिसिया हिंसा में मारे गए बजरडीहा के 9 साल के सग़ीर के परिजनों से भी मुलाकात की। सग़ीर की दादी ने प्रियंका गांधी को बताया उनका पोता गली में खेलने गया था। किसी को कोई ख़बर नहीं थी। शाम को जब वह घर नहीं आया तो उसकी तलाश हुई। काफ़ी देर बाद पता चला कि पुलिस की गोली से उसकी मौत हो गई है। यह बताते हुअ सग़ीर की दादी फफक कर रो पड़ीं। रोते हुए उन्होंने बताया, ‘पुलिस ने तो मेरे पोते का दाफ़ीना भी  यहां नही  होने दिया, यह कैसी सरकार है?’

चंपक की मां और सग़ीर की दादी से मिलने का बाद पिरयंका गांधी ने पीएम मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला बोला। प्रियंका गांधी ने कहा कि CAA कानून संविधान विरोधी है। संविधान की रक्षा करना हर एक भारतीय का दायित्व है। भाजपा सरकार लोगों के मौलिक अधिकारों ख़त्म करना चाहती है। सरकार लोगों की अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचलने पर आमादा है। लेकिन कांग्रेस पार्टी ऐसा नहीं होने देगी। काँग्रेस पार्टी भारतीय संविधान और नागरिकों के हितों के साथ खड़ी है।

महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि पूरे देश में अराजकता का मौहाल है। बनारस में भी अन्य जगह की तरह बर्बर उत्पीड़न और दमन हुआ है। लोगों को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार किया गया। सिर्फ़ इतना ही नहीं लोगों के परिजनों को परेशान किया गया और धमकी दी गयी है।

उन्होंने आंदोलनकारियों से कहा कि कांग्रेस पार्टी ने CAA-NRC के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा और दमन के खिलाफ उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को ज्ञापन दिया है। इसमें हमने मांग की है कि यूपी सरकार का गृह विभाग और डीजीपी को तुरन्त आदेश जारी करके पुलिस की तरफ से की जा रही ग़ैरक़ानूनी, हिंसात्मक और आपराधिक कार्यवाही को तुरन्त रोका जाए। साथ ही हाईकोर्ट के मौजूदा जज या सेवानिवृत्त जज की निगरानी में क़ानूनी ढंग से शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर लगाये गये आरोपों की सत्यता और तथ्यों की निष्पक्ष जांच का आदेश दिए जाने की मांग भी की है।

प्रियंका ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया पूरी किये बिना सम्पत्तियों को सीज़ करना या सम्पत्तियों की कुर्की सम्बन्धी प्रक्रिया पर तुरन्त रोक लगाई जाए। उन्होंने शांतिपूर्ण तरीक़ो से आंदोलन में शामिल छात्रों से कहा कि हमने राज्यपाल से यह मांग की है कि पूरे देश की तरह प्रदेश में भी छात्र शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं उनपर किसी भी तरीके की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।

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