“हमने उसी तरह इसरार की 6 साल की बेटी निदा को यह नही बताया है कि उसका बाप मर गया है। जिस तरह इसरार ने 4 साल की निदा को उसकी माँ के मरने के बाद यही नही बताया था कि उसकी मां मर गई है”।
आस मोहम्मद कैफ । Twocircles.net
देवबंद लिंचिंग में मारे गए इसरार की दर्दनाक मौत की कहानी गुलफ़ाम की जबानी
मेरा भाई इसरार (30) फर्नीचर बनाने का काम करता था। हम लोग यह काम गांव-गांव जाकर करते हैं। मैं भी यही काम करता हूँ। हमारा गांव इमलिया है।देवबंद से 3 किमी दूर। जिस गांव में मेरे भाई को मार दिया गया। उसका नाम देहरा है। वो मेरे गांव से 8 किमी दूर है। हम 6 भाई है।नही..थे।अब हम पांच है। एक मर गया है।वो तीसरे नंबर का था। मुझसे छोटा। डेढ़ साल पहले उसकी बीवी मर गई थी।बच्चा होने में। हमने उसी तरह इसरार की 6 साल की बेटी निदा को यह नही बताया है कि उसका बाप मर गया है। जिस तरह इसरार ने 4 साल की निदा को उसकी माँ के मर जाने के बाद यही नही बताया था कि उसकी मां मर गई है। निदा अब ऐसी मासूम है। जिसके मां और बाप दोनों मर चुके हैं।जुमेरात को हमें देहरा से फ़ोन आया कि तुम्हारे भाई को भीड़ मार रही है,क्यों मार रही है! यह उसने बताया! हम बदहवास देहरा पहुंचे! मेरे भाई भी और पुलिस भी! गांव के शुरू में ही मेरा भाई ‘मर’ चुका था!
बस उसकी ‘सांस’ चल रही थी! बुरी तरह पीटा गया होगा! बदन का कोई हिस्सा हरक़त में नही था! दिमाग़ जिंदा था,बदन मर गया था! हमारे साथ पुलिस थी मगर गांव के लोगों को हमारे से कोई हमदर्दी नही थी।उन्होंने हमें गालियां दी बदतमीजी की,हमें हमारे भाई को पानी नही पिलाने दिया। पुलिस ने हमारे भाई की सांस चलती देखी तो उसे अपनी गाड़ी में अस्पताल ले जाने के लिए डाल लिया और काफ़ी जल्दबाजी की।
तब इसी गांव के यही लोग पुलिस से धक्का मुक्की करने लगे, वो जबर्दस्ती पुलिस को रोकने लगें, उनकी गाड़ी के आगे लेटने लगे और लकड़ी काटकर उसके आगे डालने लगे।
ये लोग कह रहे थे कि मेरे भाई ने एक 9 साल के बच्चे की गर्दन पर दरांती मार दी है! कुछ यह भी कह रहे थे कि मोटरसाइकिल से टक्कर लगी है! देवबंद पुलिस ने बेहद मुश्किल से इसरार को लेकर आई और हम जिला अस्पताल सहारनपुर पहुंच गए। वहां तक पहुंचते-पहुंचते इसरार की बच्ची निदा यतीम हो गई,और हम पागल हो गए। बदहवास मेरा एक भाई पोस्टमार्टम हॉउस के बाहर खड़े होकर रो रहा था और दूसरा पेड़ से लगा हुआ। हमें इसरार देहरा में जिंदा मिला था।अस्पताल आते आते मर गया। जिस लड़के के चोट मारना बताकर इसरार को मारा गया था,मैंने उसे अस्पताल ही देखा, उसके ऐसी चोट नही थी कि 2 बच्चों को यतीम किया जा सके। मैं आपको तक़लीफ़ नही बता सकता हूँ कि हमारे सामने हमारे भाई की लाश पड़ी थी, उसकी मौत की वज़ह नही पता थी,मगर आंखों के सामने बस और बस उसकी 6 साल की बच्ची निदा थी, हम सबने तय किया कि कोई घर निदा को कुछ नही बताएगा हमने कहा कि उसके पापा बाहर काम करने गए हैं अब लॉकडाऊन खुल रहा था तो वो काम करने ही तो गया था बस जिंदा वापस नही आया।
उस दिन रात में सहारनपुर के सांसद फजरुलरहमान, पूर्व विधायक माविया अली जैसे नेता वहीं रहे हमारे साथ, इमरान मसूद भी लगातार फ़ोन करते रहे। हमनें इसरार को दफन कर दिया। हमारे घर पर तब से सैकड़ों लोग आ चुके हैं। हिन्दू-मुसलमान सब। मुझसे लगातार लोग पूछ रहे हैं कि क्या इसरार की हत्या उसके मज़हब की वज़ह से हुई! मैं कहता हूँ! नही!अगर मज़हब की वज़ह से होती तो हमारे घर पर उदास चेहरे के साथ इतने हिन्दू भाई दुःख क्यों जताते!
मेरे भाई की मौत लोगों के अंदर पनप रहे गुस्से की वज़ह से हुई और इस गुस्से को उनमे मीडिया ने भरा है! टीवी की इस मीडिया ने लोगो को क़ातिल बना दिया है! कल उसकी पिटाई वीडियो देखी है। अब दिमाग़ में ऐसे चल रही है जैसे अंदर ही टीवी फिट हो रखा हो! कैसे लोग है! एक बेगुनाह इंसान बुरी तरह से बांधकर पीट रहे हैं। ज़ालिम है ये,शैतान है अल्लाह इन्हें माफ़ नही करेगा खुदा इंसाफ करेगा क़ातिलों की भीड़ में कई लोग मेरे भाई को जानते थे किसी ने उसे नही बचाया, मैं लोगो से अपील करता हूँ खुदा के लिए इसमे हिंदू मुस्लिम न करें ,दरिंदो का कोई धर्म नही होता”
(यह आपबीती इसरार पुत्र मकसूद के भाई गुलफ़ाम की है,गुलफ़ाम के भाई इसरार की 18 जून की शाम देवबंद कोतवाली के पास देहरा गांव में मॉब लिंचिंग में हत्या कर दी गई थी। गुलफ़ाम ने यह एफआईआर दर्ज कराई है। एफआईआर के मुताबिक उसके भाई की देहरा गांव के कश्यप बस्ती में स्कूल के पास बॉबी,सूंडा, धर्मवीर, रोहित, नितिन, जोहरु, सत्तू, धर्मेंद्र, रवि ,विजय समेत लगभग 25 लोगो ने लाठी, डंडों और सरियों व धारदार हथियारों से पीटकर बुरी तरह घायल कर दिया अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई अब तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नही की गई एसएसपी सहारनपुर के अनुसार दोषी निश्चित तौर जेल जाएंगे,धरपकड़ के लिए प्रयास जारी है।)