कोरोना से जनता लड़ रही हैं, सीमा पर सेना लड़ रही है और हमारी सरकार चुनाव लड़ रही है:चंद्रशेखर आज़ाद

Twocircles.net के साथ अपने एक घण्टे के इंटरव्यू मे भीम आर्मी सुप्रीमो  चंद्रशेखर आज़ाद- बहुजनों की तमाम परेशानियों, षडयंत्रो और संभावनाओ पर बात करते हैं। वो आरक्षण खत्म करने के प्रयासों, दलित-मुस्लिम एकता तोड़ने के लिए हो रहे षडयंत्रो ,उनकी छवि बिगाड़ने की सोशल मीडिया साज़िश,कोरोना काल के संकट, चीन समस्या सहित अनेकों मुद्दों पर बात करते हैं और कहते हैं उन्हें यकीन है कि सत्य का सूर्य उदय होने ही वाला है। यहां आप टीसीएन के वरिष्ठ संवाददाता आस मोहम्मद कैफ के साथ हुई उनकी बातचीत को पढ़ सकते हैं …..
 

आजकल सोशल मीडिया पर आपके ट्वीट पर खासा बवाल हो रहा है,आपके महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी ट्वीट की काफ़ी आलोचना हो रही है!

चंद्रशेखर आज़ाद-
ये एक षड्यंत्र के तहत हो रहा है, बहुजन नेताओं के विरुद्ध इस तरह के षड्यंत्र होते हैं। ये ट्वीट 8 जून 2017 से 14 सितंबर 2018 तक के बीच के है,इस पूरी अवधि के दौरान मैं जेल में बंद था। जबकि यह ट्विटर अकाउंट फरवरी 2018 में बना है। 5 नवंबर 2018 को हमनें यह अकाउंट लेते समय औपचारिक सूचना दी थी कि अब इस अकाउंट को आधिकारिक तौर पर मैं प्रयोग करूँगा। अब ये मेरे ख़िलाफ़ सीबीआई का छापा नही लगवा सकते। ईडी नही लगा सकते। ये छवि बिगाड़ने का षड्यंत्र कर सकते हैं।यह इन्होंने किया। बीजीपी के आईटी सेल ने पूरा साज़िश करके दिन भर झूठ फ़ैलाया। मेरे परिवार को बुरा भला कहा गया।मेरी बहनों को गाली दी गई। मेरे खिलाफ बिना जानकारी लिये, महिला आयोग की चेयरपर्सन बयान देती है। मैं ये पूछना चाहता हूँ जब दलित , पिछड़े, आदिवासी, मुस्लिमो, बहनों पर रोजाना अत्याचार होते है तो महिला आयोग की टीम क्यो नही दिखाई देती।

छवि बिगाड़ने के यह षड्यंत्र राहुल जी और अखिलेश जी के साथ भी होते हैं, अब आपके साथ भी हो रहे हैं! आप लोग अब तक इसकी काट क्यों नही तलाश पाएं है!


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चंद्रशेखर आज़ाद-

कुछ दिन पहले मैंने एक वीडियो बनाकर अपना बयान जारी किया था जिसमें मैंने बीजीपी के फ़र्जी राष्ट्रवाद के ख़िलाफ़ बहुजनों को जागरूक किया था। तभी मैंने कहा कि हम जनता के बीच जाकर भाजपा की शहीदों की लाशों पर राजनीति करने के कुत्सित प्रयासों की पोल खोलेंगे। 25 तारीख़ के बाद संसद का घेराव करेंगे।

इसके बाद यह प्रोपगेंडा शुरू हुआ,मैं महिलाओं का अत्यधिक सम्मान करता हूँ। मैं सामाजिक और स्वाभिमानी आदमी हूँ। राजनीति की इतनी कुटिलता नही समझता हूं।
ये लोग हमेशा एक षड्यंत्र करके बहुजन नेता की छवि को ख़राब करते हैं। इसे लालू प्रसाद यादव जी के मामले से सबसे अच्छी तरह समझा जा सकता है। लोग भृमित हो जाते हैं। जैसे आज भी है। इन्हें डर लगता है कि जब ‘पोल खुलेगी’ तो भरभराकर गिर जाएंगे। इसलिए झूठ का सहारा लेते हैं। अफवाहों और झूठ के दम पर सरकार चल रही है।

आपने कहा है कि सरकार लॉकडाऊन को हथियार बनाकर अपना एजेंडा लागू कर रही है कैसे!

चंद्रशेखर आज़ाद-
 
बिल्कुल,सरकार ने लॉकडाऊन को हथियार बनाकर कई फैसले लिए है! सबसे पहले 7 फरवरी को एक आदेश आया था। इसमे आरक्षण को मौलिक अधिकार मानने से सुप्रीम कोर्ट के जजों ने मना कर दिया था। जबकि आरक्षण का पैटर्न आर्टिकल 16(4) में है,यह मौलिक अधिकार के अंतर्गत आता है। इसके बाद 23 फरवरी भारत बंद की कॉल हुई। इसके बाद एक हाईकोर्ट का एक फैसला आया जिसमें कहा गया कि बंद कमरे में हुई किसी घटना में एससीएसटी एक्ट नही लगेगा। एक दूसरा फैसला यह आया (संभवत हरियाणा हाईकोर्ट का) की फ़ोन पर गाली देने पर एससीएसटी एक्ट नही लगेगा। इसके अलावा अगर आरोपी को यह पीड़ित की जाति पता ना हो तो उस पर पर भी इस एक्ट के अनुसार कार्रवाई नही होगी।इसकी गंभीरता को समझने के लिए मैं आपको एक घटना बताता हूँ। एक 9 साल की बच्ची का रेप हुआ और आरोपी को 10 साल की सज़ा हुई।सज़ा पूरी होने के बाद आरोपी को बरी कर दिया गया। अदालत ने इसपर टिप्पणी कि अपराधी  बलात्कार पीड़िता की जाति की जानकारी नही थी! अब मैं आपको बताता हूँ कि बलात्कारी बचने के लिए कैसे प्रयास करता है! पहले वो चाहता है कि एफआईआर ही दर्ज न हो! फिर गिरफ्तारी से बचने का प्रयास करता है! उसके बाद विवेचना प्रभावित करने का प्रयास करता है। फिर गवाहों को खरीदने अथवा धमकाने का काम करता है।उत्तर प्रदेश में पीड़िता को जलाना, गवाहों की हत्या जैसे मामले अभी सामने आये हैं। अब ये जाति न जानने वाली कितनी मजबूत है यह जान लीजिए।अपराधी झूठ बोल देगा।

यह ‘लेटर एंट्री’ की कहानी क्या है! इससे दलित अफसरों में काफी हलचल है!

चंद्रशेखर आज़ाद-
सरकार का हर एक तीन महीने की कार्यसमीक्षा वाला फैसला लेकर आई है। यह बहुजन समाज के कर्मचारियों को भारी नुकसान में डाल देगा। इसके अलावा इस कार्यसमीक्षा के दौरान अगर उनके कार्य में कमी पाई गई तो उनकी नौकरी संकट में पड़ जाएगी। अब इस फैसले का सबसे ज्यादा नुकसान किसे होगा आप समझ सकते हैं!
इसमें जो जगह बनेगी, उसमे सरकार के अपने लोग एडजस्ट हो जाएंगे। यह ‘लेटर एंट्री’ खासकर दलितों के अफसरों को नियंत्रित करने के लिए है। इससे उनकी स्वतन्त्रता प्रभावित होगी। समाज में इसे लेकर नाराजगी है।

जौनपुर में दलित मुस्लिम एकता के विरुद्ध षड्यंत्र हुआ है,यहां दो पक्ष आपस मे भिड़ गए !ऐसा क्यों हो रहा है!

चंद्रशेखर आज़ाद-
 
बहुजनों की एकता तोड़ने की लगातार साज़िश हो रही है।
बहुजनों में सबसे बड़ी आबादी दलित और मुस्लिम समाज की है। इसलिए सबसे ज्यादा षड्यंत्र इन्ही के ख़िलाफ़ होंगे।
जौनपुर में दोनों पक्ष बहुजन समाज से थे। इसलिये इस मामले में तुरन्त सख्त कार्यवाही की गई, जबकि स्वर्णो द्वारा दलित अत्याचार पर सारे हिन्दू संगठन मौन हो जाते है। आरएसएस के लोगो ने दलितों के पक्ष में खड़े होने का दिखावा किया।इसके अलावा दो अन्य मामलों में जहां आरोपी पक्ष मुसलमान नही था। कार्रवाई नही हुई। सरकार को जहां राजनीतिक  लाभ दिखाई वहां उसने कार्रवाई की।मेरा मानना है कि इस तरह के मामलों में तेजी आएगी और बहुजनों को आपस मे लड़वाया जाएगा, उनमे समझौता कराने के बजाय मामले को बड़ा बना दिया जाएगा। हम अत्यधिक सचेत है। हम ऐसी घटनाओं को बड़ा बनने से रोकने के प्रयत्न करेंगे। दलित तहसीलदार पीटा जा रहा है और बीजीपी सांसद से पूछताछ तक नही हो रही। निषाद समाज की बेटी के साथ रेप हुआ तो एफआईआर के लिए सँघर्ष करना पड़ रहा है। दलितों पर सवर्णो के अत्याचार पर इनके गले सुख जाते हैं।
 

एंटी सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले मुस्लिम युवाओं की गिरफ्तारी हो रही है!

चंद्रशेखर आज़ाद-
 
लॉकडाऊन के दौरान दिल्ली सहित देशभर में बड़े पैमाने पर बेगुनाह युवाओं की गिरफ्तारी हुई है। ये वो युवा है जो सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे।
विरोध का अधिकार उंन्हे सविंधान ने दिया था। सरकार विरोध को स्वीकार नहीं कर पा रही है।लोकतंत्र की सबसे बड़ी सुंदरता विपक्ष होती है। इस बार विपक्ष जनता है।वो नोजवान जो सरकार की ग़लत नीतियों के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं उन्हें षड्यंत्र करके जेल में भेजा जा रहा है। यह एक डर है जिसका आधार आने वाले कल में सीएए और एनआरसी के विरुद्ध होने वाले प्रदर्शन रोके जा सके। उनपर लगाएं गए सभी आरोप ग़लत है।दिल्ली का दंगा बीजीपी का प्रायोजित दंगा था जानबूझकर उसको हवा दी गई।

लॉकडाऊन के दौरान सरकार की काफ़ी आलोचना हुई है मजदूरों के पलायन पर काफी तक़लीफ़ हुई है!

सरकार पूंजीपतियों के प्रति अधिक कटिबद्ध है।अधिकतर मीडिया इनके प्रोपगेंडा सेट करता है। कुछ मीडिया के लोग विपक्ष से सवाल करता है! 24 करोड़ लोगों का रोजगार खत्म हुआ है! पेट्रोल डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं।बिहार और बंगाल चुनाव में पैसा खर्च करना है!दुनिया भर में कहीं मजदूर सड़क पर नही मरे है! ‘नमस्ते ट्रम्प’ के चक्कर में इन्होंने कोरोना फैलने दिया।

चीन को लेकर देश के लोगो मे बहुत गुस्सा है!

सरकार  देश को गुमराह कर रही हैं। इनका एजेंडा है कि कोरोना से जनता लड़ेगी। सीमा पर सेना लड़ेगी और सरकार सिर्फ चुनाव लड़ेगी। प्रधानमंत्री के बयान पर चीन में समर्थन मिला है। इसका मतलब है कि इनके बयान से चीन को फायदा पहुंचा है।जनता उबल रही है।
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