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लखनऊ। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज महिला दिवस पर अपन सोशल मीडिया अकाउंट देश की आधी आबादी यानि देश की महिलाओं को समपर्पित कर रहे हैं। वो कैसे समर्पित करेंगे। इस मौके पर वो महिलाओं के उत्थान के लिए क्या और कितने प्रयास करेंगे ये तो आज उनका सोशल मीडिया अकाउंट देखने के बाद ही पता चलेगा। पीएम मोदी चाहे जितनी कोशिश कर लें आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सूबे की आधी आबादी को पूरा न्याय दिलाने में पूरी तरह नाकाम हो रहें हैं।
सूचना के अधिकार क़ानून के तहत मिली जानकारी से इसका ख़ुलासा हुआ है कि बजट में महिला कल्याण और टेक्नोलॉजी की बड़ी-बड़ी बातें करने वाली योगी आदित्यनाथ की सरकार सूबे की आधी आबादी की समस्याएं सुलझाने के लिए पूरे प्रदेश में लागू करने की योजना पर एक क़दम भा आगे नहीं बढ़ पाई है। इससे पता चलता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सूबे की आधी आबादी को मदद करने वाली हेल्पलाइन को असरदार बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं रखते। सूबे में बनी महिला हेल्पलाइन और वन स्टॉप सेंटरों की अभी तक कोई वेबसाइट तक नहीं बन पाई है। ऐसे में यह सवाल अहम हो जाता है कि क्या पीएम मोदी के सोशल अकाउंट महिलाओं को समर्पित करने भर से मनहिलीओं को सुरक्षा का गारंटी मिल जाएगी।
लखनऊ की नामचीन और तेजतर्रार समाज सेविका उर्वशी शर्मा ने सूबे के मुख्यमंत्री और उनकी सरकार को महिलाओं की समस्याओं को हल करने लापरवाही बरतने के लिए कटघरे में खड़ा किया है। उनका दावा है कि सूबे के महिला कल्याण निदेशालय की उपनिदेशक और जनसूचना अधिकारी प्रेमवती की तरफ़ से उनकी आरटीआई के जवाब में जो जानकारी दी गई है उससे सा3फ़ ज़ाहिर है कि योगी सरकार महिला सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर क़तई गंभीर नहीं है।
दरअसल सामाजिक कार्यकर्ता उर्वशी ने बीते साल की 11 फरवरी को उत्तर प्रदेश के महिला एवं बाल कल्याण विभाग में एक आरटीआई दायर करके भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा महिला हेल्पलाइन और वन स्टॉप सेंटरों का सार्वभौमिकरण(Universalization) करने संबंधी योजना को उत्तर प्रदेश में लागू किये जाने के जनहित के मुद्दे पर 10 बिन्दुओं पर जानकारी मांगी थी। उर्वशी कहती हैं, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि महिलाओं से जुड़े इतने संवेदनशील मुद्दे पर सूचना देने में योगी सरकार ने संवेदनहीन रवैया अख़्तियार करते हुए एक साल से ज्यादा का समय ले लिया। इसके बावजूद उपनिदेशक प्रेमवती ने बीती 28 फरवरी को पत्र जारी करके आधी-अधूरी सूचनाएं देकर खानापूर्ति मात्र कर है।”
उर्वशी के मुताबिक़ उन्हें बताया गया है कि यूपी में महिला हेल्पलाइन 181 को संचालित करने की ज़िम्मेदारी एकमात्र आध्ऱ प्रदेश की एक मात्र एजेंसी को दी गई है। यह जानकारी तो दी गई है कि यूपी के सभी 75 जनपदों में वन स्टॉप सेंटर संचालित हैं।
लेकिन इन सेंटरों में तैनात अधिकारियों या कर्मचारियों के फ़ोन नंबर के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। इससे दाल में काला नहीं बल्कि पीरी दाल ही काली नज़र आती है।
उर्वशी के मुताबिक़ भारत सरकार के निर्धारित मानकों के अनुसार सभी वन स्टॉप सेंटरों और महिला हेल्पलाइन 181 का एकीकरण इस प्रकार किया जाना था कि हेल्पलाइन से किसी भी वन स्टॉप सेंटर तक पंहुच संभव होने के साथ-साथ किसी भी मामले की जीले से लेकर केंद्र तक वेब आधारित प्रबंधन और निगरानी संभव हो सके लेकिन योगी सरकार ने इस दिशा में कोई भी काम नहीं किया है। उर्वशी को दी गई सूचना के अनुसार यूपी में केंद्र सरकार की तरफ से जिस नई तकनीक वेब आधारित एमआईएस रायपुर मॉडल को शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं उन पर राज्य सरकार ने विचार तक नहीं गया है। अभी भी पुराने डैश-बोर्ड आधारित सखी मॉडल का ही इस्तेमाल किया जा रहा है।
महिला सशक्तीकरण के मुद्दों पर लम्बे समय से काम कर रही देश की उर्वशी कहती हैं, “मैं यह जानकर अत्यंत स्तब्ध हूं कि 4 बार बजट पेश कर चुके योगी आदित्यनाथ महिला कल्याण के मुद्दों पर दर्जनों प्रेजेंटेशन देखने के बाद भी महिला हेल्पलाइन और वन स्टॉप सेंटरों के संचासन की निगरानी के लिए राज्य स्तर पर किसी निगरानी समिति का गठन तक नहीं करा पाए हैं। हद तो यह है कि योगी जी ने महिलाओं के कल्याण से सम्बंधित इस अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामले को अपने ज़िलाधिकारियों और ज़िला प्रोबेशन अधिकारियों को सौंपकर अपना पल्ला झाड़ लिया है।”
उर्वशी ने बताया कि वे जल्द ही ही सूबे की राज्यपाल से मिलकर महिला हेल्पलाइन और वन स्टॉप सेंटरों का सार्वभौमिकरण (Universalization) करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा नवीनतम अनुशंषित किये गए वेब आधारित एमआईएस रायपुर मॉडल को सूबे में लागू कराने के लिए उनसे मदद की गुहार लगाएंगी।