आसमोहम्मद कैफ़, Twocircles.net
ख़ाक में स्कूल, ख़ाक में मुस्तक़बिल और ख़ाक में ख़्वाब….. दिल्ली में मस्जिद, स्कूल, घर किताब और इंसान सब जल गए हैं….जला दिए गए हैं।
यह सिर्फ एक रिक्शा नही है
कम से कम मैंने बचपन से देखा है कि कार वाले लोग रिक्शे वालों बहुत नफ़रत करते हैं। आज भी शहरों में चलन में आ गए ईं रिक्शा वाले सबके गुस्से का शिकार होते हैं। पुलिस और कार वाले कथित अमीर लोगो के। इसकी एक और वजह है मज़हब। रिक्शे वाले ज्यादातर एक ही समुदाय से आते हैं। जो कारोबारी होते हैं उनको एक रात सड़क पर ले आती है…
पढ़िये नीचे सपने लिखे हैं
इस तस्वीर में खोज होनी चाहिए। इसमे एक बेहद तक़लीफ़देह बात है। ग़ौर से देखिए इस बंद में पड़े घर के दरवाज़े के नीचे कुछ बच्चों ने अपने नाम लिखे हैं। अब शायद यह बच्चें यहां लौटकर कभी नही आएंगे। नाम पढ़ने की आप भी कोशिश करें।
यह रेफिज़रेटर है
क्लास वन में एक तस्वीर की फ़ोटो दिखाकर पूछा गया है कि स्पेलिंग सहित बताइएं यह क्या है!सवाल। रेफिज़रेटर के बारे में पूछा गया था! वैसे आप जरूर बताएं यह है क्या!
टुकड़े टुकड़े जिंदगी
यूसुफ़ मंसूरी को सैमसंग ने बताया था कि यह 10 साल की वारंटी देगा। यूसुफ अगर नही भागते तो गारंटी तो उनकी जान की भी नही थी। यह शिव विहार के फेस 5 में हुआ। गली में उनके घर का समान बिखरा पड़ा है।
वो पल में बेचारे हो गए
अपने ही देश मे शरणार्थी बनने वाले इन लोगोंं का सबसे बड़ा दर्द यह है कि इनमें ज्यादातर के अच्छे कारोबार थे। मगर आज ये किसी और पर आश्रित है। एक लड़की बता रही थी उसने कभी अपने अब्बू को रोते नही देखा था अब देखा है.. ऐसा क्यों हुआ हमारे साथ। हमारे मजहब की वज़ह से…
गली-गली, सड़क-सड़क बस बंदूक
ज़ाफ़राबाद से मोहल्ला नूर इलाही को जाते हुए हर एक गली तिराहे पर सीआरपीएफ की एक टीम तैनात है। ज़ाफ़राबाद में एक लड़की तब्बसुम ने हमें कहा था। सब कुछ लुटा के होश आएं तो क्या किया… ख़ैर कम से कम अल्पसंख्यक समाज का दिल्ली पुलिस से भरोसा उठ चुका है।
अपने ही देश मे सीमाबंदी
दिल्ली हिंसा में शिव विहार इलाक़े की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। जानकार कह रहे हैं कि यहां गुजरात 2002 दंगे की तर्ज पर मुसलमानों के विरुद्ध एकतरफा हिंसा हुई है। यह एक हिन्दू बहुल गली है। हिंसा से पहले इन गलियों को कबाड़ डालकर सुरक्षित कर दिया था।
ज़ाफ़राबाद मेट्रो स्टेशन अब
दिल्ली के जाफराबाद मेट्रो स्टेशन अब ऐसा दिखता है। 23 फरवरी की रात से यहां सीएए विरोधी महिलाओं में जुटना शुरू किया था। इसके बाद भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने इनसे खुद निपटने की धमकी दी। फिर दिल्ली में दंगे शुरू हो गए। जिसमे पुलिस हमलावर दंगाइयों के साथ खड़ी दिखाई दी।ज़ाफ़राबाद स्टेशन पर बैठी महिलाओं को 25 फरवरी ज़बर्दस्ती उठाकर घर भेज दिया है।