सीएए: लखनऊ में प्रदर्शन के दौरान बारिश में भीगने से हुई फ़रीदा की मौत, औरतें बोलीं बंद हो ‘महिला दिवस’ का ढोंग

आस  मुहम्मद कैफ, TwoCircles.net
लखनऊ। हैरिटेज ज़ोन घण्टाघर में नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ चल रहे महिलाओं के प्रदर्शन में एक और महिला फ़रीदा की मौत हो गई है। बताया जा रहा है यह मौत हाल ही में हुई बारिश में भीगने से हुई है। डॉक्टर्स ने मौत को वजह दिल का फ़ैलना बताया है।
तहसीनगंज की रहने वाली फ़रीदा 55 साल की थींं और धरने के पहले दिन से यहां मौजूद रहती थी।
फ़रीदा उन प्रदर्शनकारियो में शामिल थी जो रात दिन यहीं रहती थींं। लखनऊ में प्रदर्शन के दौरान यह दूसरी मौत है। इससे पहले बीए की छात्रा तैयबा की भी मौत हो गई थी।
बता दें कि 48 दिनों से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हेरिटेज ज़ोन कहे जाने वाले हुसैनाबाद इलाक़े के घण्टाघर स्थित मैदान पर सीएए के ख़िलाफ़ सैकड़ो महिलाएं धरने पर बैठी है। इन महिलाओं को यहां से हटाने के लिए सूबे की सरकार कई तरह के जतन कर रही है मगर ये अब तक डटी हुई है।
हालत यह है कि पिछले 13 दिनों में यहां खुले आसमान के नीचे बैठने की वज़ह दो महिलाओ की मौत हो चुकी है। धरने का प्रबंधन संभालने वाली महिलाओं का आरोप है कि प्रशासन ने उन्हें टेंट लगाने की अनुमति नहीं दी है इसलिए औरतेंं खुले में बैठने को मजबूर है।
महिला संगठन एआइडीडब्लयूए की मधु गर्ग ने इस पर काफी तल्ख टिप्पणी की है उन्होंने कहा है कि ऐसी स्थिति में दुनिया के लोगो को महिला दिवस बनाने का ढोंग बंद कर देना चाहिए।यहां प्रदर्शन कर रही महिलाओं को टेंट तक लगाने की अनुमति नहींं दी गई जिसके कारण खुले आसमान के नीचे उन्हें रात में रहना पड़ता है। अपनी बात रखना और किसी भी क़ानून का विरोध करना सभी का सवैंधानिक अधिकार है। यहां मौजूद महिलाओं को तरह तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है।
समाजवादी पाऋ्टटी के एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को फ़रीदा के घर जाकर उनके परिजनों से मुलाक़ात की और उन्हें दो लाख रुपए की आर्थिक मदद दी। इससे पहले तैयबा के घर भी यह प्रतिनिधिमंडल पहुंचा था। फ़रीदा के घर पहुंची जूही सिंह ने बताया कि वो पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के निर्देश पर वहां गईं थींं। यह बहुत दुःखद है महिलाओं को खुले आसमान के नीचे प्रदर्शन करना पड़ रहा है। इसके बावूजद सरकारी तंत्र उन्हें यहां से जबर्दस्ती हटाने पर आमादा है। बेहतर हो इनसे डायलॉग हो। इन्हें भरोसा दिया जाए और इनकी समस्याओं को सुना जाएं यह वही सरकार है जो महिलाओं को हक़ दिलाने की बात करती थी।
23 फरवरी को यहीं प्रदर्शन में शामिल रही करामात गर्ल्स कॉलेज की बीए अंतिम वर्ष को छात्रा तैयबा की मौत हो गई थी। दिल्ली के शाहीन बाग़ में चल रहे प्रदर्शन के दौरान एक चार महीने के बच्चे की मौत पर यहां मातम छा गया था। तैयबा डालीगंज के हरी मस्जिद इलाके की रहने वाली थी।बारिश में भीगने के बाद वो चार दिन तक बीमार रही उसके बाद वो मौत से हार गई।
प्रदर्शन में शामिल आयशा अमीन के मुताबिक यह सब क़ुर्बानियां बेकार नही जाएंगी। हम ज़रूर किसी अच्छे नतीजे पर पहुंचगे। इस सबसे से हमारी हिम्मत और भी अधिक मजबूत हुई है। हमें अपनी जान को परवाह नही है। दुःख इस बात का है हमारे मुख्यमंत्री जी और प्रधानमंत्री जी की सवेंदना क्यों मर गई है? सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास वाले उनके नारे का इन हालात में क्या मतलब है ! आख़िर क्योंकर वो अपनी बहनों की आवाज़ नही सुन रहे!
55 साल की फ़रीदा की जनाज़े की नमाज़ घण्टाघर पर ही पढ़ी गई। इसमें भारी भीड़ उमड़ पड़ी। बाद में महिलाओं ने घण्टाघर से उजरियाँ तक पैदल मार्च किया। उजरियाँ में भी महिलाएं एक महीने से भी ज़्यादा वक़्त से धरने पर बैठी हैंं।
फ़रीदा उन महिलाओं में से एक थी जो लखनऊ के घण्टाघर पर पहले ही दिन धरने पर थी। यहां मौजूद रुबीना बेम के अनुसार वो एक अच्छी वॉलंटियर भी थी और व्यवस्था बनाने में सहयोग भी करती थी।निश्चित तौर हम लोग उनको याद रखेंगे। हमें दुःख है कि बार-बार अनुरोध के बावजूद हमें टेंट लगाने की अनुमति नही दी गई। बारिश आने पर तमाम औरतेंं प्लास्टिक कवर के अंदर छिपने की कोशीश करती हैंं। शुरुआत में हमसे कम्बल भी छीन लिए गए थे।आज 49 दिन हो गए हैं। हम 17 जनवरी को यहां आएं थे। तब फरीदा आपा(बड़ी बहन) भी थी, अब वो नही हैंं। हमने तय किया है कि अब हम भी हटेंगे।सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए।

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