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राजनीति में कूदे चंद्रशेखर, कांशीराम के जन्मदिन पर लॉंच की ‘आज़ाद समाज पार्टी’

  • भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने लॉंच की ‘आजाद समाज पार्टी’
  • 2017 में सहारनपुर हिंसा से सुर्खियों में आए थे चंद्रशेखर
  • पहले कहलाते थे खुद को ‘रावण’, अब कहे जाते हैं ‘आज़ाद’
  • मायावती की दलित राजनीति में सेंध लगाने की है कोशिश 

आस मोहम्मद कैफ़, twocircles.net

नोएडा। भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी का ऐलान कर दिया है। आज दलितों के मसीहा कांशीराम का जन्म दिन है। कांशीराम के जन्मदिन के मौक़े पर पार्टी लॉंच करके चंद्रशेखर ने उनकी राजनीतक विरासत पर अपना दावा ठोका है। कांशीराम बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक थे। वो 90 के दशक में देश में दलितों के प्रमुख नेता बनकर उभरे। उन्होंने ही उत्तर प्रदेश में दलितों के सत्ता का स्वाद चखाया। चंद्रशेखर ने अपनी पार्टी का नाम ‘आज़ाद समाज पार्टी’ रखा है।

6 पूर्व मंत्री और 28 पूर्व विधायक साथ आए

चंद्रशेखर की नई पार्टी के लॉंच के मौक़े पर उनके समर्थकों और नई पार्टी के कार्यकर्ताओं में ग़ज़ब का जोश दिखा। चंद्रशेखर अपनी नई पार्टी के ज़रिए उत्तर प्रदेश में नया राजनीतिक विकल्प पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में वो खुद को भाजपा विरोधी गऑठबंधन की धुरी बनाने की कोशिशों में हैं। उनकी पार्टी के लॉंच के मौके पर कई राज्यों से उनके समर्थक पहुंचे। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस और आरएलडी से जुड़े कई पूर्व मंत्रियों समेत क़रीब 100 ने ‘आज़ाद समाज पार्टी’ का दामन थाम लिया है। इनमें 6 पूर्व मंत्री और 28 पूर्व विधायक हैं।

कार्यक्रम स्थल का ताला तोड़ अंदर घुसे ‘आज़ाद’ सम​र्थक

नोएडा में कोरोना वायरस के तेज़ी से बढ़ते संक्रमण को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने चंद्रशेखर आज़ाद को पार्टी लॉन्चिंग के मौके पर बड़ी भीड़ इकट्ठा नहीं करने का निर्देश दिया था। उनके कार्यक्रम को भी हरी झंडी नहीं दी गई थी। लेकिन पार्टी लॉंच के मौके पर उनके समर्थको बड़ी संख्या में कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गए। कार्यकर्ताओ की भीड़ ने ताला तोड़कर कार्यकम स्थल में प्रवेश किया। भीड़ ज्यादा थी लिहाज़ा पुलिस ने उन्हें बलपूर्व रोकने का जोखिम उठाना मुनासिब नहीं समझा। पूरे पार्टी सॉंच कार्यक्रम के दौरान पुलिस मूकदर्शक ही बनी रही।

पेशे से वकील हैं चंद्रशेखर 

चंद्रशेखर आज़ाद पेशे से वकील हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 6 नवंबर 1986 को हुआ। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई सरकारी स्कूल से की और लखनऊ विश्वविद्यालय से उन्होंने वकालत की डिग्री हासिल की। चंद्रशेखर आज़ाद के पिता एक व्यापारी हैं और मां साधारण गृहणी हैं। चंद्रशेखर आज़ाद ने क़रीब 8 साल पहले साल 2012 में विनय रतन नाम के साथ मिलकर भीम आर्मी का गठन किया था।

मायावती की दलित राजनीति को चुनौती

अपनी नई राजनीतिक पार्टी के ज़रिए चंद्रशेखर बपसा प्रमुख मायावती की दलित राजनीति में सेंध मारने की कोशिश कर रहे हैं। कांशीराम में 1984 में बहुजन समाज पार्टी का गठन किया था। पहले उन्होंने 1993 में सपा के साथ गठबंधन करके बसपा को सत्ता मे हिस्सेदारी दिलवाई। बाद में भाजपा के सनर्थन से मायावाती को मुख्यमंत्री बनवाया। 2007 में उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत पाने के बाद से बपसा का ग्राफ़ लगातार गिरता रहै है। बसपा प्रमुख मायावती के नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं। चंद्रशेखर दलितों के बीच ख़ुद को मायावती के विकल्प बनाकर पेश कर रहे हैं। वो कांशाराम को ही अपना आर्दश मानते हैं। इसी लिए उन्होंने काशीराम की जयंति पर ही अपनी पार्टी लांच की।

सहारनपुर हिंसा के बाद आए थे चर्चा में

आपको बता दें कि चंद्रशेखर आज़ाद की कोई राजनीतिक विरासत नहीं रही है। वह इससे पहले वो राजनीति में नहीं थे। चंद्रशेखर आज़ाद सहारनपुर हिंसा के दौरान पहली बार सुर्खियों में आए थे। सहारनपुर में साल 2017 में राजपूतों और दलितों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ था। इसमें चंद्रशेखर आज़ाद को मुख्य आरोपी बनाया गया था। इस हिंसा के बाद दिल्ली के जंतर-मंतर पर भीम आर्मी ने प्रदर्शन किया था। यहां से चंद्रशेखर पूरे देश की नजरों में आए। भीम आर्मी के प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान समेत देश के कई हिस्सों से दलित प्रदर्शनकारी दिल्ली पहुंचे थे।