आसमोहम्मद कैफ़।Twocircles.net
दिल्ली। भारत मे सबसे अच्छी और सस्ती दवाई बनाने वाली दवा कंपनी सिप्ला ने कहा है कि अगले छह महीने में कोरोना वायरस की दवा बाजार में ला देगी। कंपनी ने कहा है कि वो दवा की एपीआई बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। कंपनी के मुखिया यूसुफ़ हमीद ने कहा है कि निश्चित तौर पर ऐसा देश के लिए कर रहे हैं। वो इस दवाई से कोई बाज़ारी लाभ लेना नही चाहते। हमने अपने तमाम संसाधन और सबसे क़ाबिल और बेहतरीन डॉक्टरों की टीम को इस पर लगाया है।
सिप्ला भारतीय उपमहाद्वीप में सांस लेने से जुड़ी दिक्कतों और फ्लू के बेहतर इलाज का ईजाद करने के लिए जानी जाती हैं। सिप्ला का मुख्य रिसर्च सेंटर रिसर्च मुम्बई में है और यूसुफ़ हमीद इसके निदेशक है। वो भारत के दस सबसे अमीर और प्रभावशाली लोगो की सूची में शामिल है। सिप्ला का दावा है कि अगले छह महीने में अभी तक लाइलाज कोरोना वायरस के इलाज की दवा पेश कर सकती है। कंपनी के जन्मदाता यूसुफ़ हमीद ने यह रविवार को यह दावा किया है। ऐसा हुआ तो सिप्ला कोरोना वायरस की दवा ईजाद करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन जाएगी।
इसके लिए कंपनी सरकारी प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर कोरोना की दवा विकसित करने के साथ ही इस बीमारी में सांस लेने से संबंधित तकलीफों में ली जाने वाली दवा, अस्थमा में ली जाने वाली, एंटी वायरल दवाओं तथा एचआईवी की दवाओं के इस्तेमाल पर भी प्रयोग कर रही है। देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अब तक इसके तक़रीबन 400 मामले सामने आ चुके हैं।
सिप्ला के प्रमोटर यूसुफ़ हामिद ने यह बात रविवार को कही थी उन्होंने यह भी कहा कि ‘हम अपने तमाम संसाधनों को देश के फायदे के लिए झोंकना राष्ट्रीय कर्तव्य मान रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि कंपनी ने इन दवाओं का उत्पादन दोगुना कर दिया है। इससे पहले सिप्ला स्विट्जरलैंड की कंपनी रोचेज की सूजनरोधी दवा एक्टेमरा को भारत में पहले ही वितरित कर चुकी है, जिसका इस्तेमाल फेफड़ों से जुड़ी गंभीर समस्याओं के इलाज में किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारतीय चिकित्सा जगत फैसला करता है तो कंपनी के पास और भी दवाएं हैं, जिसका इस्तेमाल किया जा सकता है !
जानकार मानते हैं कि सिप्ला की पहल बेहद मायने रखती है।भारतीय दवा बाजार में सिप्ला की बहुत अच्छी छवि है। सांस लेने में तकलीफ, एंटी फ्लू तथा एचआईवी से जुड़ी समस्याओं के इलाज में इस कंपनी का योगदान बेहद उल्लेखनीय है। वर्तमान में कोरोना के मामले में ये दवाएं असरदार साबित हो सकती हैं। फ़िलहाल कोविड-19 का कोई इलाज नहीं है, जबकि एचआईवी, एंटी-वायरल तथा एंटी मलेरियल दवाओं से इसका इलाज हो रहा है। दुनियाभर में कोरोना से 10 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
यह अलग बात है कि सिप्ला को कच्चे माल को लेकर अभी कुछ सवाल है इस पर यूसुफ़ हमीद ने कहा है कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए एंटी वायरल कंपाउंड जैसे -फेविपिराविर, रेमिडेसिविर तथा बोलैक्सेविर का उत्पादन शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि सरकारी प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर इन तीनों दवाओं के लिए कच्चे माल को किस तरह बनाया जाए। हामिद ने कहा है कि कच्चे माल का उत्पादन करने के बाद दवा लाने में छह महीने का वक्त लगेगा।
यूसुफ़ हमीद ने यह भी दावा किया है कि मरीजों को अभी भी कोरोना से डरने की ज़रूरत नही है क्यूंकि उनके पोर्टफोलियो में कई तरह की दवाएं हैं, जो इसमे असरदार हो सकती हैंं। हमें बस कॉम्बिनेशन पर रिसर्च करने की जरूरत है। दरअसल अभी हम निश्चित नहींं हैंं कि कौन सा कॉम्बिनेशन काम करेगा! यह डॉक्टर के विवेक पर निर्भर करता है। कोरोना वायरस के संक्रमण में जिन दवाओं के बेहतर परिणाम सामने आ रहे है और दुनियाभर में जिनका परीक्षण किया जा रहा है उनमें एंटीवायरल ड्रग रेमेडेसिविर, दो एचआईवी ड्रग्स- लोपिनाविर और रिटोनाविर का कॉम्बिनेशन तथा ऐंटी मलेरियल ड्रग क्लोरोक्वीन शामिल हैं।
सिप्ला इस दिशा में एक क्रांतिकारी क़दम पहले ही उठा चुकी है उन्होंने लोपिम्यून नाम की टेबलेट बना दी है। यह लोपिनाविर और रिटोनाविर का कॉम्बिनेशन है और यह घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है। फिलहाल देशभर के डॉक्टर इस दवा का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे पहले, ड्रग कंट्रोलर जनरल कोविड-19 से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए एंटी-एचआईवी ड्रग्स के एक कॉम्बिनेशन के ‘रेस्ट्रिक्टेड यूज’ की मंजूरी पहले ही दे चुका है। इन अहम दवाओं की उपलब्धता के बारे में हामिद ने कहा, ‘हमारे पास ये दवाएं पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं।यूसुफ हमीद का कहना है कोरोना महामारी की तरह फैलती है तो दिक्कत हो सकती है। लोगोंं को जागरूकता की अत्यंत आवश्यकता है एक सीमा तक ही दवाई का उत्पादन कर पाएंगे। अनिश्चितता वायरस तथा इसके फैलाव को लेकर है।