आपत्तिजनक एनपीआर हुआ तो फिर से करेंगे विरोध : ओवैसी

नेहाल अहमद ।Twocircles.net

हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि अगर देश में नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) बनाने का शेड्यूल तय हो चुका है तो जल्द ही इसके विरोध का भी शेड्यूल फाइनल किया जाएगा।  उन्होंने कहा है कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) का पहला चरण नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) है। ट्विटर पर एक खबर का लिंक शेयर करते हुए ओवैसी ने लिखा, “एनपीआर एनआरसी की ओर पहला कदम है।भारत के गरीबों को इस प्रक्रिया में मजबूर नहीं किया जाना चाहिए जिसके परिणामस्वरूप उन्हें ‘संदिग्ध नागरिक’ के रूप में चिह्नित किया जा सकता है। यदि एनपीआर के काम के शेड्यूल को अंतिम रूप दिया जा रहा है, तो इसका विरोध करने के लिए कार्यक्रम को भी अंतिम रूप दिया जाएगा।”


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ओवैसी की यह प्रतिक्रिया ‘द हिन्दू’ के उस खबर के बाद आई है, जिसमें कहा गया था कि देश के रजिस्ट्रार के दफ्तर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के लिए प्रश्नावली या कार्यक्रम को फाइनल रूप दिया जा रहा है लेकिन 2021 के पहले चरण की जनगणना की संभावित तारीख अभी सामने नहीं आ सकी है।

बताते चलें कि 13 से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने NPR को प्रस्तावित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) और हालिया नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के साथ लिंक करने का विरोध किया है. 2003 में बनाए गए नागरिकता नियमों के अनुसार, एनपीआर भारतीय नागरिक रजिस्टर (NRIC) या NRC के संकलन की दिशा में पहला कदम है।

एनपीआर का डेटा कलेक्शन पहली बार 2010 में किया गया था और उसे 2015 में अपडेट किया गया था।  पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे कुछ राज्यों ने नए एनपीआर में पूछे जाने वाले अतिरिक्त प्रश्नों पर आपत्ति जताई है, जैसे “पिता और माता का जन्म स्थान, निवास स्थान और मातृभाषा” जैसे सवालों पर आपत्ति जताई गई है।

 ग़ौरतलब है  कि 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित CAA पाकिस्तान, अफगानिस्तान से छह समुदायों को धर्म के आधार पर विशेष रूप से मुसलमान को छोड़ कर नागरिकता की अनुमति देता है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ चुके हैं। ऐसी आशंकाएँ है कि CAA, उसके बाद देशव्यापी NRC से भारत के मुसलमानों को अपनी नागरिकता साबित करनी होगी जबकि ग़ैर-मुस्लिमों को आसानी से CAA के ज़रिये नागरिकता मिल जाएगी। हालांकि बुद्धिजीवियों का बड़ा वर्ग इस कानून को ग़रीब विरोधी बताता रहा है और कहा है कि यह भारत के संविधान के लिए बड़ा ख़तरा है। उसके धर्मनिरपेक्षता पर इससे दरार आएगी। सरकार ने कहा है कि NRC और CAA का कोई संबंध नहीं है लेकिन उसके बयानों में अंतर्द्वंद्व और पिछले कुछ सालों में उसके उठते कदमों से जनता में शंका पैदा हुई है जो जनता के बड़े वर्ग और सरकार के बीच के विश्वास को पूरी तरह के तोड़ चुका है।

बता दें कि  पिछले वर्ष 2019 में नागरिकता संशोधन कानून के पारित होते ही देश-दुनियाभर में भारत में मुसलमानों की नागरिकता के उठते सवाल एवं देश की धर्मनिरपेक्षता और संविधान पर हमले को लेकर विरोध प्रदर्शनों की झरी सी लग गई थी। जामियां मिल्लिया इस्लामिया(JMI) और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी(AMU) में 15 दिसम्बर 2019 को हुए छात्र-छात्राओं पर पुलिस बल के हुए निर्मम प्रयोग ने लोगों को आक्रोशित कर सड़क पर आने को मजबूर कर दिया था।

लोकसभा में 9 दिसम्बर 2019 को नागरिकता संशोधन बिल (CAB) का विरोध करते असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि ” इस बिल की मैं मुख़ालफ़त करता हूँ, यह हिंदुस्तान के संविधान के ख़िलाफ़ है और ये उन लोगों की तौहीन है जिन्होंने इस मुल्क को आज़ाद करवाया था, सन 57 की जंग ए आज़ादी हो, या 1910 में , महात्मा गांधी कैसे महात्मा बने मालूम मैडम ? (स्पीकर की तरफ़ कहते हुए) उन्होंने साउथ अफ्रीका के नेशनल रजिस्टर कार्ड को फाड़ दिया था, जला दिया था। इसीलिए जब महात्मा ने फाड़ा, मैं इस बिल को फाड़ता हूँ। ये हिंदुस्तान को तोड़ने की कोशिश कर रहा है।’

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