उत्तर प्रदेश : दलित युवतियों का तालाब में मिला था शव, ख़बर लिखने पर दो पत्रकारों पर मुक़दमा

आकिल हुसैन । Twocircles.net 

लोकतंत्र में मीडिया को चौथा स्तंभ माना गया है, मीडिया की जिम्मेदारी होती है कि वो लोगों तक सही खबर पहुंचाए। उत्तर प्रदेश में इसकी उल्टी ब्यार चल रही है,सच दिखाने पर पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। एफआईआर दर्ज कर पत्रकारों पर जुल्म किया जा रहा है और वो भी किसलिए सिर्फ सच जनता तक पहुंचाने के लिए, फिर चाहे वो हाथरस कांड में पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार का मामला हों या कोरोनावायरस काल में सच्चाई दिखानें को लेकर दर्ज एफआईआर का मामला हो। ताज़ा मामला उत्तर प्रदेश के फतेहपुर ज़िले का हैं, जहां एक खबर दिखाने के लिए दो पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।


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बीते सोमवार फतेहपुर के असोथर थाने के एक गांव में दो सगी बहनों का शव तालाब में मिला था,जिसके बाद परिजनों ने रेप के बाद हत्या का शक जताया था। इसके बाद स्थानीय मीडिया ने भी मर्डर और रेप की शंका जताई थी जिसे पुलिस ने पूरी तरह से खारिज़ कर दिया और दो चैनलों के पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज कर ली। इस मामले में असोथर थाने में भारत समाचार के पत्रकार महेश सिंह और न्यूज़ 18 के पत्रकार धारा सिंह के खिलाफ थानाध्यक्ष रणजीत बहादुर सिंह की तहरीर पर एफआईआर दर्ज हुई। एफआईआर में कहा गया है दोनों पत्रकारों को फर्जी तरीके से इस खबर को चलाया गया है, दोनों नाबालिग लड़कियों कि मृत्यु सिंघाड़ा तोड़ते वक्त तालाब में गिरने से हुई,जबकि इन पत्रकारों ने ट्विटर पर लड़की की हाथ पैर बांधकर बलात्कार और आंखे फूटे होने की बात लिखी जिससे दलित समाज और जानता के बीच वैमनस्यता फैल सकती हैं।बाद में मामले को बढ़ता देख पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जिसकी रिपोर्ट में हत्या और रिपोर्ट की पुष्टि नहीं हुई थी। फतेहपुर के पुलिस अधीक्षक प्रशांत वर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि दोनों बच्चों की मौत पानी में डूबने से हुई थी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप और हत्या की पुष्टि नहीं हुई हैं और आंख फोड़ने और हाथ पैर बांधने की बात ग़लत है।

जानकारी के अनुसार फतेहपुर के असोथर थाने के अंतर्गत छिछनी गांव की रहने वाली दो बहनें खेत गई हुई थी लेकिन जब काफी समय तक घर नहीं लौटी तो घर वालों ने दोनों की तलाश करना शुरू कर दी लेकिन काफी देर तक ढूंढने के बावजूद नहीं मिली।शाम में गांव के लोगों ने तालाब में उनके शवों को देखा तो लड़कियों के घर वालों को सूचना दी । परिजनों के अनुसार दोनों बहनों के सर और आंख में चोट के निशान पाए गए थे,जिसके बाद उन्होंने रेप के बाद हत्या की आशंका जाहिर की थी।

जिसके बाद न्यूज़ 18 के पत्रकार धारा सिंह ने ट्वीट करते हुए फतेहपुर पुलिस पर मामले को रफा-दफा करने का आरोप लगाया और साथ ही हाथ पैर बांधकर रेप और फिर हत्या की आशंका जताई थी, वहीं भारत समाचार के पत्रकार महेश सिंह ने  भी पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठाया और पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। जिसके बाद मामला तूल पकड़ना लगा और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पत्रकारों द्वारा लगाए आरोप गलत पाए गए, जिसके बाद पुलिस ने दोनों पत्रकारों पर विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज करी ,धारा 153-A,353, अपराधिक कानून अधिनियम की धारा 7 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 के तहत एफआईआर दर्ज हुई। पुलिस ने पत्रकारों पर समाज में वैमनस्यता फैलाने, अफवाह फ़ैलाने का आरोप लगाया।

पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज होने के बाद ज़िले के पत्रकारों में पुलिस प्रशासन की कार्रवाई पर आक्रोश व्याप्त हो गया, जिले भर के पत्रकार डीएम की चौखट पर घेराव करने पहुंच गए और डीएम से पत्रकारों पर लगाए गए फर्जी मुकदमे वापस लेने की गुहार की। डीएम ने इस मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया। पत्रकार संघ अध्यक्ष अजय सिंह भदौरिया ने पुलिस पर मीडिया की आवाज़ दबाने का आरोप लगाया और चेतावनी दी अगर मुकदमें वापस नहीं लिए गए तो ज़िले के पत्रकार आंदोलन करने पर बाध्य होंगे।

पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज होने के बाद वरिष्ठ पत्रकार हेमंत तिवारी ने  पुलिस कार्रवाई की भर्त्सना करी। उत्तर प्रदेश की राजनीति भी इस मामले पर गरमाई । उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने ट्विट करके पत्रकारों पर दर्ज मुकदमे को लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या बताया । समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह ने भी ट्वीट करके उत्तर प्रदेश सरकार पर  अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीनने का आरोप लगाया और पत्रकारों पर हुई कार्रवाई को सत्ता का अहंकार बताया।

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