स्टाफ़ रिपोर्टर । Twocircles.net
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा है कि ” भारतीय समाज कोरोना वायरस संकट से पहले दो अन्य महामारियों – “धार्मिक कट्टरता” और आक्रामक राष्ट्रवाद” का शिकार हो चुका है। उनके इस बयान को लेकर बवाल हो गया है। देश भर तरह तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रही है।
हामिद अंसारी ने यह बयान कांग्रेस के नेता शशि थरूर की नई किताब ‘द बैटल ऑफ बिलॉन्गिंग’ के डिजिटल विमोचन के दौरान कही है उन्होंने कहा है कि “कोविड एक बहुत ही बुरी महामारी है, लेकिन इससे पहले ही हमारा समाज दो महामारियों- धार्मिक कट्टरता और आक्रामक राष्ट्रवाद का शिकार हो गया। उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक कट्टरता और उग्र राष्ट्रवाद के मुकाबले देशप्रेम ज्यादा सकारात्मक अवधारणा है। उन्होंने कहा कि भारत धार्मिक कट्टरता और आक्रमक राष्ट्रवाद का शिकार हो चुका है।
पुस्तक विमोचन के मौके पर अंसारी ने कहा कि आज देश को ‘हम’ और ‘वो’ कि काल्पनिक श्रेणी के आधार पर बांटने की कोशिश की जा रही है। हामिद अंसारी के मुताबिक भारत ने पिछले 4 वर्षों की अवधि में एक उदारवादी राष्ट्रवाद के बुनियादी नज़रिए से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद तक का सफर तय करा हैं जो सार्वजनिक रूप से मजबूत हैं।
हामिद अंसारी द्वारा बयान देने के बाद से ही उनके बयान की आलोचना शुरू हो गई। लोगों ने सोशल मीडिया पर उनके द्वारा दिए गए बयान को ट्रोल करना शुरू कर दिया।इधर लखनऊ के शिया समुदाय के धर्मगुरु यासूब अब्बास ने भी हामिद अंसारी के बयान की निंदा की है ।यासूब अब्बास ने कहा कि हामिद अंसारी के इस बयान मैं सख्त मज़म्मत करता हूं। जिस वक्त कोरोना महामारी पर बातचीत चल रही थी तो उस वक्त उन्होंने मुल्क की कट्टरता पर बात की थी,हमारा मुल्क कट्टर नहीं है, हमारा मुल्क तो एकता का प्रतीक है।यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, यहूदी, पारसी सब मिल जुलकर रहते हैं।
यासूब अब्बास ने कहा है कि मुल्क में कट्टरता नहीं पनप रही है बल्कि इस देश में आज भी हिंदू-मुसलमान का दरवाज़ा एक दूसरे से मिलता है। उन्होंने आगे कहा कि हमारा मुल्क एक गुलदस्ते की तरह है,अगर कहीं पर कोई कट्टरता की बात हो रही है तो खास तौर पर वही शख्स कर रहा है।उन्होंने हामिद अंसारी को सलाह देते हुए कहा कि जो व्यक्तिगत है आप उसका नाम लेकर बात करनी चाहिए, उसके अंदर आप देश को जोड़ दें यह गलत है, यासूब अब्बास ने आगे कहा कि आप पूरे मुल्क को कह रहे हैं कि देश में कट्टरता पनप रही है, जबिक देश में कट्टरता नहीं पनप रही है। आज भी मुल्क में हिंदू का दरवाज़ा मुसलमान से और मुसलमान का दरवाज़ा हिंदू के दरवाज़े लगा हुआ है।