स्टाफ़ रिपोर्टर। Twocircles.net
सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन के मामले की सुनवाई करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के आवेदन पर कहा haiकि “अधिवक्ता जेल में आरोपी से मिल सकते हैं जहां वो वकालतनामा में अपने मुवक्किल के हस्ताक्षर ले सकते हैं। सिद्दीक कप्पन के वकील को उनसे मिलने की अनुमति देने का आदेश पारित कर दिया गया है। सिद्दीकी का केस केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (KUWJ) द्वारा लड़ा जा रहा है और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अधिवक्ता विल्स मैथ्यू और श्री पाल सिंह इसका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अधिवक्ता विल्स ने पहले पत्रकार सिद्दीक से संपर्क करने की कोशिश की थी, लेकिन उसके मिलने से न्यू टेम्परेरी मथुरा जेल अधिकारियों ने मना कर दिया था।
एक मीडिया एजेंसी से बात करते हुए पिछले हफ्ते अधिवक्ता विल्स ने बताया था “कि मैं 16 अक्टूबर को नई अस्थायी मथुरा जेल गया था, लेकिन कोई भी अधिकारी यह पुष्टि करने के लिए तैयार नहीं था कि सिद्दीकी वहां कैद थे, तो मुझे उनसे मिलने की अनुमति नहीं थी। मैंने उनसे ई-मुलाकात के जरिए मिलने की कोशिश भी की थी, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। बाद के दिन में विल्स ने सिटी ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (CJM) मथुरा से संपर्क किया और सिद्दीकी से मिलने की अनुमति मांगी जिसे सीजीएम ने ठुकरा दिया”।
सॉलिसिटर तुषार ने दावा किया कि उसने SC में एक जवाबी हलफनामा दायर किया है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, “हम पाते हैं कि रिकॉर्ड में ऐसा कोई हलफनामा नहीं है।” सिद्दीकी कप्पन का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी इस दावे का खंडन किया और अदालत को सूचित किया कि उन्हें प्रतिवादी से हलफनामे की कोई प्रति नहीं मिली है। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मामले की सुनवाई की जा रही थी।
एडवोकेट विल्स ने अपने हलफनामे में अदालत को नई अस्थायी मथुरा जेल की अपमानजनक स्थिति का भी हवाला दिया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने जेल में बंद लोगों के रोने की आवाज सुनी थी और वे बिना मास्क के पाए गए थे। विल्स ने कहा कि आरोपियों को 17 वीं या 18 वीं शताब्दी के दासों की तरह सीजेएम के पास ले जाया गया ।
बता दें कि सिद्दीकी को हाथरस बलात्कार और हत्या को कवर करने के लिए 5 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में जाते समय हिरासत में लिया गया था, तब से उन्हें किसी भी कानूनी सहायता से वंचित कर दिया गया था। केयूडब्ल्यूजे ने एससी से संपर्क किया था ताकि पत्रकार को बुनियादी अधिकारों की पूर्ति हो सके। पत्रकार सिद्दीक़ केरला यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट KUWJ के उत्तर भारत शाखा के सचिव हैं।
इस मामले की सुनवाई जस्टिस एएसबोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की बेंच द्वारा की गई।