बिहार चुनाव ग्राउंड रिपोर्ट : बिहार के मुसलमानो को क्यों पसंद नही है नीतीश का प्रचारित विकास !

मीना कोतवाल, मोतिहारी से Twocircles.net के लिए

बिहार चुनाव सिर पर हैं। जोर-शोर से राजनीतिक पार्टियां प्रचार-प्रसार में लगी हैं। सभी पार्टी के उम्मीदवार घंटों पैदल चल रहे हैं, कई मील की दूरी तय की जा रही है वोट करने वालों के आगे हाथजोड़े जा रहे हैं, मिन्नतें की जा रही है, लेकिन क्या इन सब से ही वोटर खुश होकर वोट करते हैं ? मोतिहारी जिले में मुसलमान नीतीश कुमार के विकास से खुश नहीं दिखे उनका कहना है कि विकास के नाम पर उन्हें ठगा जा रहा है।


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घोड़ासहन प्रखंड के बिरता चौक में मुसलमानों की आबादी ठीकठाक है, मुसलमान वोटरों से बात की तो उनका साफ तौर पर कहते हैं  कि इस बार विकास के नाम पर ठगने वाली सरकार को नहीं बनने देंगे। स्थानीय दलित भी उनकी हाँ में हां मिले रहे हैं। यहां राष्ट्रीय जनता दल से फैसल रहमान खड़े हुए हैं।  घोड़ासहन में रहने वाले श्रवण कुमार 26 साल के हैं और सासाराम से एमबीए कर रहे हैं.। श्रवण का मानना है कि विकास तो हुआ है लेकिन अभी सबसे बड़ी समस्या है बेरोजगारी. नौजवानों को नौकरी नहीं मिल रही. नौकरी करने के लिए उसे अपने ही घर-राज्य से दूर जाना पड़ता है। अगर ऐसा विकास है तो ये विकास किस काम का!

श्रवण कहते हैं पहले नीतीश कुमार बोलते हैं कि बिहार का बजट इतना नहीं है कि सबको रोजगार दिया जा सके। अब कुछ दिन पहले ही वे बोलते हैं कि सबको रोजगार देंगे। चुनाव के समय में उनका बजट अचानक बढ़ गया है क्या! वे अपनी खुद की ही बात पर कायम नहीं रहते। यानि वे जुमलेबाजी खूब करते हैं। श्रवण घोड़ासहन की समस्या भी बताते हैं कि यहां पर वाटर ड्रेनिंग सिस्टम नहीं है जिसकी वजह से बारिश के मौसम में समस्या बहुत बढ़ जाती है।
मोहम्मद शमशुल अंसारी, घोड़ासहन के पूर्व मुखिया प्रत्याशी हैं, वे बताते हैं कि बिहार की समस्या को देखना जरूरी है। विकास के नाम पर नीतीश कुमार जी ने बिहार को बीस साल पीछे ढ़केल दिया। ये वही नीतीश कुमार हैं जिन्होंने घोषणा की थी कि मैं मिट्टी में मिल जाऊंगी लेकिन बीजेपी में नहीं जाऊंगा। लेकिन बीजेपी में जाकर इन्होंने अपनी छवि तो बेची ही साथ ही हमारे कीमती वोटों को भी बेचा। अगर फैसल रहमान की पार्टी पूर्ण बहुमत से होती तो वे ज्यादा विकास और उन्नति करते। फैसल रहमान ने ही इस जगह की सड़क बनाने आदि का काम किया।

इस बार बिहार में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से मुसलमान उम्मीदवार एक भी खड़ा नहीं किया गया है. वहीं सहयोगी जदयू ने 11 मुसलमान उम्मीदवारों को उतारा है।  राजद की तरफ़ से ढ़ाका विधानसभा के उम्मीदवार फैसल रहमान बताते हैं कि अगर हमारी सरकार आती है तो हम सबसे पहले बिहार में शिक्षा पर काम करना चाहते हैं। इस समय स्कूल में शिक्षक ही नहीं है, वहीं विद्यालयों में केवल पानी वाली खिचड़ी से काम चलाना पड़ रहा है। नीतीश कुमार को फैसल पलटू चाचा कहकर पुकारते हैं और बताते हैं कि हम महिलाओं के लिए अच्छी योजनाएं और रोजगार लाएंगे। अब इस बार हमारी सरकार बनने जा रही है। फैसल रहमान दावा करते हैं कि राजद-कांग्रेस गठबंधन 210 से ज्यादा सीटें बिहार में जीतेगी।

घोड़ासहन में जैसे ही लोगों को पता चला कि मीडिया के लोग बिहार चुनाव पर उनकी राय पूछने आए हैं तो अचानक वहां भीड़ लग गई। ज़मीर अख़्तर नाम के एक व्यक्ति जिसने बच्चा गोद में लिये हुए थे लेकिन माइक उनके पास जाते ही वे एकदम से मौजूदा सरकार के खिलाफ़ जैसे फूट ही पड़ते हैं। वे कहते हैं कि मोदी के विकास की सब मिसाल देते हैं लेकिन विकास कहां है, हमें तो नहीं दिखाई देता। लालू यादव ने चाहे चारा घोटाला ही क्यों ना किया हो लेकिन उनके समय में रेलगाड़ी हमेशा फायदे में रही है। लालू यादव ने दलितों का उत्थान किया है. रेल में जानवरों के तरह भर-भरकर जाते हैं। रोजगार नहीं है, अगर विकास है तो क्यों हम बिहार के लोगों अपना घर छोड़कर बाहर जाना पड़ा है. बिहार से बाहर हमें गालियां देकर पुकारा जाता है।डंडों से मारा जाता है, बिहारी होना अब गाली बन गया है। बिहार के बाहर जाकर पता चलता है कि हमारी स्थिति कितनी खराब है।

वहीं वे य़े भी कहते हैं कि हम किसी भी सरकार से खुश नहीं है। जो भी हमारा नेता बने वो बिहार का बेटा बिहार में रखे, अन्य प्रदेश में जाना ना पड़े। इस बार अपना वोट हम उसी को देंगे तो सच में हमारे लिए काम करेगा, बाकि जुमलेबाज़ी तो बहुत हुई। इसी बीच मोहम्मद शमशुल अंसारी भी आरोप लगाते हैं कि रोजगार की समस्या यहां एक बड़ी समस्या तो है ही। साथ जो सरकार दावा करती है कि बिहार में शराबबंद है।  लेकिन आज भी जगह जगह शराब बिक रही है. ब्लैक में शराब की खरीददारी की जा रही है, इससे तो हालात और बिगड़े हैं।

ढ़ाका विधानसभा के हसनपुर गांव में में हम पहुंचे जहां महिलाओं से बात की। नूरजहां नाम की महिला बताती हैं कि हम चाहते हैं हमारे घरवालों को रोजगार मिले ताकि हम बुनियादी जरूरतें पूरे कर सकें। इसके साथ वे कहती हैं कि हमारे घरों में शौचायल नहीं हैं किसी तरह काम चलाया जाता है, कई बार बाहर भी जाना पड़ता है। पक्कें घर नहीं, पक्की सड़के नहीं हैं, नाली नहीं है। यहां हर तरह की परेशानी है। नीतीश कुमार की सरकार दावा करती है विकास का लेकिन वे हमसे क्यों नहीं पूछती की विकास हमें दिखा या नहीं!

तीन तलाक पर भी महिलाओं ने अपनी बात रखी, जिस पर नूरजहां और उनके साथ की महिलाओं ने एक ही बात कही कि वे तीन तलाक बिल को नहीं मानती। अपने इस्लाम के अनुसार चलते हैं और उसी के अनुसार चलेंगे।

हालांकि लोगों से बातचीत में मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली. दस नवम्बर से पहले ये बताना सच में बहुत मुश्किल है कि किसकी सरकार बनने जा रही है। मुसलमान वोटर इस बार अपने नेता महागठबंधन  को ही अमूमन वोट देंगे। जहां उन्हें अपने प्रतिनिधित्व के कुछ नेता दिखाई दे रहे हैं।

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