उवैश खान । Twocircles.net, दादरी
शेर सिंह भाटी की हत्या में नामज़द दो युवक जमशेद और शाहिद को पुलिस जेल भेज चुकी है जबकि दो अन्य फरार है। बताया जा रहा है कि यह घटना मात्र एक दिन पहले हुए मारपीट की घटना की प्रतिक्रिया हैं । दादरी के नई बस्ती इलाके में दिनदहाड़े हुई इस घटना ने दादरी के सुकून छीन लिया है। पंचायत में युवा शेर सिंह भाटी के कत्ल की तुलना अख़लाक़ सैफ़ी के पांच साल पहले हुए क़त्ल से की जा रही है और उसी तरह की कार्रवाई की मांग की जा रही है। मर्तक युवक शेर सिंह भाटी की मौत के बाद स्थानीय स्तर पर काफ़ी मजबूत स्थिति में माने जाने वाले गुर्जर समाज के बीच मे एक खास विचारों की हलचल में तेजी देखी जा रही हैं। एक समुदाय के प्रति नफ़रत को बढ़ावा दिया जा रहा है और भड़काऊ भाषण दिए जा रहे हैं।
मंगलवार को दोपहर के बाद दादरी के मोहल्ला मेवातियान में रंजिशन हत्या कर दी गई थी। मर्तक शेर सिंह भाटी पास के ही गांव चिटहेरा के एक रिटायर्ड दरोगा श्योराज़ सिंह का पुत्र था और वो नई आबादी स्थित इस मौहल्ले में कथित तौर पर अपने मित्र से मिलने गया था। वहां उसके एक झगड़े के बाद हत्या कर दी गई। इस हत्या के तुरंत बाद शरारती तत्वों ने अफ़वाह फैलाई थी कि अल्पसंख्यक बहुल इलाके में मोब लिंचिंग करके भीड़ ने शेर सिंह को मार दिया है। सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग के आधार पर साफ हो गया कि तीन युवकों ने शेर सिंह की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी। इस दौरान शेर सिंह का साथी जान बचाकर भाग गया और वो इसी वीडियो रिकॉर्डिंग में फायरिंग करता दिखाई दे रहा है।
घटनास्थल दादरी कोतवाली से मात्र 500 मीटर की दूरी पर हैं। यह घटना कानून व्यवस्था पर गहरा प्रश्नचिन्ह लगाती है। इन दोनों समूह के बीच एक दिन पहले मारपीट हुई थी और इसकी सूचना अधिकारिक तौर पर पुलिस को नही दी गई।
दादरी के निवासी वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर महरुदीन के अनुसार दादरी और आसपास के युवा चाहे वो किसी भी धर्म अथवा जाति के हो, उनमें अवैध हथियार रखना स्टेटस बन रहा है। यहां के नोजवान शराब और दूसरी बुराइयों की गिरफ्त में घिरते जा रहे हैं। उनमें वर्चस्वता की होड़ चल रही है। कानून व्यवस्था यहां पूरी तरह पंगु हो चुकी है। दादरी के इतिहास है कि यह नगरी कभी सम्प्रदायिक नही रही है मगर अब एक हर बात का नफ़रती कलेवर तैयार रहता है। बता दें कि 2015 में 75 वर्षीय वयोवृद्ध पत्रकार डॉ मेहरुदीन खान के भाई की घर में घुसकर हत्या कर दी गई थी। इसका कारण उनके पुत्र का बहुसंख्यक समुदाय की युवती से प्रेम विवाह करना बताया गया था। 2018 में दादरी में रहस्यमयी तरीके से आधे दर्जन से अधिक लोगो के गोली मारी गई थी। यह सभी घायल एक ही समुदाय से थे। इस मामले में मनीष और एक युवक की गिरफ्तारी की गई थी।
डॉक्टर मेहरदीन बताते हैं कि हालात विस्फोटक होते जा रहे हैं और दादरी का अमन चैन कभी भी ख़त्म हो सकता है। यहां पिछले कुछ सालों में एक एक समूह सक्रिय है जो हर एक मामले में तनाव बढ़ाने की साज़िश करता है। यह बिसाहड़ा में हुई अख़लाक़ की हत्या से पहले शुरू हुआ था। इसमे भी एक खास बात है और वो यह है यहां मुसलमानों और गुर्जरो में अच्छे रिश्ते थे मगर अब इनमे भी कड़वाहट है। कुछ बाहरी नेता भी यहां अपनी महत्वकांक्षी सियासत के चलते सक्रिय हो गए हैं। मेहरदीन कहते हैं कि नोजवान अब बुजुर्गों की बात नही सुनते हैं।
दादरी के हालात नाज़ुक होने की स्थिति यह है कि दादरी से बिल्कुल सटे गांव चिटहेरा (मर्तक शेर सिंह का गांव ) में शुक्रवार को पुलिस के तमाम रोकने के प्रयास के बाद भी पंचायत हो गई। इस पंचायत में तमाम भड़काऊ बातें हुईं। लोनी के विद्यायक नंदकिशोर गुर्जर भी इस पंचायत में पहुंचे और उन्होंने कहा कि अब कोई गुर्जर किसी विधर्मी को ज़मीन न बेचे। कहा जा रहा था कि इस हत्या में प्रॉपर्टी डीलिंग का विवाद है। पुलिस ने इससे इंकार किया है।
पुलिस ने इस पंचायत को होने से पहले नोटिस जारी किया था। यह नोटिस शेंकी भाटी और श्याम सिंह भाटी के नाम भेजा गया था। इन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से पंचायत का आह्वान किया था। इसके बावूजद पंचायत में सैकड़ो लोग इकट्ठा हुए और एक समुदाय विशेष के विरुद्ध भड़काने वाली बातें भी हुईं । यह सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही है। दादरी के ही अधिवक्ता बृजपाल शर्मा कहते हैं कि यह हत्या बेहद निंदनीय है। दादरी के आसपास के होटलों में एक बार फिर से भीड़ जुटने लगी है और यहां जमघट लगता है। दादरी में कई छोटे बड़े गुट हो गए हैं। पुलिस को इन्हें क्रेक करना चाहिए। ख़ासकर यहां प्रोपेर्टी डीलिंग में अपराधी तत्वों की भरमार हो गई है। पुलिस को एक सख्त अभियान चलाना चाहिए। देर -सबेर सड़क पर घूमते युवाओं की तलाशी तो जरूर लेनी चाहिए ।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी विशाल पांडे बताते हैं कि इस में घटना में किसी तरह का कोई सांप्रदायिक और प्रोपर्टी डीलिंग का एंगल नही है। मर्तक शेर सिंह भाटी कुछ दिन पहले ही नशा मुक्ति केंद्र से लौटा था और नई बस्ती में ही अपने एक मुस्लिम दोस्त के घर रह रहा था। ये लोग आपस मे एक दूसरे को जानते थे। एक दिन पहले इनमे झगड़ा हुआ और अगले फिर से हुए झगड़े में शेर सिंह की हत्या कर दी गई। किसी को भी सांप्रदायिक रुख़ से इस मामले को देखने की जरूरत नही है। अब हम सड़कों पर आवारा घूम रहे युवकों से सख्ती से पेश आएंगे। अफवाह फैलाने वालों के विरुद्ध भी हम कार्रवाई करेंगे।
दादरी : गुर्जर मुस्लिम एकता तोड़ने की साज़िश http://twocircles.net/