कब्रिस्तान का भी है शमशान जैसा हाल,आ सकती है जगह की दिक्कत

आकिल हुसैन।Twocircles.net

फतेहपुर : उत्तर प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर एकदम बेलगाम चल रही है। बढ़ते कोरोना के मामलों के साथ , कोरोना के कारण हो रही मौतों का भी ग्राफ दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। प्रदेश में सरकारी आंकड़ों के अनुसार तीन हज़ार से ज़्यादा मौतें हो रही है।‌ ऐसे में श्मशानों और कब्रस्तानो का भी बुरा हाल हो गया है।‌ श्मशानों में लंबी लाइन देखने को मिल रहीं हैं तो वहीं कब्रिस्तान में भी धीरे धीरे शव दफनाने की जगह खत्म हो रहीं हैं।


Support TwoCircles

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में कोरोना से हो रही मौतों का सरकारी आंकड़ा चाहे जो हो लेकिन श्मशान और कब्रिस्तान पर भीड़ कुछ और ही स्थिति बयां कर रही है। पहले जहां कब्रिस्तान में एक दिन में एक से तीन शव दफनाने के लिए आते थे वहीं वर्तमान परिदृश्य यह हैं कि प्रतिदिन एक कब्रिस्तान में लगभग दस शव रोज़ दफनाने के लिए आ रहें हैं। कब्रिस्तानों के बाहर लगी भीड़ लोगों में ‌डर भय पैदा कर रही है।

कब्र खोदने वाले सुबह से लेकर शाम तक कब्र खोदने में ‌लगे हुए हैं। कब्र खोदने वाले कहते हैं कि इतनी मौतें एक साथ आज तक नहीं देखीं।‌ कब्र खोदने का काम करने वाले सगीर शाह बताते हैं कि आज तक एक साथ इतनी मौतें कभी नहीं देखी। वे बताते हैं कि पहले एक दिन में दो-तीन कब्र खोदते थे बाकि अभी के समय में वे अपने दो लोगों के साथ मिलकर एक दिन में दस से बारह कब्र खोद रहें हैं। एक अन्य कब्र खोदने वाले झल्लर बताते हैं कि शहर में लगभग हर कब्रिस्तान में रोज़ाना दो से तीन शव दफनाएं जा रहें हैं।

शहर की कुछ कब्रिस्तान का हाल यह हैं कि लगभग जगह भर चुकी हैं तो कही महज़ कुछ ही शव दफनाने की जगह बाक़ी है। कुछ कब्रिस्तानों के जिम्मेदारों के अनुसार आज जो हालात हैं, कभी वो पहले नहीं हुए, पहले दो महीने में जाकर कहीं 40-50 शव दफनाने के लिए आते थे ,अब यह आंकड़ा हर चार से पांच दिनों में पूरा हो रहा है।

लोग बताते हैं कि ज़्यादातर मौत अचानक हुई है। इनमें अधिकतर सांस लेने में दिक्कत से पैदा हुई आक्सीजन की कमी से हुई हैं। वहीं कुछ लोग यह भी बताते हैं कि कुछ मौत घबराहट के कारण भी हुई हैं।

कब्रिस्तान के जिम्मेदार बताते हैं कि कोविड संक्रमित शव को दफनाने के लिए 10-12 फीट का गड्ढा खुदवा रहें हैं जिससे संक्रमण का असर ना हो हालांकि आम दिनों में यह गड्ढा पांच फीट तक रहता है।‌ एक दूसरी कब्रिस्तान के जिम्मेदार बताते हैं कि आज-कल जनाज़े में मात्र दस से पंद्रह लोग ही शामिल हो रहें हैं। वो बताते हैं कि अभी तक तो कब्र खोदने वाले ही कब्र खोद रहे हैं, मशीन से नहीं खुदवा रहें हैं।

शहर की एक कब्रिस्तान के जिम्मेदार बताते हैं कि शव को गुस्ल करने के बाद ही कब्रिस्तान लाया जाता है लिहाज़ा उसमें संक्रमण का इतना ख़तरा नहीं रहता तो कभी लोग शव दफनाने के समय पीपीई किट का इस्तेमाल करते हैं तो कभी नहीं करते हैं।‌ बताते हैं कब्रिस्तान में शव दफनाने के समय कोविड के नियमों का पालन भी किया जाता है।

कब्र खोदने वाले झल्लर कहते हैं कि वो पिछले हफ्ते से अभी तक 30 से ज्यादा कब्र शहर की अलग अलग कब्रिस्तान में खोद चुके हैं जो आम दिनों से कहीं ज्यादा है। झल्लर के अनुसार पहले वे इतनी कब्र लगभग दो महीने से ज्यादा के समय में खोदते थे और आज की नौबत यह हैं कि एक हफ्ते में 30 से ज्यादा कब्र खोदनी पड़ रही है।

एक कब्रिस्तान के जिम्मेदार बताते हैं कि दो हफ्तों के अंदर लगभग 50-60 शव दफन करे जा चुके हैं और अगर यह सिलसिला ऐसा ही चलता रहा तो कब्रिस्तान में जगह कम पड़ने लग जाएंगी। वे बताते हैं यहां लगभग 3000 शव दफन हो सकतें हैं और लगभग 2000 के करीब शव पहले से दफ़न हैं।

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE