जिब्रानउद्दीन।Twocircles.net
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने डॉक्टर कफील खान के ऊपर अलीगढ़ में दर्ज दोनो प्राथमिकी को रद्द कर दिया है और साथ ही उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर भी रोक लगाने का आदेश दिया है। उनके खिलाफ सीएए – एनआरसी के विरोध के दौरान भड़काऊ टिप्पणी करने का आरोप था। डॉक्टर कफील की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री दिलीप कुमार ने सीआरपीसी 482 की याचिका दायर की थी।
2019 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के परिसर में कथित तौर पर उन्होंने भड़काऊ भाषण दिए थे जिसके बाद उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। हालांकि उनके अनुसार ये आरोप बेबुनियाद थें। डॉक्टर कफील खान ने अपने ट्विटर हैंडल से इस प्राथमिकी रद्द होने की खबर को लोगों के बीच सांझा किया और साथ ही उन्होंने दो वाक्यों में खुद पर लगे आरोपों का जवाब भी दिया। वो लिखते हैं, “जिनकी अली बजरंगबली की मानसिकता होती है उन्हें प्यार और भाईचारे का भाषण भी भड़काऊ भाषण लगता है।”
उन्होंने किए गए अपने ट्वीट में एक फोटो भी सांझा की, जिसमें लिखा था, “एक और राहत आप सब की दुवाओं से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश श्री गौतम चौधरी साहब ने डॉक्टर कफील खान के अलीगढ़ में सीएए/एमआरसी के विरोध में दिए भाषण के खिलाफ दर्ज अपराधिक कार्यवाही को निरस्त करते हुए डॉक्टर कफील की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री दिलीप कुमार साहब और अधिवक्ता मनीष सिंह की बहस सुनने के बाद सीआरपीसी 482 की याचिका को स्वीकृत कर ली है।”
कोर्ट ने अपने आदेश में दोनो प्राथमिकी को रद्द करते हुए कहा, दोनों FIR को रद्द कर दिया, “सीआरपीसी की धारा 482 के अंतर्गत दायर आवेदन पत्र स्वीकार किया जाता है तथा 2019 की मु०अ०सं० -700 के अंतर्गत धारा 153-ए, 153-बी, 505(2), 109 भा०दं०वी०, थाना सिविल लाइन, 16 मार्च 2020 में जिला अलीगढ़ से प्रेषित आरोप पत्र संख्या 055 से उद्भूत वाद संख्या 3250, स्टेट बनाम डॉक्टर कफील जो की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अलीगढ़ के न्यायालय में लंबित हैं तथा इसमें पारित 28 अगस्त 2020 के प्रसंज्ञान आदेश की संपूर्ण कार्यवाही को अपास्त की जाती है।”
डॉक्टर कफील ने एक वीडियो के माध्यम से लोगों का भी शुक्रिया किया है, “आज एक बहुत बड़ी जीत मिली है, और ये सब सिर्फ आपलोगों की दुआओं से संभव हो पाया है।” कफील अपने भाषण के बारे में कहते हैं कि, “जिस भाषण को भड़काऊ बताकर मेरे ऊपर प्राथमिकी दर्ज की गई और जमानत मिलने के बाद मुझपर रासुका लगाकर मुझे साढ़े 7 महीने मथुरा जेल में रखा गया। उसको लेकर पहले ही सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने कह दिया था की की देश तोड़ने वाला नही बल्कि देश जोड़ने वाला भाषण है।”
कफील कहते हैं के उन्हे अफसोस है कि कुछ लोगों की मानसिकता की वजह से मेरे भाईचारे वाले भाषण को नफरत फ़ैलाने का नाम दे दिया गया था। “जिन लोगों को शिक्षा दी गई है की अली और बजरंगबली में, शमशान और कब्रिस्तान में, जाति और धर्म के आधार पर लोगों को बांट दिया जाय, इंसानों को इंसानों से अलग कर दिया जाए, उन लोगों को मेरा भाईचारे और प्यार का भाषण भी नफरती लगा जिसके बाद उन्होंने मेरे ऊपर प्राथमिकी दर्ज करवाई।”
कफील ने न्यायपालिका प्रणाली को धन्यवाद दिया कि उन्होंने इंसाफ किया है। कफील बताते हैं कि न्यायालय ने उनके खिलाफ दायर आरोप पत्र को निरस्त कर दिया है और उनके ऊपर चलने वाले अपराधिक कार्यवाही को भी रुकवा दिया है। कफील ने लोगों को संदेश देते हुए कहा कि जीवन में अपने आप पर भरोसा होना चाहिए कि जब आपने कुछ गलत नही किया है तो देर सवेर ही सही लेकिन जीत मिल जाती है।
आपको बता दें कि आने वाले 31 तारीख को डाक्टर कफील को किए 2017 गोरखपुर मामले में हुए बरख्वास्त मामले की भी सुनवाई होनी है। जिसके लिए उन्होंने लोगों से अपील की के उनके लिए प्रार्थना करें। ज्ञात हो कि अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के कारण 60 बच्चों की जान चली गई थी। इस मामले में डॉक्टर कफील खान को निलंबित कर दिया गया था।
इस खबर के बाद से ट्विटर पर डॉक्टर कफील खान को बधाइयां देने की जैसे होड़ सी लग गई है, साथ ही न्यायालय के फैसले का भी स्वागत करते दिख रहे हैं। एक यूजर लिखते हैं, “सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं।” वहीं एक दूसरे यूजर लिखते हैं, “बहुत बधाई हो कफील भाई, आपने बहुत कुछ सहा है जबकि आपकी कोई गलती भी नही थी। आप कईयों के लिए प्रेरणा का एक श्रोत हो कि कैसे संविधान के हद्द में रहकर बुराइयों से लड़ा जाता है।”