विनोद दुआ बहुत याद आएंगे !

न्यूज़ डेस्क। Twocircles. Net

हिंदी पत्रकारिता जगत के लिए यह काफी दुखदायक दिन है। हिंदी भाषा के 67 वर्षीय वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ दुनिया को अलविदा कह गए है। दुआ काफी दिनों से बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती थें। उनकी बेटी, मल्लिका दुआ ने इस दुखद खबर के सूचना अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए लोगों को दी थी। विनोद दुआ की मृत्यु के बाद उनके साथी पत्रकार और कई लोगों ने अपना शोक ज़ाहिर करते हुए उन्हें याद किया।


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विनोद दुआ इसी हफ्ते अस्पताल में भर्ती हुए थें। उस समय मल्लिका दुआ ने लोगों से उनके पिता के स्वास्थ के लिए प्रार्थना करने की गुजारिश की थी। बता दें कि उस समय विनोद दुआ की मौत की अफवाह भी उड़ी थी, जिसका मल्लिका ने खंडन किया था।

अपने पिता की मृत्यु पर मल्लिका ने इंस्टाग्राम पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, “हमारे निर्भीक और असाधारण पिता विनोद दुआ का निधन हो गया है। उन्होंने शानदार जीवन व्यतीत किया, दिल्ली की एक शरणार्थी कॉलोनी में पले-बढ़े और 42 साल तक पत्रकारिता की दुनिया में नाम कमाने वाले, वो हमेशा सच की आवाज उठाते रहे। अब वह हमारी मां के साथ हैं, उनकी पत्नी चिन्ना स्वर्ग में हैं जहां वे गाएंगे, खाना बनाएंगे और एक साथ यात्रा करेंगे। उनका अंतिम संस्कार कल (15.12.21) लोधी श्मशान घाट में होगा।”

कुछ महीनों पहले कोरोना की दूसरी लहर में विनोद दुआ और उनकी पत्नी संक्रमित हो गए थे। दोनों की तबीयत काफी बिगड़ गई थी, जिसके बाद दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस समय विनोद दुआ तो स्वस्थ होकर घर लौट आए थें। लेकिन, उनकी पत्नी रेडियोलॉजिस्ट पद्मावती ‘चिन्ना’ का 12 जून को निधन हो गया था।

विनोद दुआ का जीवन काफी संघर्ष से भरा हुआ था। उनका जन्म 11 मार्च 1954 में दिल्ली के एक शरणार्थी कॉलोनी में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। 1947 में भारत की आजादी के बाद उनका परिवार डेरा इस्माइल खान से स्थानांतरित हो गया था।

शुरुआत से ही उन्हे जन संचार में काफी रुचि थी। 1974 में विनोद दुआ को युवा मंच में अपना पहला टेलीविजन कार्यक्रम को प्रदर्शन करने का मौका प्राप्त हुआ। ये एक हिंदी भाषा का युवा कार्यक्रम था, जिसे दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था। इसके बाद विनोद ने पीछे मुड़कर नही देखा और समय के साथ ऊंचाईयों को छूने लगे। उन्होंने अपने कैरियर में अनेक अनुभवी पत्रकारों के साथ काम किया।

1985 में जनवाणी की ऐतिहासिक एंकरिंग की वजह से उन्हें खूब ख्याति प्राप्त हुई। इस कार्यक्रम में नागरिकों को मंत्रियों से उनकी नीतियों के बारे में सवाल पूछने के लिए एक मंच प्रदान किया जाता था जो लोगों के बीच खासा लोकप्रिय रहा। इसके दो साल बाद वो 1987 में वी टीवी टुडे में मुख्य निर्माता के रूप में शामिल हुए। फिर जल्द ही उन्होंने देश की पहली वीडियो पत्रिका न्यूजट्रैक का संपादन शुरू किया।

वह साल 2000 से 2003 तक सहारा टीवी से जुड़े रहे, जिसके लिए वे “प्रतिदिन” के एंकर के रूप में काम किया करते थे। इसके इलावा दुआ एनडीटीवी इंडिया के कार्यक्रम, “ज़ाइका इंडिया का” को भी होस्ट किया करते थे, जिसके लिए उन्होंने भारत के कई शहरों की यात्रा की थी। साथ ही उन्होंने द वायर हिंदी के लिए जन गण मन की बात की एंकरिंग भी की, जिसमें उन्हें खूब सराहा गया था।

उन्हें पत्रकारिता जगत के कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। जिसमें 1996 का प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका पत्रकारिता उत्कृष्टता पुरस्कार शामिल हैं। साथ ही उन्हे 2008 में पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था, इसके इलावा, जून 2017 में, पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी जीवन भर की उपलब्धि के लिए, मुंबई प्रेस क्लब ने उन्हें रेडइंक पुरस्कार से दिया गया था, जो दुआ को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा प्रदान किया गया था।

समय-समय पर उनके निष्पक्ष पत्रकारिता को दबाने की कोशिश में उनके ऊपर कई तरह झूठे आरोप लगे, लेकिन अंतः सारे आरोपों से वो बा-इज्ज़त बरी हुए। पिछले साल जून में उनके यूट्यूब चैनल पर उनके द्वारा आपत्तिजनक बातें बोलने का आरोप लगाते हुए एक भाजपा नेता द्वारा उनके ऊपर देशद्रोह का मामला दर्ज करवाया गया था जो बाद में जून 2021 में कोर्ट ने खारिज कर दिया।

उनकी सहयोगी रह चुकी आरफा खानम शेरवानी ने उनकी मौत पर अपना शोक व्यक्त करते हुए लिखा, “भारत में टीवी न्यूज के अग्रदूत विनोद दुआ का निधन एक व्यक्तिगत क्षति है। मैंने उनके साथ एनडीटीवी और द वायर में काम किया। लेकिन एक सहयोगी से ज्यादा वह मेरे लिए एक दोस्त, दार्शनिक और मार्गदर्शक थे। उसके जैसा कोई नहीं था, कभी कोई नहीं होगा। एक युग का अंत! खुदा हाफिज, दुआ साहब!”

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