स्टाफ़ रिपोर्टर । Twocircles.net
वसीम जाफर के साथ हुए धार्मिक विवाद पर अपना पक्ष रखने के बाद कई बड़े क्रिकेटर उनके समर्थन में आगे आएं हैं, जिसमे गोवा क्रिकेट टीम के मुख्य कोच डोद्दा गणेश, पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले, क्रिकेटर मनोज तिवारी, इरफान पठान भी शामिल हैं।
गोवा कोच डोद्दा गणेश ने ट्वीट करते हुए कहा “प्रिय वसीम जाफर, आप क्रिकेट के महान दूत रहे हैं और भारत को गर्व के साथ प्रतिनिधित्व करते आएं हैं, यकीन नहीं होता के कुछ ऐसा आपके साथ भी हो सकता है, आप बहुत अच्छे क्रिकेटर, इंसान और भाई हो. क्रिकेट की दुनिया आपको और आपकी ईमानदारी को जानती है.”
पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले ने वसीम जाफर के इस्तीफे का समर्थन किया, वो कहते हैं, “हम आपके साथ हैं, आपने सही किया, दुर्भाग्यवश खिलाड़ियों को आपके मार्गदर्शन से वंचित रहना पड़ेगा”
क्रिकेटर मनोज तिवारी ने कहा हैं कि, ” मै उत्तराखंड के मुख्यमंत्री (बीजेपी) श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को इस मामले में हस्तक्षेप करने का निवेदन करूंगा हूं कि हमारे राष्ट्रीय हीरो वसीम भाई को क्रिकेट एसोसिएशन मे साम्प्रदायिक बताया गया है जिस पर जल्द कोई उचित कार्रवाई की जाए, एक उदाहरण बनाने का समय है”
पूर्व क्रिकेटर इरफान पठान ने भी अपना समर्थन माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर के माध्यम से दिखाया है, उन्होंने वसीम जाफर के ट्वीट पर रिप्लाइ करते हुए कहा “दुर्भाग्य की बात है कि आपको ये सब समझाना पड़ रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई कहते हैं “डटे रहो वसीम, हम में से जो भी तुम्हे जनता है, उन्हे पता है कि तुमने क्या क्या किया है हिन्दुस्तानी और मुंबई क्रिकेट के लिए, तुम्हारे साथ है, तुम्हे छोटे दिमाग़ वालों को कुछ समझाने की ज़रूरत नहीं, सच खुद बाहर आ जाएगा! गुड लक।
“पत्रकार सबा नक्वी ने इंडियन एक्सप्रेस के एक लेख को शेयर करते हुए कहा है कि “बहुत दुखद और ग़लत बात है, अधिकारियों द्वारा एक खिलाड़ी पर सम्प्रदायिक होने का आरोप लगाकर इस तरह से क्रिकेट के अंदर फूट डालना जैसा है। उधर वसीम जाफर ने कोच पद से इस्तीफा देते हुए कहा – मामले को सम्प्रदायिक रूप देना दुखद बात है”।
आपको बता दें कि बुधवार को पूर्व क्रिकेटर वसीम जाफर ने उत्तराखंड क्रिकेट टीम के कोच के पद से इस्तीफा दे दिया था। जाफर ने क्रिकेट एससिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) पर टीम के सलेक्शन में हस्तक्षेप और पक्षपात का आरोप लगाया था जिसके जवाब में उल्टा उनके ऊपर ही साम्प्रदायिकता फैलाने और पक्षपात का आरोप लगा था।