धार्मिक विवाद के चलते वसीम जाफर का इस्तीफा,कहा मेरी निष्ठा पर संदेह बेहद तकलीफ़देह

जिब्रानउद्दीन।Twocircles.net

टीम इंडिया के पूर्व टेस्ट ओपनर वसीम जाफर ने सांप्रदायिक भेदभाव की एक बेहद गंभीर घटना से पैदा हुए विवाद के चलते बुधवार को पूर्व क्रिकेटर  उत्तराखंड क्रिकेट टीम के कोच के पद से इस्तीफा दे दिया है । वसीम जाफर ने क्रिकेट एसोसियेशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) पर टीम के सलेक्शन में  हस्तक्षेप और पक्षपात का आरोप लगाते हुए इस पदत्याग का फैसला लिया है।


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उनके इस्तीफा के जवाब में सीएयू के सचिव महिम वर्मा और टीम मैनेजर नवनीत मिश्रा में उन ही पर  आरोपों की झड़ी लगा दी है। महिम वर्मा ने कहा है कि उन्होंने उत्तराखंड की कोचिंग के दौरान टीम में सांप्रदायिकता फैलाई, उन्होंने टीम के स्लोगन्स “रामभक्त हनुमान की जय” को बदल कर “गो उत्तराखंड” रखवाया, उन्हे “जय उत्तराखंड” शब्द से भी आपत्ति थी।

इंडियन डोमेस्टिक क्रिकेट के सबसे सफल बल्लेबाज ने ऐतिहासिक विजय हज़ारे ट्रॉफी के कुछ रोज़ पहले ही अचानक सभी को चौंका देने वाले इस्तीफे पर अफसोस जताते हुए कहा था कि “खिलाड़ी उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं, लेकिन टीम में हस्तक्षेप और पक्षपात के चलते उन्हें ये अवसर नहीं मिल पा रहा था “

वसीम जाफर ने आधिकारिक तौर पर स्वीकृति के बाद ही उन्होंने आनन फानन में अपने पर लगे आरोपों की सफाई के लिए एक वर्चुअल प्रेस कान्फ्रेस किया जिसमे उन्होंने कहा,  “जो आरोप उनके ऊपर लगाए गएं हैं, वो काफी गंभीर है, और मामले को साम्प्रदायिक रूप देना और भी ज़्यादा दुखद है इसलिए मुझे सामने आना पड़ा, आप सभी मुझे जानते हैं कि मै कैसा हूं”, आपको बता दें कि पहले भी वसीम जाफर अपने रोचक ट्वीट्स के चलते सुर्ख़ियों मे रहे हैं.

जाफर ने आगे कहा कि उन्होंने जितने भी खिलाड़ियों को ‘सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी’ में खिलवाया था, उसकी वजह सिर्फ उन लोगों की काबिलियत थी, “अगर मै सच में साम्प्रदायिक होता तो आखिरी मैच में समद फल्लाह को नहीं बैठाता, और दोनों मुस्लिम खिलाड़ी, समद फल्लाह और मोहम्मद नाजिम को सारे मैचों में खेलना चाहिए था, इस तुच्छ बात को सिर्फ सोचना भी काफी दयनीय है। “

उन्होंने अपने पर लगे स्लोगन बदलने के आरोप पर कहा कि वो सभी धर्मों की इज़्ज़त करते है और उन्होंने किसी पर कुछ नहीं थोपा उन्होंने  ‘अल्लाह हु अकबर’ या इस्लाम से संबंधित स्लोगन नही लगवाया,  “मुझे ‘जय उत्तराखंड’ से क्यों समस्या होगी? मैं सिर्फ इतना कह रहा था कि हमें कोई धार्मिक स्लोगन नहीं रखना चाहिए।”

उन्होंने इकबाल अब्दुल्लाह को कप्तान बनाने कि तरफदारी के आरोप पर कहा कि वो असल में जय बिस्ता को कप्तान बनवाना चाहते थे, लेकिन रिजवान शमसाद और दूसरे चयनकर्ताओं ने इकबाल को कप्तान बनाने का सुझाव दिया “चूंकि वो मुझसे ज़्यादा अनुभवी खिलाड़ी हैं, आईपीएल खेल रखा है और उम्र में भी बड़े है इसलिए मैंने उनके सुझावों में हामी भर दी.”

रणजी ट्रॉफी में अबतक का सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले वसीम जाफर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में, मौलवियों (मुस्लिम धर्मगुरु) को प्रेक्टिस के दौरान कोचिंग में बुलवाने के आरोपों पर कहा कि वो सिर्फ उनकी अनुमति से नहीं हुआ था उसके लिए मैनेजर नवनीत मिश्रा की अनुमति भी उतनी ही ज़रूरी थी. “जो मौलाना जुमा की नमाज़ पढ़ाने को आएं थे वो मैंने नहीं, बल्कि इकबाल अब्दुल्लाह ने बुलवाया था, वो शायद देहरादून मे किसी को जानते थे,” आगे कहा “अगर मैं सम्प्रदायिक होता तो अभ्यास के समय को हेर फेर कर सुबह  9 से 12 बजे तक रखता ताकि 1:30 – 2:00 बजे दिन में जुमा की नमाज़ पढ़ सकें लेकिन हमारा रोज़ का अभ्यास 12:00 – 12:30 बजे तक होता था सिर्फ शुक्रवार के लिए इकबाल ने अनुमति ले रखी थी, चूंकि वहां 3-4 लोग और थे तो हम सिर्फ जुमा को अभ्यास के बाद 5 मिनट के लिए ड्रेसिंग रूम में नमाज़ पढ़ते थे, इसके इलावा कुछ और नहीं हुआ, ना ही कभी भी बायो बबल तोड़ा गया।”

उन्होंने ये भी बताया कि कैसे ‘मुश्ताक अली टीम’ के चयन में तो वो शामिल थे लेकिन फिर ‘विजय हज़ारे ट्रॉफी’ में ना तो उनको शामिल किया गया ना ही उनके साथ कोई विचार विमर्श किया गया “अगर महिम वर्मा ने मुझे क्रिकेट में सुधार के लिए नियुक्त किया था तो मुझे थोड़ी आज़ादी मिलनी चाहिए थी, अगर चीजें वैसी ही रहनी है जैसे थीं तो मेरे होने ना होने का कोई मतलब नहीं” उन्होंने आगे ये भी खुलासा किया के “एक समय था जब सीईओ, सचिव और चीफ सिलेक्टर महिम वर्मा उनसे फोन पर राय मांगते थे कि किस खिलाड़ी को खेलना चाहिए चूंकि उन्हे क्रिकेट की इतनी समझ नहीं थी।”

वेबसाइट क्रिकइंफो के मुताबिक जाफर की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद से इस मामले में महिम वर्मा, उपाध्यक्ष संजय रावत, संयुक्त सचिव अवनीश वर्मा समेत ‘सीएयू’ के किसी भी पदाधिकारी का कोई बयान उपलब्ध नहीं हुआ है। महिम वर्मा से संबंधित बयान  दैनिक जागरण में प्रकाशित हुआ है जिसे एक पक्षीय अखबार होने की छवि हासिल है।

सीएयू के CEO अमन सिंह ने खेल वेबसाइट क्रिकइंफो को बताया है कि उन्हें आधिकारिक तौर पे जाफर की कोई शिकायत नहीं मिली है। खबर यह भी  है कि जाफर की प्रेस कॉन्फ्रेंस के तुरंत बादसिक्किम के पूर्व कोच मनीष कुमार झा को जाफर की जगह सेलेक्ट कर लिया गया है। वसीम जाफर इस सबसे बेहद आहत हुए हैं।

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