Home Education उर्दू माध्यम की छात्रा ज़रीन युसूफ ने ‘सी ए’ में किया टॉप

उर्दू माध्यम की छात्रा ज़रीन युसूफ ने ‘सी ए’ में किया टॉप

जिब्रानउद्दीन।Twocircles.net

जहां आज के दौर में मुस्लिम महिलाओं को शिक्षा के मामले में पिछड़ा बताया जाता है वहीं अखिल भारतीय स्तर की चार्टर्ड एकाउंट (सी ए) की आईपीसी परीक्षा में ज़रीन युसूफ खान ने देश भर में प्रथम स्थान हासिल कर मुस्लिम बाहुल्य शहर मुंब्रा का ही नहीं बल्कि पूरे मुस्लिम समाज का का नाम रौशन किया है और महिलाओं के लिए एक प्रेरणा साबित हुई है।

ज़रीन खान मुंबई से सटे शहर मुंब्रा के रेलवे स्टेशन के समीप स्थित जीवन बाग परिसर की रहने वाली है। उनके पिता एक मामूली से गैरेज मेकेनिक हैं। किसी प्रकार का ट्यूशन लिए बिना ज़रीन ने अपने साधारण परिवार में अनेक विषम परिस्थितियों से जूझते हुए यह मुकाम हासिल किया है। वो अपने 300 स्क्वायर फुट के घर के किचन में ही पढ़ा करती थीं आपको बता दें की उनके इलावा उस छोटे से घर में माता पिता और उनके तीन भाई-बहन भी रहते है।

यह ‘सी ए’ की परीक्षा पुराने सिलेबस के हिसाब से आयोजित की गई थी जिसमे 30,727 छात्रों ने हिस्सा लिया था। सोमवार को आए रिजल्ट में ज़रीन खान ने 700 में से 461अंक (65.86 प्रतिशत) हासिल कर पूरे देश मे टॉप किया है। ठाणे जिला में पहली बार यह मुकाम किसी छात्रा ने हासिल किया। वहीं दूसरा स्थान चेन्नई के अजीत बी शेनॉय तथा तीसरा स्थान पलक्कड़ के सिद्धार्थ मेनन आर ने हासिल किया।

ज़रीन खान ने बताया कि “मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ जब ये खबर मेरी दोस्त ने सुनाया तो, मैंने कभी इस रैंक की भी उम्मीद नहीं की थी, देश भर में टॉप करना तो दूर की बात है।” वो बताती है कि अब उनसे प्रेरणा लेकर उनके भाई बहन भी पढ़ाई में ज़्यादा ध्यान लगाते हैं। उन्होंने अल्लाह को शुक्रिया कहते हुए अपनी कामयाबी का श्रेय घरवालों और साथ साथ दोस्तों को दिया। ज़रीन अपने घरवालों के बारे में बताती हैं कि उनके पिता 10वीं कक्षा तक पढ़े हुए हैं और ऑटो मैकेनिक का काम करते है और मां को सिर्फ 8वीं कक्षा तक ही शिक्षा मिल पाई थी वो भी उर्दू माध्यम से और वो हाउसवाइफ हैं। उनकी बड़ी बहन ने साइंस से ग्रेजुएशन कर रखा है, और दो 18 और 19 साल के भाई कपड़े कि दुकान पर काम करते हैं।

उन्होंने दूसरे छात्र छात्राओं को संदेश देते हुए कहा “किसी भी तरह की कामयाबी के लिए मेहनत ज़रूरी है, छात्रों को पढ़ने की आदत डालनी चाहिए। अगर स्कूल में कुछ समझ नए आए तो टीचर से उसी वक्त समझ लेना बेहतर है वरना बाद में दिक्कत हो जाती है।” और आखिर में समय की पाबंदी को बेहद ज़रूरी बताया

पिता युसूफ खान ने बेटी के कारनामे पर खुशी का इजहार किया “मेरे पास लफ्ज़ नहीं है कि मै अपनी खुशी का इजहार कर सकूं। मेरी बेटी ने जो काम किया है वो सारी मेहनत उसकी अपनी है, मैंने तो सिर्फ आगे पढ़ने की अनुमति दी थी लेकिन असल में उसकी मां ने उसका बहुत साथ दिया है” आखिर में उन्होंने अपने क़ौम को संभोदित करते हुए कहा कि “ज़्यादातर लड़कियां 10वीं-12वीं के ऊपर नहीं पढ़ पाती है और उन्हे चूल्हे चौके में लगवा दिया जाता है, मां-बाप को चाहिए कि वो बच्चों पर भरोसा रखें” उन्होंने देशभर की बच्चियों को आगे बढ़वाने का संदेश दिया।

ज़रीन ने उर्दू माध्यम मे ही अपनी शुरुआती दौर की पढ़ाई 10वीं कक्षा तक पाई। वो हमेशा से एक होशियार छात्रा रहीं हैं, 80% अंक से अपना ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद भी घर पे पैसों की तंगी के वजह से उन्हें पढ़ाई को छोड़कर छोटी सी नौकरी करना पड़ा था। लेकिन फिर बाद में उन्होंने दुढ़ निश्चय के साथ ‘सी ए’ परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी और आखिरकार पूरे भारत में उन्होंने पहला रैंक पाया। उनकी कामयाबी इतनी महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि इस बार के ‘सी ए’ की परीक्षा में सिर्फ 12.80% लोग ही उत्तीर्ण हो सके हैं।