स्टाफ़ रिपोर्टर ।Twocircles.net
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने बुधवार शाम पीसीएस-2019 का अंतिम चयन परिणाम जारी किया। 25 प्रकार के पदों के लिए 453 रिक्तियां थी, जिनमें से 434 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। पीसीएस के 19 पद योग्य अभ्यर्थी न मिलने के कारण खाली रह गए। परीक्षा परिणाम आयोग के सूचना बोर्ड और वेबसाइट पर उपलब्ध है।
उन 434 चयनित अभ्यर्थियों में से मात्र 13 अभ्यर्थी (3%) ही मुसलमान रहें। कुल 25 प्रकार के पदों में भी सिर्फ 7 प्रकार के ही ऐसे पद रहे जिनमें मुसलमानों का चयन हो सका।
डिप्टी कलेक्टर के लिए 46 चयनित अभ्यर्थियों में से सिर्फ 1 मुसलमान हैं।इनका नाम शना अख्तर मंसूरी है और ये ललितपुर की रहने वाली है। इनके पिता सिकन्दर खान ललितपुर नगरपालिका में क्लर्क है। उन्होंने बताया कि वो बहुत खुश है और परिणाम आने के बाद से लगातार बधाइयां स्वीकार कर रहे हैं। बेटी का शुक्रिया उसने हमे फ़ख्र से भर दिया है।
पूरी लिस्ट इस प्रकार है।
019381 शना अख्तर मंसूरी -डिप्टी कलक्टर
नायब तहसीलदार के लिए 150 चयनित अभ्यर्थियों में से मात्र 5 मुसलमान हैं-
डिप्टी जेलर के लिए 76 चयनित अभयर्थियों में से मात्र 3 मुसलमान हैं-
अकाउंट & ऑडिट ऑफिसर, मंडी परिषद के लिए 10 चयनित अभयर्थियों में से मात्र 1 मुसलमान हैं।
161714 मो० जुनैद खान
लीगल ऑफिसर, पी• डब्ल्यू• डी• के लिए 18 चयनित अभयर्थियों में से मात्र 1 मुसलमान हैं।
388310 फ़ज़ल हुसैन (इनके छोटे भाई तबरुक हुसैन पहले ही डिप्टी एसपी चयनित हो चुके हैं।)
एसआर. शुगर कैन डेवलपमेंट इंस्पेक्टर के लिए 11 चयनित अभ्यर्थियों में से मात्र 2 मुसलमान हैं।
आखिर क्या वजह है कि इस तरह की परीक्षाओं में मुसलमानों की भागीदारी इतनी कम आ रही है। हमने इस सवाल के जवाब को जानने के लिए नायब तहसीलदार के लिए चयनित अरसलान उर रशीद से बात की उन्होंने अपने अनुभवों को Twocircles.net के साथ सांझा करते हुए बताया कि “मुस्लिमों की इन परीक्षाओं में कम तादाद होने के कई कारण है।”
यूपी के बलरामपुर निवासी रशीद ने अपनी डिप्लोमा इंजीनियरिंग की पढ़ाई अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से किया, उसके बाद ग्रेटर नोएडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक करने के बाद वो जर्मन की कंपनी बॉस्क लिमिटेड में कार्यरत थे। उन्होंने बताया कि “मैं एक पिछड़े इलाक़े से आया हूं। ऐसा लगता था कि समाज में भागीदारी दिखाकर बदलाव की ज़रूरत है लेकिन प्राइवेट नौकरी में ये सब संभव नहीं था इसलिए मैंने सोचा कि पीसीएस की तैयारी करनी चाहिए।” रशीद ने लखनऊ में अपनी तैयारी की।
रशीद कहते हैं की “की बच्चों को हार नहीं मानना चाहिए, सफलता एक बार मे ही मिल जाए ये ज़रूरी नहीं, ईमानदारी से मेहनत करते रहना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि “मजबूत दिमाग़ ज़्यादा अच्छा होता है तेज दिमाग़ के मुक़ाबले, विफलता को स्वीकार कर के आगे बढ़ने की हिम्मत रखनी चाहिए। निरंतर प्रयासों के साथ ही साथ समाज की बुराइयों को दूर करने की प्रेरणा लेकर खुद पर भरोसा रखना चाहिए।
मुस्लिमों की चयनित सूची में संख्या कम होने की बात पर उन्होंने कहा “मुसलमान बच्चे परीक्षा में उपस्थित ही नहीं होते हैं जो भी उपस्थित हुए हैं उनकी सफलता का अनुपात अच्छा है।” आगे कहा “मै मानता हूं कि मुस्लिम समाज आर्थिक रूप से काफी कमज़ोर है, नौजवानों पर कई तरह कि ज़िम्मेदारियां है जिस वजह से वो परीक्षा में भाग नहीं लेते हैं। समाज अगर नौजवानों की आर्थिक रूप से मदद के लिए आगे आएगा तो हालात और सुधरेंगे फिर रिजल्ट भी अच्छा आने लगेगा।”