बुंदेलखंड की बहादुर बेटी और ‘गुलाबी गैंग’ की शेरनी हेमलता पटेल की भूली बिसरी कहानी

हेमलता पटेल गुलाबी गैंग की संस्थापक सदस्यों में से हैं। बुंदेलखंड का मशहूर गुलाबी गैंग महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अत्याचारों से लड़ने के लिए काफी चर्चित हुआ था। इस गुलाबी गैंग की लीडर संपतपाल तो काफी लोकप्रिय हुई मगर इस समूह की एक और लीडर हेमलता पटेल महत्वपूर्ण होने के बावूजद बहुत अधिक चर्चा नही पा सकी। इस रिपोर्ट में हेमलता पटेल के जिंदगी के तारों को छेड़ा गया है।

आकिल हुसैन। Twocircles.net


Support TwoCircles

हेमलता पटेल का ताल्लुक उत्तर प्रदेश के फतेहपुर ज़िले से हैं। यह ज़िला इलाहाबाद और कानपुर के बीच बसा हैं। गुलाबी गैंग को खड़ा करने में संपत पाल के अलावा हेमलता पटेल का भी अहम योगदान था परंतु  संपत के नाम की बढ़ती चकाचौंध में हेमलता पटेल का नाम छुप गया। हेमलता पटेल जो प्यार से ‘दीदी जी’ के नाम से भी जानी जाती हैं, लोग उन्हें स्नेह से दीदी जी कहते हैं। हेमलता पटेल फतेहपुर के बहुआ क्षेत्र के सुजानपुर गांव में रहती हैं। यह इलाका बांदा जिले से महज़ 15 किमी पर हैं। वर्तमान समय में हेमलता ‘गुलाबी गैंग लोकतांत्रिक’ के नाम से संगठन बना कर महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर रही हैं।

हेमलता पटेल का जन्म सन् 1970 में फतेहपुर से सटे ज़िले बांदा के चिल्ला तारा  गांव में हुआ था। हेमलता पटेल का जन्म दयाराम वैद्य के घर पर हुआ था जो काफी बार चिल्ला तारा गांव के प्रधान रह चुके हैं। हेमलता अपने तीन भाई दो बहनों में सबसे छोटी हैं। घर में छोटा होने के कारण हेमलता को लाड प्यार बहुत मिलता था। हेमलता की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई हालांकि उस वक्त महिला शिक्षा का इतना चलन नहीं था।

हेमलता बताती हैं कि ‘वो गांव के ही एक विद्यालय में पढ़ने जाती थी, परंतु  विद्यालय की एक टीचर थी वो बच्चों से अपने घर का काम करवाती थी। उन्होंने टीचर के घर का काम करने से मना कर दिया था जिसके कारण उन्हें फेल कर दिया था और जिससे उनकी पढ़ाई सातवीं कक्षा पर रूक गई’।

हेमलता पटेल की शादी मात्र 16 साल की उम्र में फतेहपुर के बहुआ क्षेत्र में धर्मेंद्र कुमार से हो गई थी जो वर्तमान में जूनियर हाईस्कूल विद्यालय में शिक्षक के पद पर हैं। हेमलता बताती हैं कि उस समय जल्दी शादी कर देने का रिवाज़ था फिर चाहे वो मर्द हो या औरत, लेकिन उस वक्त औरत की शादी ज्यादा जल्दी कर देने पर ज़ोर रहता था क्योंकि पढ़ाई होती नहीं थी उस समय और लड़की को घर के काम सिखा कर शादी कर दी जाती थी। हेमलता बताती है जब उनकी शादी हुई तो उनके पति उस वक्त बीए कर रहे थे और उनकी पढ़ाई में रूचि थी। हेमलता कहती हैं कि उनके पति की रूचि के कारण उनको अपने ससुराल के गांव के स्कूल में दाखिला दिलवाया गया।

हेमलता ने अपने ससुराल में रहकर पढ़ाई की और अपनी अधूरी शिक्षा को पूरा किया। हेमलता ने 1992 में हाईस्कूल किया और फिर 1994 में अपने ससुराल से दूसरे गांव में स्थित संस्कृत विद्यालय से इंटर पास करा। हेमलता कहती हैं उनकी शिक्षा के लिए पति धर्मेंद्र कुमार ने बहुत सहयोग और उत्साहवर्धन किया। हेमलता के परिवार में पति के अलावा दो लड़के और एक लड़की हैं, लड़की और बड़े बेटे सत्यम पटेल की शादी हो चुकी हैं। सत्यम पटेल उत्तर प्रदेश पुलिस में हैं और छोटे बेटे शिवम् सिंह सिविल सेवा की तैयारी कर रहे हैं।

हेमलता बचपन से धार्मिक और सामाजिक प्रवृत्ति की रही। हेमलता की धार्मिक कर्म में ज़्यादा रूचि रहती थी। हेमलता बताती है सन्  2000 के समय धार्मिक यात्राओं के लिए लोगों के पास साधन की व्यवस्था नहीं होती थी, लोग किसी संगठन के जरिए धार्मिक यात्रा के लिए जाते थे। हेमलता हरिद्वार की धार्मिक यात्रा करने के इरादे से किसान यूनियन जुड़ी क्योंकि किसान यूनियन उस समय धार्मिक यात्रा पर जाने वाले लोगों के लिए व्यवस्था करता था। हेमलता ने किसान यूनियन के जरिए हरिद्वार की धार्मिक यात्रा करी।

हरिद्वार की धार्मिक यात्रा से वापस आने के बाद सन् 2004 में हेमलता किसान यूनियन से जुड़ गई और किसान यूनियन की बैठकों में जाने लगी और किसान यूनियन के कामों से जुड़ने लगी। हेमलता अब किसान संगठन के सामने लोगों से जुड़ी समस्याओं को उठाने लगी और उनका निदान करने लगी। हेमलता बताती हैं धीरे धीरे किसान यूनियन के नेता लोगों की समस्याओं के समाधान में लापरवाही करने लगे और लोगों की समस्याओं को बैठकों में आए अधिकारियों के सामने उठाने से रोकने लगे। वो बताती हैं एक गांव की महिला जो काफ़ी बूढ़ी थी अपनी समस्या को लेकर बैठक में आई और उनके सामने रोने लगी तो उन्होंने यूनियन के नेताओ से बोला कि यह महिला बहुत परेशान हैं और इसका काम नहीं हो रहा है, यूनियन के नेताओ ने उस महिला की बात को न सुनते हुए उसको बाद में आने को कहा। हेमलता बताती हैं इस बात से उन्हें बहुत दुःख हुआ और निराशा भी हुई। इसी बात को लेकर  उन्होंने किसान यूनियन को छोड़ दिया था।

हेमलता पटेल सन् 2004 से लेकर 2008 तक किसान यूनियन में रही। हेमलता के अनुसार किसान यूनियन के चार सालों में उन्होंने समाज और जनता से जुड़े हर मुद्दे और परेशानी को किसान यूनियन की बैठकों में उठाया और हर कोशिश करी कि समस्याओं का हल निकले। हेमलता कहती हैं गांव खुशहाल रहेगा तभी देश खुशहाल रहेगा।

साल 2008 में ही हेमलता को गांव के ही एक व्यक्ति से  पता चला कि पास के ही ज़िले चित्रकूट में कुछ महिलाएं हैं जो महिला सशक्तिकरण और समाज में महिलाओं को उनके अधिकार दिलवाने के लिए लड़ रही है। हेमलता यह सब सुनकर चित्रकूट गई। हेमलता बताती हैं कि चित्रकूट गई तो वहां काफ़ी महिलाएं इकठ्ठा थी उनमें से एक थी संपत पाल। संपत पाल हेमलता पटेल के कामों से प्रभावित हुई और उन्हें अपने साथ में ले लिया और वहीं गुलाबी गैंग संगठन बनाया गया जिसका मकसद महिलाओं को उनके अधिकारों के लिए जागरूक करना और वंचित महिलाओं को उनके अधिकार दिलवाना था।

हेमलता पटेल अन्य महिलाओं के साथ मिलकर मेहनत करने लगी गुलाबी गैंग को खड़ा करने लगी। जैसे जैसे गैंग मजबूत हुआ वे महिला शिक्षा, घरेलू हिंसा, महिला प्रताड़ना, महिला सशक्तिकरण पर आवाज़ उठाने लगी।

गुलाबी गैंग की इन महिलाओं ने गांव में गरीबों, औरतों, पिछड़ों, पीड़ितों, बेरोज़गारों के लिए लड़ाई लड़नी शुरु करी। 2011 में बांदा में शीलू बलात्कार केस हुआ जिसमें आरोपी ब विधायक थे, हेमलता व उनकी साथी महिलाओं ने बांदा से लेकर लखनऊ तक हल्ला बोला और सरकार को कारवाई के लिए मजबूर किया।

सन् 2010 में हेमलता अपने गांव से प्रधान चुनी गई। हेमलता बताती हैं उन्होंने लोगों के अनुरोध पर चुनाव लड़ा और गांव के लोगों ने उन्हें जिताया भी। हेमलता ने अपने कार्यकाल में ऐतिहासिक कार्य करवाए जिसमें मुख्य काम यह था कि गांव में एक  बालिका इंटर कॉलेज बनवाया और साथ ही एक माडल स्कूल भी तैयार करवाया। हेमलता बताती हैं कि गांव में लड़कियों की शिक्षा के लिए कोई स्कूल नहीं था और लड़कियों के परिजन दूसरे गांवों के स्कूल में भेजने से डरते थे। हेमलता कहती हैं एक इंटर कालेज बनवाना एक प्रधान के कार्यक्षेत्र से बाहर होता हैं फिर भी उन्होंने भागदौड़ करके इस काम को मुमकिन किया जिससे महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा मिले।

संपत पाल, हेमलता समेत अन्य महिलाओं को राज्यपाल बीएल जोशी द्वारा बहादुरी के लिए सम्मान भी दिया गया।  2013 में संपत पाल पर अपने निजी स्वार्थ के लिए कार्य करने और पैसे लेकर कार्य करने जैसी शिकायते  आने के कारण हेमलता गुलाबी गैंग से अलग हो गई। और अपना अलग संगठन गुलाबी गैंग लोकतांत्रिक के नाम से बनाकर महिलाओं के लिए कार्य करने लगी।

हेमलता बताती हैं उनके संगठन में आस पास जिलों की मिलाकर लगभग 5000 औरतें जुड़ी हुई हैं।‌ हेमलता फतेहपुर समेत अन्य आसपास के जिलों में महिला हिंसा, महिला प्रताड़ना की शिकार महिलाओं को अधिकार दिलवाने के लिए संघर्ष करने लगी।

हेमलता बताती हैं कि संगठन में आने वाली महिलाओं को महिला सशक्तिकरण के साथ साथ आत्मरक्षा के गुण भी सिखाया जाता हैं जिसको गुलाबी आत्म सुरक्षा पहल कहा गया। महिलाओं के प्रति बढ़ती हिंसा को देखते हुए उन्हें लट्ठ चलाना सिखाया जाता था, जिससे ज़रुरत पड़ने पर वो अपनी आत्म रक्षा में प्रयोग कर सके। गुलाबी गैंग लोकतांत्रिक के अंतर्गत गुलाबी पंचायत बुलाई जाती थी जिसमें महिलाएं अपनी अपनी व्यथा को लेकर आती थी और उस व्यथा का हल भी निकाला जाता था , महिलाओं की समस्यायों का निदान होता हैं। हेमलता पटेल गुलाबी महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर गांव की महिलाओं को रोजगार देकर आत्मनिर्भर भी बना रही हैं।

हेमलता बताती हैं 2017 उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने 50% पंचायती चुनावों में महिला आरक्षण का मुद्दा भी उठाया। हेमलता पटेल को लगा कि अगर गांव देहात की विभिन्न समस्याओं और जनता से जुड़े मुद्दों का कोई स्थाई हल निकालना हैं तो पावर में आना होगा, यहीं सोचकर हेमलता पटेल निर्दलीय फतेहपुर की आयाह शाह विधानसभा से चुनाव लड़ गई। हेमलता बताती हैं एक निर्दलीय प्रत्याशी के नाते जनता ने उनका काफ़ी साथ दिया। हेमलता चुनाव तो हार गई पर लोगों को एक हौसला दे गई। हेमलता अपने 50 फीसद पंचायत चुनाव में महिला आरक्षण के मुद्दे को लेकर काफ़ी चर्चित भी हुई।

जब प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनी तो उनकी नज़र हेमलता पटेल पर पड़ी।  प्रियंका गांधी हेमलता पटेल की कार्यक्षमता ,कार्यकुशलता और महिलाओं के मुद्दों पर सक्रियता सहित समाजसेवा से बहुत प्रभावित हुई और उन्हें लखनऊ अपने पास बुलवाया। प्रियंका गांधी ने उन्हें कांग्रेस में शामिल होने की पेशकश की और हेमलता पटेल कांग्रेस में शामिल हो गई लेकिन हेमलता ने कोई भी बड़ा पद लेने से इंकार कर दिया। हेमलता बताती हैं कि प्रियंका गांधी ने एक रैली के दौरान कहा था कि ‘हेमलता एक गुलाबी साड़ी मुझे भी चाहिए’। हेमलता कहती हैं कि वो समाजसेवा जो अभी तक करती आई हैं उसको बड़े स्तर पर करने के लिए कांग्रेस से जुड़ी हैं  न कि राजनीति करने के लिए। वो कहती हैं कि ज्यादातर समाजसेवा से जुड़े कार्यों में लगी रहती हैं पार्टी से संबंधित कार्यों पर बहुत कम ध्यान दे पाती हैं। 2020 में हेमलता पटेल के पद न‌ लेने की मंशा के बावजूद उन्हें फतेहपुर का महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष बनाया गया।‌

हेमलता के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने वाली महिला राजरानी कहती हैं कि “हेमलता दीदी ने उन्हें अपने अधिकार लेने के लिए लड़ना सिखाया हैं, दीदी से हमे बहुत समाजिक कार्यों के लिए उत्साह और ऊर्जा मिलती हैं”। हेमलता के संगठन की एक महिला सुधा पटेल बताती हैं कि “आज जो गांव में स्कूल हैं सब दीदी की मेहनत की देन हैं, हमारे बच्चे आज गांव के ही स्कूल जाते हैं पहले दूसरे गांव में बने स्कूल जाना पड़ता था”। हेमलता के गांव की महिला शहरुन बताती हैं ” हमारे हर छोटे बड़े सरकारी काम दीदी ही करवाती हैं हम इतने पढ़े लिखे नहीं हैं, हेमलता दीदी ने हमारा पेंशन से लेकर राशन कार्ड बनवाने तक का काम करवाया हैं”।

हेमलता पटेल के लड़के शिवम् सिंह जो सिविल सेवा की तैयारी कर रहे हैं कहते हैं कि ” उन्हे अच्छा लगता हैं कि मम्मी समाजसेवा कर रही हैं, लोगों की परेशानी को सुनकर समाधान निकाल रही हैं हर कोशिश कर रही हैं गांव के लोगों को जागरूक करने की। शिवम् सिंह कहते हैं उन्हें भी हौसला मिलता हैं समाजसेवा करने का माता जी को देखकर और बहुत कुछ सीखने को भी मिलता हैं।

हेमलता पटेल कहती हैं कि ” हमेशा उन्हें समाजसेवा के कार्यों या जो कुछ भी वो कर रही हैं उन कार्यों में हमेशा उन्हें उनके परिवार का साथ मिला हैं। कहती हैं उनके पति हमेशा समाजसेवा कार्यों के लिए उनका उत्साहवर्धन करते हैं और हर मुमकिन साथ देते हैं। हेमलता कहती है ” हमेशा से उनकी कोशिश रही हैं कि कैसे महिलाएं पुरुष प्रधान समाज में आत्म सम्मान से जिए और कैसे आत्मनिर्भर बनें और महिलाओं के ऊपर हो रहे अत्याचार से कैसे निपटे। वो कहती हैं कि महिलाओं के मुद्दों के अलावा गरीबों, पिछड़ों, पीड़ितों, बेरोज़गारों के लिए भी लड़ाई लड़ रही हैं। हेमलता पटेल कहती हैं कि यह सब समाजिक कार्य करने की प्रेरणा हमेशा से पिता जी से मिलती आई हैं और वो पिताजी के आदर्शों पर चल रही हैं।

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE